क्या टोपी पहनने से हो सकते हैं गंजा, जानिए इसकी सच्चाई

भारतीय इतिहास में देखें तो सिर ढकने की परंपरा पुरानी है। आज भी लोग पगड़ी, पाग, मुरैठा, टोपी आदि से सिर ढककर रखते हैं। तो वहीं कुछ लोग धूप से बचने और शौक के लिए हैट यानी टोपी लगाते हैं। यह तेज धूप और धूल-मिट्टी से बचने में मदद करता है।

Update:2019-08-16 17:51 IST

लखनऊ: भारतीय इतिहास में देखें तो सिर ढकने की परंपरा पुरानी है। आज भी लोग पगड़ी, पाग, मुरैठा, टोपी आदि से सिर ढककर रखते हैं। तो वहीं कुछ लोग धूप से बचने और शौक के लिए हैट यानी टोपी लगाते हैं। यह तेज धूप और धूल-मिट्टी से बचने में मदद करता है।

लेकिन टोपी को लेकर एक रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है जो हैरान करने वाला है। इस बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। रिसर्चर्स का मानना है कि टोपी और उसकी जैसी अन्य चीजों को सिर पर रखने से गंजापन की समस्या बढ़ सकती है। उन्होंने इस बात की आशंका जताई है।

यह भी पढ़ें...ये 10 खूबसूरत सांसद, फिल्मों में आयी तो खत्म कर देंगी इनका करियर

हालांकि इसे साबित करने के लिए कोई रिसर्च सामने नहीं है। ऐसे कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं जिसके आधार पर इन दावों की पुष्टि की जा सके और इसे सच ठहराया जा सके कि सिर पर टोपी लगाने से व्यक्ति गंजा हो सकता है।

कई प्रसिद्ध डर्मेटोलॉजिस्ट ने इस बात का उल्लेख किया है कि कई लोग उनसे इस बारे में अक्सर पूछते रहते हैं जो हैरान करने वाला है। वे आखिर इसे सच कैसे और क्यों मान बैठते हैं।

यह भी पढ़ें...डायवोर्स के बाद मिला सच्चा प्यार, रील और रियल लाइफ में ऐसे बने रहे सैफ

डॉक्टर्स कहते हैं कि यह बस एक मिस कनशेप्सन है। लोगों के इस विश्वास का अगर बिल्कुल साफ जवाब दूं तो बस इतना ही कहूंगा इसका सच से कुछ भी लेना देना नहीं है। तो गंजापन को किस तरह डिफाइन किया जाना चाहिए?

डॉक्टर्स कहते हैं कि जेनेटिक्स का इसमें बड़ा रोल है। परिवार का इतिहास अगर गंजेपन की रही है, तो नेक्स्ट जेनरेशन में इसके चांसेज ज्यादा रहते हैं।

यह भी पढ़ें...डायवोर्स के बाद मिला सच्चा प्यार, रील और रियल लाइफ में ऐसे बने रहे सैफ

आपके मन में यह सवाल उठ सकता है कि गंजापन तो पुरुष और महिला दोनों में देखने को मिलती है। क्या दोनों का पैटर्न एक सा ही है? हेयर रेस्टोरेशन से जुड़े डॉक्टर्स मानते हैं कि पुरुष गंजेपन और महिला गंजेपन में बेसिकली अंतर तो है, लेकिन जेनेटिक कनेक्शन दोनों ही केसेज में देखने को मिले हैं।

जब बॉडी में डीएचटी हार्मोन का सेक्रेशन कम हो जाता है यानि इसके प्रोडक्शन में कमी आ जाती है, तो हेयर फॉलिकल्स में भी कमी आ जाती है और हेयर ग्रोथ की स्पीड स्लो हो जाती है। रिजल्ट, बाल्डनेस के रूप में सामने आता है।

बालों में केमिकल वाले प्रोडक्ट जैसे हेयर डाइज, हेयर कलर्स आदि का इस्तेमाल कम करना चाहिए। इससे बाल टूटने शुरू हो सकते हैं।

Tags:    

Similar News