लखनऊः गुमनामी बाबा कौन है यह रहस्य आज भी बना हुआ है। कुछ लोगो का कहना हैं कि गुमनामी बाबा ही सुभाष चंद्र बोस थे। इस रहस्य की गुत्थी को सुलझाने के लिए कोर्ट ने मुखर्जी आयोग का गठन किया था, लेकिन आयोग ने फाइल क्लोज कर दी थी। अब तक जिला प्रशासन ने गुमनामी बाबा के 22 बक्सों की जांच कर चुका हैं। बाबा के 22 वें बक्से से मिले जर्मनी की दूरबीन और इंग्लैंड के टाइपराइटर ने उनके रहस्य को और बढ़ा दिया हैं।
बक्से से और क्या क्या मिले
-मंगलवार को बाबा के 22 वें बक्से से 350 किताबें मिली।
-जिससे उनके राजनीतिक जिज्ञासा का अंदाजा लगाया जा सकता हैं।
-इंग्लैंड के टाईपराइटर के अलावा वहां का चाकू भी मिला हैं।
-जापानी क्राकरी का सेट भी बरक्से से मिला हैं।
लोगो से रहते थे दूर
-गुमनामी बाबा ने खुद को सबसे दूर कर लिया था।
-कुछ लोग ही उनसे सीधे जुड़े थे।
-वह लोगो से पर्दे में रहकर ही बात करते थे।
-ऐसे में दूरबीन रहस्य और जिज्ञासा का विषय बना हुआ हैं।
-जर्मनी की बनी दूरबीन उन्हें क्यों और किसने दी, यह गूढ़ रहस्य बना हुआ।
मिले सामानों की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी मंगलवार को कलेक्ट्रेट के प्रशासनिक अधिकारी सतवंत इक्षसह सेठी और आंमत्रित सदस्य शक्ति के समक्ष कराई गई। बुधवार को 23 वें बक्से के सामान को सूचीबद्ध करने का कार्य शुरू होगा।