Health Tips : चिकनपॉक्स के लक्षण कारण और बचाव, सतर्कता ही है उपाय

Chicken Pox : गर्मी का मौसम अपने साथ बीमारी और स्किन इन्फेक्शन साथ ले आता है। ऐसे में चेचक जैसी बीमारियों का बहुत खतरा रहता है। इसके लक्षण और उपचार के बारे में जानना बेहद जरूरी है।

Report :  Preeti Mishra
Published By :  Bishwajeet Kumar
Update:2022-04-05 18:53 IST

चेचक (प्रतीकात्मक तस्वीर, साभार : सोशल मीडिया)

Chicken Pox Symptoms: गर्मियों के दिनों में कई बीमारियां भी घर करने लगती है। गर्मियों में उड़ते धूल -कण ढेर सारे इंफेक्शन और बीमारियों को अपने साथ लेकर आते हैं। ऐसी ही एक परेशानी चिकनपॉक्स (Chicken Pox) यानी चेचक की है, जिसका गर्मी के मौसम में होने का बहुत ही ज्यादा खतरा रहता है।

बता दें कि चिकनपॉक्स एक संक्रामक बीमारी है जिसका सही समय पर लक्षण पहचान कर इलाज किया जा सकता है। गौरतलब है कि चिकनपॉक्स यानी चेचक की बीमारी साफ-सफाई की कमी की वजह से फैलने वाला एक संक्रामक रोग है, जो Varicella Zoster वायरस के कारण होता है। इस समस्या में पूरे शरीर पर चकते और लाल दाने उभर आते हैं। दाने निकलने के कारण शरीर में बेचैनी वाली खुजली होने लगती है।

इतना ही नहीं उन दानों से पानी भी निकलने लगता है। इसमें होने वाली पीड़ा बहुत असहनीय होती है। चिकनपॉक्स से बचने के लिए सबसे पहले उसके लक्षणों को पहचानना बेहद जरुरी है। जिनमें कुछ प्रमुख हैं।

- चिकनपॉक्स यानी चेचक की बीमारी साफ-सफाई की कमी की वजह से फैलने वाला एक संक्रामक रोग है। Varicella Zoster वायरस की वजह से होने वाली समस्या है।

- इस बीमारी में पूरे शरीर पर चकते और लाल दाने उभर आने के साथ शरीर में बहुत खुजली होने लगती है और उन दानों से पानी भी निकलने लगता है। जो संक्रमण को और बढ़ा देता है। इस समस्या में अकसर उन लाल दानों में पस (मवाद) भी पड़ जाने के कारण फफोले भी उभर आते हैं। बता दें कि 2 से 4 दिनों के अंदर ये फफोले पूरे शरीर पर तेजी से फैल जाते हैं। इतना ही नहीं कमर में तेज दर्द और सीने में अजीब सी जकड़न होने की भी शिकायत होती है। चिकनपॉक्स में तेज़ बुखार के साथ भूख नहीं लगती, सिर में दर्द होता है। हमेशा थकान बने रहने की समस्या भी इसमें बनी रहती है।

चिकनपॉक्स का इलाज

- चिकनपॉक्स के इंजेक्शन के रूप में इसका सबसे बेहतरीन इलाज उपलब्ध है। बता दें कि 12 से 15 महीनों की उम्र के बीच के बच्चों को चिकनपॉक्स की परेशानी से बचाने के लिए टीका लगवा देना चाहिए। इतना ही नहीं 4 से 6 साल की उम्र के बीच के बच्चों को बूस्टर dose भी लगवानी चाहिए। गौरतलब है कि चिकनपॉक्स के गंभीर संक्रमण को रोकने में यह टीका 95 प्रतिशत तक कारगर साबित होता है।

ऐसे लोग बिलकुल ना लगवाए चिकनपॉक्स का टीका

प्रेगनेंट महिलाओं और जिन्हें जिलेटिन या फिर ऐंटीबायॉटिक नियोमाइसिन से एलर्जी है, ऐसे लोगों को चिकनपॉक्स का टीका बिलकुल नहीं लगवाना चाहिए। इसके अलावा जिनका इम्यून सिस्टम बेहद कमजोर है, (जैसे कि एचआईवी से पीड़ित लोग ) ऐसे लोगों को भी चिकेनपॉक्स का टीका नहीं लगवाना चाहिए।

बता दें कि आमतौर पर चिकनपॉक्स एक सामान्य संक्रामक रोग है। लेकिन अगर सही समय पर इसका इलाज नहीं होने पर यह बेहद गंभीर रूप भी ले सकती है। चिकेनपॉक्स की समस्या होने पर स्किन संबंधी इंफेक्शन हो जाते हैं। इसके अलावा निमोनिया, डिहाईड्रेशन, दिमागी बुखार यानी इंसेफलाइटिस, टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम यहां तक कि मौत भी होने का खतरा रहता है।

चिकन पॉक्स की गिरफ्त में आने वाले लोग

चिकनपॉक्स होने की सबसे ज्यादा संभावना नवजात शिशु, बच्चे, युवा, ऐसी प्रेगनेंट महिलाएं जिन्हें कभी चिकनपॉक्स न हुआ हो ऐसे लोगों को रहती है। इसके अलावा स्टेरॉयड दवाइयां लेने वाले लोगों को भी चिकनपॉक्स होने का खतरा रहता है। इतना ही नहीं कीमोथैरपी या एचआईवी जैसी गंभीर बिमारियों की वजह से कमजोर हो गए इम्यून सिस्टम वाले लोगों को भी यह बीमारी होने का खतरा रहता है।

Tags:    

Similar News