लखनऊ: कासगंज हिंसा की जांच कमेटी ने इस घटना को सोची-समझी साजिश करार दिया है। जांच टीम के अनुसार, यह हिंसा एक बेहद सोची समझी स्ट्रैटजी के तहत रची गई खतरनाक साजिश थी। इस बात का खुलासा टीम के सदस्यों ने सोमवार (05 फ़रवरी) को एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान किया।
गौरतलब है, कि बीते दिनों कासगंज में तिरंगा यात्रा के दौरान हिंसा हुई थी, जिसमें एक युवक की जान चली गई थी और कई दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया था। इस पर प्रदेश सरकार ने सेवानिवृत्त आईजी एसआर दारापुरी, एडवोकेट असद हयात खान, वरिष्ठ पत्रकार अमित सेन गुप्ता और कई अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं को मिलाकर एक जांच टीम बनाई थी। इस जांच टीम ने कासगंज का दौरा किया और वहां पुलिस, प्रशासन के अधिकारियों के साथ साथ आम लोगों से बातचीत की थी।
तिरंगा यात्रा में ज्यादातर थे भगवा झंडे
एस आर दारापुरी के मुताबिक तिरंगा यात्रा के नाम पर कासगंज में जो यात्रा निकाली गई थी, उसमें तिरंगे कम और भगवा ध्वज ज्यादा थे। इसके बाद जो कुछ भी हुआ, वो सब एक सोची समझी स्ट्रैटजी का हिस्सा थे। हिंसा को पूरी तरह से इंजीनियर किया गया।
मुस्लिमों के ही पास थी परमीशन
एस आर दारापुरी ने बताया, कि 'कासगंज में तिरंगा यात्रा निकालने की परमीशन केवल मुस्लिमों के पास थी, जबकि दूसरे समुदाय द्वारा बिना परमीशन के यह यात्रा निकाली जा रही थी। इसे जानबूझकर ऐसे इलाके से निकाला गया जिससे तनाव उत्पन्न हो। टीम ने वहां दोनों समुदाय के लोगों से बातचीत करने के साथ-साथ स्थानीय पुलिस और प्रशासन के लोगों से पूरी जानकारी ली है, इसके बाद इस निर्णय पर पहुंचे हैं।'