National Safety Day 2025: राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस, औद्योगिक संस्थानों की सुरक्षा का महत्व और उपाय

Rashtriya Suraksha Divas: 1971 में पहली बार राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाया गया, जो तब से हर साल 4 मार्च को औद्योगिक सुरक्षा और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से आयोजित किया जाता है।;

Written By :  Akshita Pidiha
Update:2025-03-04 06:10 IST

National Safety Day 2025 (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

National Safety Day 2025: राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस (National Safety Day) हर वर्ष 4 मार्च को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य कार्यस्थल, विशेष रूप से औद्योगिक संस्थानों, में सुरक्षा जागरूकता बढ़ाना और कर्मचारियों को कार्यस्थल पर सुरक्षित माहौल प्रदान करना है। यह दिन राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (National Safety Council - NSC) द्वारा शुरू किया गया था, जिसकी स्थापना 1966 में भारत सरकार द्वारा की गई थी।

औद्योगिक क्षेत्र में सुरक्षा का विशेष महत्व है क्योंकि यहाँ भारी मशीनरी, खतरनाक रसायन, विद्युत उपकरणों और जटिल उत्पादन प्रक्रियाओं का उपयोग होता है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना अधिक रहती है। 

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस का इतिहास (National Safety Day History In Hindi)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

श्रम और रोजगार मंत्रालय ने 11 से 13 दिसंबर 1965 तक दिल्ली में औद्योगिक सुरक्षा पर पहला राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया, जिसमें तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भी उपस्थित थे। इस सम्मेलन में राष्ट्रीय और राज्य स्तरों पर सुरक्षा परिषदों की स्थापना की आवश्यकता पर सहमति बनी।

बाद में, फरवरी 1966 में स्थायी श्रम समिति के 24वें सत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) के गठन का प्रस्ताव स्वीकार किया गया। इसके बाद, 4 मार्च 1966 को श्रम मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) की स्थापना की गई। इसे पहले सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत किया गया और बाद में बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट अधिनियम, 1950 के तहत एक सार्वजनिक ट्रस्ट के रूप में मान्यता दी गई।

सुरक्षा जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए, 1971 में पहली बार राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस (National Safety Day) मनाया गया, जो तब से हर वर्ष 4 मार्च को औद्योगिक सुरक्षा और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से आयोजित किया जाता है।

औद्योगिक संस्थानों में सुरक्षा का महत्व (Importance Of Safety In Industrial Institutions)

औद्योगिक सुरक्षा का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों, मशीनों, संसाधनों और पर्यावरण को किसी भी संभावित खतरे से बचाना है। सुरक्षा उपायों का सही क्रियान्वयन न केवल दुर्घटनाओं को रोकता है, बल्कि उत्पादन क्षमता बढ़ाने और आर्थिक नुकसान को कम करने में भी सहायक होता है।

औद्योगिक सुरक्षा क्यों आवश्यक है (Why is industrial safety important?)?

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

कर्मचारियों की सुरक्षा: औद्योगिक इकाइयों में कार्यरत श्रमिकों को मशीनों, ऊँचाई, आग और रसायनों से खतरा हो सकता है। सुरक्षा उपाय उनके जीवन की रक्षा करते हैं।

मशीनों और उपकरणों की सुरक्षा: उचित सुरक्षा नियमों के अभाव में मशीनों को भी नुकसान हो सकता है, जिससे उत्पादन प्रक्रिया बाधित हो सकती है।

पर्यावरण की सुरक्षा: उद्योगों से निकलने वाले रसायन, धुआं और कचरा पर्यावरण को नुकसान पहुँचा सकते हैं। सुरक्षा उपायों से प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है।

आर्थिक नुकसान की रोकथाम: औद्योगिक दुर्घटनाएँ कंपनियों को भारी आर्थिक क्षति पहुँचा सकती हैं। सही सुरक्षा उपायों से इस जोखिम को कम किया जा सकता है।

कानूनी और नैतिक दायित्व: भारत में औद्योगिक सुरक्षा से जुड़े कई कानून और नियम हैं, जिनका पालन करना हर उद्योग के लिए अनिवार्य है।

औद्योगिक दुर्घटनाएँ और उनके प्रकार

औद्योगिक सुरक्षा की आवश्यकता को समझने के लिए यह जानना आवश्यक है कि किन कारणों से उद्योगों में दुर्घटनाएँ होती हैं।

मुख्य औद्योगिक दुर्घटनाएँ

मशीन से जुड़ी दुर्घटनाएँ – मशीनों के चलते समय कर्मचारियों के कपड़े, हाथ या अन्य अंग फँस सकते हैं।

रासायनिक दुर्घटनाएँ – खतरनाक गैसों, एसिड और अन्य रसायनों के रिसाव से श्रमिकों और पर्यावरण को नुकसान हो सकता है।

आग और विस्फोट – बिजली के शॉर्ट सर्किट, ज्वलनशील पदार्थों और गैस लीक के कारण विस्फोट और आग लग सकती है।

ऊँचाई से गिरना – निर्माण और भारी उद्योगों में ऊँचाई पर कार्य करने वाले श्रमिकों के गिरने की घटनाएँ होती हैं।

विद्युत दुर्घटनाएँ – करंट लगना, तारों में गड़बड़ी या गलत वायरिंग से बड़ी दुर्घटनाएँ हो सकती हैं।

मानव त्रुटि – लापरवाही, अनुभवहीनता, थकावट या प्रशिक्षण की कमी से दुर्घटनाएँ हो सकती हैं।

औद्योगिक सुरक्षा उपाय और नियम

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

औद्योगिक संस्थानों में सुरक्षा बनाए रखने के लिए विभिन्न सुरक्षा उपायों और कानूनी प्रावधानों का पालन किया जाता है।

(A) मुख्य सुरक्षा उपाय

व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (Personal Protective Equipment - PPE):

हेलमेट, दस्ताने, सेफ्टी गॉगल्स, सुरक्षा जूते और मास्क का उपयोग अनिवार्य किया जाना चाहिए।

ऊँचाई पर काम करने वालों के लिए हार्नेस बेल्ट और सुरक्षात्मक कपड़े जरूरी होते हैं।

आग और विस्फोट सुरक्षा:

अग्निशमन यंत्र (Fire Extinguisher) की व्यवस्था होनी चाहिए।

ज्वलनशील पदार्थों को सुरक्षित स्थानों पर रखा जाना चाहिए।

कर्मचारियों को फायर ड्रिल और इमरजेंसी एग्जिट प्लान की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।

मशीनरी और उपकरणों की सुरक्षा:

सभी मशीनों में सुरक्षा गार्ड और लॉक सिस्टम लगे होने चाहिए।

नियमित निरीक्षण और रखरखाव (Maintenance) किया जाना चाहिए।

विद्युत सुरक्षा:

सभी बिजली के तारों और उपकरणों की नियमित जाँच की जानी चाहिए।

उच्च वोल्टेज वाले क्षेत्रों में चेतावनी बोर्ड और सुरक्षात्मक गियर का उपयोग किया जाना चाहिए।

रासायनिक सुरक्षा:

खतरनाक रसायनों को उचित कंटेनरों में रखा जाना चाहिए।

रिसाव और दूषित गैसों की रोकथाम के लिए गैस डिटेक्टर और वेंटिलेशन सिस्टम जरूरी हैं।

स्वास्थ्य और स्वच्छता:

शुद्ध पेयजल और शौचालय की सुविधा होनी चाहिए।

कर्मचारियों के लिए चिकित्सा सहायता और प्राथमिक उपचार (First Aid) की व्यवस्था जरूरी है।

(B) भारत में औद्योगिक सुरक्षा से जुड़े प्रमुख कानून

कारखाना अधिनियम, 1948 (Factories Act, 1948) – श्रमिकों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यस्थल की स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए यह कानून बनाया गया।

औद्योगिक सुरक्षा स्वास्थ्य और कल्याण अधिनियम, 1986 (Occupational Safety, Health, and Working Conditions Code, 2020) – यह कानून औद्योगिक संस्थानों में कार्य करने वाले श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 (Environment Protection Act, 1986) – औद्योगिक कचरे और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए लागू।

खतरनाक पदार्थ अधिनियम, 1989 (Hazardous Chemicals Rules, 1989) – खतरनाक रसायनों के सुरक्षित भंडारण और उपयोग से संबंधित नियम।

औद्योगिक सुरक्षा जागरूकता और प्रशिक्षण (Industrial Safety Awareness and Training)

औद्योगिक सुरक्षा केवल नियमों और उपकरणों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके लिए सतत जागरूकता और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।

राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह (4-10 मार्च) के दौरान कई उद्योग सुरक्षा अभियान, ड्रिल और सेमिनार आयोजित करते हैं।

कंपनियाँ अपने कर्मचारियों को नियमित सुरक्षा प्रशिक्षण प्रदान करती हैं।

पोस्टर, बैनर और डिजिटल माध्यमों से सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाती है।

औद्योगिक संस्थानों में सुरक्षा सिर्फ एक आवश्यकता नहीं, बल्कि एक अनिवार्यता है। एक सुरक्षित कार्यस्थल न केवल दुर्घटनाओं को रोकता है, बल्कि कर्मचारियों की उत्पादकता और मनोबल को भी बढ़ाता है। राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस हमें यह याद दिलाता है कि "सुरक्षा पहले" (Safety First) का सिद्धांत हर उद्योग के लिए जरूरी है। सही सुरक्षा उपायों, नियमों और जागरूकता अभियानों के माध्यम से हम कार्यस्थल को सुरक्षित और समृद्ध बना सकते हैं।

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