Inspirational Kahani: थैंक्यू भइया

Best Indian Inspirational Kahani: कई बार हम उन लोगों को थैंक यू नहीं कह पाते जो हमारे डेली लाइफ को आसान बनाते हैं। ये कहानी उसी बारे में, जो आपको ये एहसास कराएगी कि अपने आसपास के लोगों को भी थैंक यू कहना जरूरी है।;

Written By :  Kanchan Singh
Update:2025-02-05 08:00 IST

TBest Indian Inspirational Kahani (सांकेतिक फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Best Indian Inspirational Kahani: किदवईनगर चौराहे पर टेम्पो से उतर कर जैसे ही आगे बढ़ा तो तीन चार रिक्शे वाले मेरी तरफ बढ़ते हुए बोले, "आओ बाबू, के-ब्लॉक।”

सुबह शाम की वही सवारियाँ और चौराहे के वही रिक्शेवाले। सब एक दूसरे के चेहरे को पहचानने लगते हैं। जिन रिक्शों पर बैठ कर मैं शाम को घर तक पहुँचता था वे तीन चार ही थे। स्वभाव से मैं अपनी दुकान, सवारी या मित्र चुनिंदा रखता हूँ, इन पर विश्वास करता हूँ और इन्हें बार बार बदलता भी नहीं हूँ।

एक रिक्शे पर मैं बैठ गया। आज ऑफिस में निदेशक ने अकारण ही मुझ पर नाराजगी जाहिर की थी इसलिए मस्तिष्क विचलित और हृदय भारी था। कब रिक्शा मुख्य सड़क से मुड़ा और कब मेरे घर के सामने आ खड़ा हुआ .. मैं नहीं जान पाया।

"आओ, बाबू जी, आपका घर आ गया।" रिक्शेवाले का स्वर सुनकर मैं सचेत हुआ। रिक्शे को गेट के सामने खड़ा पाकर मैं उतरा और जेब से पैसे निकाल कर रिक्शेवाले को दिये और पलट कर घर की तरफ बढ़ गया।

"बाबू जी"

रिक्शेवाले की आवाज़ सुनकर मैं पलटा और प्रश्नवाचक दृष्टि से उसे देखते हुए कहा- "क्या पैसे कम दिए मैंने?"

"नहीं बाबू जी"

"तो फिर क्या बात है? प्यास लगी है क्या?"

"नहीं बाबू जी"

"तो भइया बताइए, क्या बात है?"

"बाबू जी, क्या दफ्तर में कुछ बात हुई है?"

"हाँ... मगर तुम कैसे जान पाए!" मैंने आश्चर्य से पूछा।

"बाबू जी। आज आपने रिक्शे में बैठ कर मुझसे कोई बात नहीं की। मेरे घर परिवार के विषय में कुछ पूछा भी नहीं। पूरे रास्ते चुपचाप गुमसुम बने रहे।"

"हाँ, भाई आज कुछ मन में अशांति सी है इसलिए चुपचाप रहा मैं। पर पैसे तो तुम्हें पूरे दिए न!"

"बाबू जी, पैसे तो दिए पर ..."

"पर और क्या ...?"

"बाबू जी, थैंक्यू नहीं दिया आज आपने... बाबू जी, हम रिक्शेवालों की ज़िंदगी में सम्मान कहाँ मिलता है। लोग तो भाड़ा भी नहीं देते हैं। कुछ तो मारपीट भी कर देते हैं। एक आप हैं जो रिक्शे में बैठते ही हमसे हमारा हालचाल पूछते हैं, घर परिवार के विषय में, बच्चों की पढ़ाई आदि के विषय में पूछते हैं। बाबू जी, अच्छा लगता है जब कोई अपना बन जाता है तब। इस सबसे ऊपर यह है कि आप किराया तो पूरा देते ही हैं, घर आकर ठण्डा पानी पिलाते हैं और साथ ही हम लोगों को थैंक्यू भी कह देते हैं। हम लोग चौराहे पर आपके बारे में "थैंक्यू वाले बाबूजी" के नाम से बात करते हैं... पर आज तो..." उसका स्वर भीग गया था।

मैंने अपना पिट्ठू बैग उतार कर गेट के पास रखा। उसके कंधे पर हाथ रखा और धीरे से कहा, "भाई मुझे क्षमा करना। मन भारी होने के कारण सब गड़बड़ हो गयी। मेरे घर तक छोड़ने के लिए तुम्हारा हृदय से आभार औऱ धन्यवाद। थैंक्यू भइया।"

वह मुस्कुरा पड़ा और पैडल पर दबाव डाल कर आगे बढ़ गया।

( लेखिका प्रख्यात ज्योतिषाचार्य हैं ।)

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