Right to Disconnect Law: कार्य और जीवन के बीच संतुलन की ओर एक कदम,'राइट टू डिस्कनेक्ट'
Right To Disconnect Adhikar Kya Hai: क्या आप जानते हैं कि 'राइट टू डिस्कनेक्ट' कर्मचारियों को कार्य समय के बाहर ऑफिस से जुड़े संचार से बचने का कानूनी संरक्षण देता है, आइये इसके बारे में विस्तार से समझते हैं।;
Right To Disconnect Adhikar Kya Hai (Image Credit-Social Media)
Right To Disconnect Adhikar Kya Hai: 'राइट टू डिस्कनेक्ट' कर्मचारियों को कार्य समय के बाहर ऑफिस से जुड़े संचार से बचने का कानूनी संरक्षण देता है, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य और कार्य-जीवन संतुलन बेहतर होता है। यह अवधारणा वैश्विक स्तर पर अपनाई जा रही है और भारत में भी इस पर चर्चा जारी है।
आज के डिजिटल युग में, जहां तकनीक ने हमारे जीवन को आसान बनाया है, वहीं हमारे निजी और पेशेवर जीवन के बीच की सीमाओं को धुंधला भी कर दिया है। स्मार्टफोन, लैपटॉप और इंटरनेट की सहज उपलब्धता ने कर्मचारियों के लिए हर समय कार्य से जुड़े रहने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया है। इस परिस्थिति में ‘डिस्कनेक्ट करने का अधिकार’ (Right to Disconnect) एक महत्वपूर्ण अवधारणा बनकर उभरा है। यह अधिकार कर्मचारियों को उनके कार्य समय के बाहर कार्य-संबंधी संदेशों, कॉलों और ईमेल से बचने का कानूनी संरक्षण प्रदान करता है। कई देशों ने ‘डिस्कनेक्ट का अधिकार’ (Right to Disconnect) को अपनाया है । इस लेख में, हम इस महत्वपूर्ण विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे और इसके महत्व को समझाएंगे।
‘राइट टू डिस्कनेक्ट’ (Right To Disconnect) की परिभाषा
डिस्कनेक्ट करने का अधिकार एक कानूनी और नैतिक प्रावधान है जो कर्मचारियों को यह अधिकार देता है कि वे अपने आधिकारिक कार्य समय के बाहर कार्यालय से संबंधित संचार और कार्यों का उत्तर देने के लिए बाध्य न हों। इसका मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को उनके निजी जीवन, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की रक्षा करने में सहायता करना है, जिससे वे अपने परिवार और अन्य जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित कर सकें। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि कार्यस्थल की अपेक्षाएँ कर्मचारियों के व्यक्तिगत समय में दखल न दें, जब तक कि कोई आपातकालीन स्थिति या पूर्व समझौता न हो। कार्य-जीवन संतुलन को बनाए रखने और कार्यस्थल पर स्वस्थ वातावरण को बढ़ावा देने के लिए यह अधिकार अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस अधिकार की उत्पत्ति और वैश्विक परिदृश्य
इस अधिकार को पहली बार फ्रांस ने कानूनी रूप दिया। 2017 में, फ्रांस ने "एल खॉमरी कानून" (El Khomri Law) के तहत डिस्कनेक्ट करने के अधिकार को मान्यता दी, जिससे कंपनियों को यह सुनिश्चित करने के लिए नीति बनाने की आवश्यकता हुई कि कर्मचारी कार्य समय के बाहर ईमेल, कॉल या अन्य कार्य-संबंधित संचार से बाध्य न हों। फ्रांस के इस कदम के बाद कई अन्य देशों ने भी इस दिशा में पहल की।
अन्य देशों में विस्तार
फ्रांस के बाद, विभिन्न देशों में डिस्कनेक्ट का अधिकार अलग-अलग तरीकों से लागू किया जा रहा है।
• इटली - 2017 में इटली द्वारा कर्मचारियों को कार्य समय के बाहर कार्य से जुड़े संचार से बचने के अधिकार को कानूनी मान्यता दी गई
• स्पेन - 2018 में स्पेन द्वारा श्रमिकों को उनके डिजिटल अधिकारों की रक्षा के लिए यह अधिकार दिया गया।
• जर्मनी - जर्मनी में कई बड़ी कंपनियाँ, जैसे कि वोक्सवैगन और डेमलर ने अपने कर्मचारियों को कार्य समय के बाहर ईमेल और कॉल से मुक्त रखने के लिए नीतियाँ लागू कर चुकी है।
• आयरलैंड - 2021 में आयरलैंड द्वारा "कोड ऑफ प्रैक्टिस" के तहत कर्मचारियों को कार्य के बाद डिस्कनेक्ट रहने का अधिकार दिया गया। यह कोड संगठनों को इस अधिकार को लागू करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है। इसमें कर्मचारियों को कार्य के बाद के घंटों में काम नहीं करने और उन्हें इसके लिए दंडित नहीं करने का अधिकार शामिल है।
• कैनेडा - कैनेडा में अभी तक यह अधिकार पूरे देश में लागू नहीं है, लेकिन कुछ प्रांतों में इसे विशेष रूप से लागू किया गया है। उदाहरण के लिए, ओंटारियो में 25 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को डिस्कनेक्ट पॉलिसी लागू करनी होती है।
भारत में स्थिति
भारत में अभी तक "डिस्कनेक्ट करने का अधिकार" को कानूनी रूप से लागू नहीं किया गया है, लेकिन यह एक बहस का विषय बनता जा रहा। 2021 में एक निजी सदस्य विधेयक "राइट टू डिस्कनेक्ट बिल" संसद में पेश किया गया था , जो कर्मचारियों को कार्यालय समय के बाहर कार्य से जुड़े संदेशों और ईमेल को अनदेखा करने का अधिकार देने की मांग करता था। हालांकि यह बिल अभी लंबित है और इस पर अभी तक कोई ठोस कानून नहीं बना है।
डिस्कनेक्ट का अधिकार क्यों आवश्यक है?
इस अधिकार की आवश्यकता कई कारणों से है:
• कार्य-जीवन संतुलन: डिजिटल उपकरणों के बढ़ते उपयोग ने कार्य और निजी जीवन के बीच की सीमाओं को धुंधला कर दिया है। कर्मचारी अक्सर कार्य के बाद भी काम से जुड़े रहते हैं, जिससे उनका निजी जीवन प्रभावित होता है। डिस्कनेक्ट का अधिकार इस समस्या का समाधान प्रदान करता है।
• मानसिक स्वास्थ्य और तनाव: लगातार काम के दबाव से कर्मचारी तनावग्रस्त और थका हुआ महसूस कर सकते हैं, जिससे उनकी उत्पादकता और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस अधिकार के माध्यम से कर्मचारी अपने निजी समय में आराम कर सकते हैऔर अपने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते है।
• उत्पादकता में सुधार: जब कर्मचारी अपने निजी समय में आराम कर पाते हैं, तो वे अगले दिन अधिक ऊर्जावान और केंद्रित होकर काम कर सकते हैं। इससे उनकी उत्पादकता में सुधार होता है और वे अपने कार्यों को बेहतर तरीके से पूरा कर पाते है।
• कर्मचारियों की संतुष्टि: यह अधिकार कर्मचारियों को उनके निजी जीवन के लिए अधिक समय देता है, जिससे उनकी संतुष्टि और कार्यस्थल पर उनकी प्रतिबद्धता बढ़ती है।
• कार्यस्थल की नैतिकता: यह नीति कार्यस्थल पर स्वस्थ और सहयोगात्मक वातावरण बनाने में मदद करती है।
डिस्कनेक्ट का अधिकार कैसे काम करता है?
इस अधिकार के कुछ मुख्य पहलू है:
कार्य के बाद के घंटों में संचार: कर्मचारियों को कार्य के बाद के घंटों में काम से संबंधित ईमेल, फोन कॉल, या अन्य संचार का जवाब देने की आवश्यकता नहीं होती है। नियोक्ताओं को कर्मचारियों के निजी समय का सम्मान करना चाहिए और केवल आपातकालीन स्थितियों में ही संपर्क करना चाहिए।
अपवाद: कुछ अपवाद है जहां कार्य के बाद भी संपर्क किया जा सकता है, जैसे कि आपातकालीन स्थितियां, महत्वपूर्ण व्यावसायिक आवश्यकताएं, या पूर्व समझौते के अनुसार।
कर्मचारी अधिकार: कर्मचारियों को कार्य के बाद के घंटों में संचार से इनकार करने का अधिकार है। उन्हें इसके लिए किसी भी नकारात्मक परिणाम का सामना नहीं करना पड़ता है, जैसे कि प्रदर्शन मूल्यांकन या करियर प्रगति में प्रभाव।
नियोक्ताओं (employers) और कर्मचारियों (employees) प्रभाव
डिस्कनेक्ट करने का अधिकार नियोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों के लिए लाभकारी साबित होता है। नियोक्ताओं के दृष्टिकोण से, यह कार्यस्थल पर तनाव को कम करने में मदद करता है, जिससे कर्मचारी अधिक उत्पादक और संतुष्ट महसूस करते हैं। जब कर्मचारी अपने काम के घंटों के बाद आराम कर सकते हैऔर व्यक्तिगत जीवन का आनंद ले सकते हैं, तो उनकी संतुष्टि और निष्ठा स्वाभाविक रूप से बढ़ती है। इससे कंपनियाँ न केवल अपने कर्मचारियों को बनाए रखने में सक्षम होती हैं, बल्कि एक अधिक आकर्षक नियोक्ता के रूप में उभरती हैं, जिससे उन्हें प्रतिभाशाली उम्मीदवारों को आकर्षित करने में भी सहायता मिलती है।
कर्मचारियों के लिए, यह अधिकार मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कार्य और व्यक्तिगत जीवन के बीच एक स्वस्थ संतुलन बनाए रखने से वे तनावमुक्त रहते हैऔर उनके समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है। इसके अलावा, यह काम से जुड़ी थकान और बर्नआउट को रोकने में सहायक होता है, जिससे वे अधिक ऊर्जा और उत्साह के साथ अपने कार्यों को पूरा कर सकते हैं। कुल मिलाकर, यह नीति नियोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों के लिए दीर्घकालिक लाभ सुनिश्चित करती है और एक संतुलित कार्य वातावरण को बढ़ावा देती है।
इस अधिकार से जुड़ी चुनौतियाँ और संभावित समाधान
कई कंपनियों में कर्मचरियों से 24/7 उपलब्ध रहने की अपेक्षा होती है, जिससे इस अधिकार को लागू करना कठिन हो सकता है, लेकिन इसे सफल बनाने के लिए कंपनियों को एक स्वस्थ कार्य संस्कृति विकसित करनी चाहिए जो कर्मचारियों के व्यक्तिगत समय का सम्मान करे।
कुछ उद्योगों, जैसे आईटी और ग्राहक सेवा, में कर्मचारियों को कार्य समय के बाहर भी उपलब्ध रहना पड़ता है, लेकिन इसे संतुलित करने के लिए शिफ्ट आधारित कार्य मॉडल अपनाया जा सकता है, जिससे कर्मचारियों को कार्य समय के बाहर आराम करने का अवसर मिले।
भारत में अभी तक डिस्कनेक्ट करने के अधिकार से संबंधित कोई ठोस कानून नहीं है, लेकिन सरकार को इस विषय पर कानून बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।