Health : हार्ट के रोगियों के लिए महौषधि है अर्जुन का वृक्ष

Update: 2018-03-16 11:14 GMT

नई दिल्ली : अर्जुन एक औषधीय और सदा हरा भरा रहने वाला वृक्ष है जो भारत के हर क्षेत्रों में पाया जाता है। आयुर्वेद में अर्जुन के बारे में विस्तार से बताया गया है। अर्जुन के हर हिस्से का इलाज में उपयोग किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार यह हृदय रोगों की महौषधि है ही, आधुनिक विज्ञान के अनुसार भी इसकी छाल के चूर्ण को हृदय रोग, कोलेस्ट्रोल, उच्च रक्तचाप, रक्तपित्त तथा प्रदर आदि रोगों में बहुत उपयोगी माना जाता है। असली अर्जुन की छाल अन्दर से लाल रंग की तथा पेड़ से उतारने पर चिकनी चादर के रूप में उतरती है। इसका ही अधिक उपयोग किया जाता है।

हृदय को देता है पोषण

हृदय रोगों में अर्जुन छाल को लेने की सबसे ज्यादा प्रचलित विधि 'अर्जुन छाल' क्षीर पाक है। इसके लिए 250 ग्राम बिना मलाई का दूध और 250 ग्राम पानी लेकर उबालें। उसमें तीन ग्राम अर्जुन छाल चूर्ण डालें। केवल दूध शेष रहने पर गुनगुना पीएं। इससे हृदय की धड़कन नियमित व व्यवस्थित होती है। हृदय को पोषण मिलता है जिससे हृदय रोगों से बचाव होता है।

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कोलेस्ट्रोल घटता है

एक गिलास पानी लें, उसमे तीन ग्राम अर्जुन त्वक चूर्ण डालकर उबालें, आधा पानी शेष रहने पर सुबह शाम गुनगुना पी लें। इससे बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रोल कम होता है। कोलेस्ट्रॉल कम होने से कई बीमारियों में बचाव होता है।

उच्च रक्तचाप

अगर किसी को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है तो अर्जुन के छाल का सेवन करना चाहिए। 3-3 ग्राम चूर्ण को सुबह शाम दूध के साथ लेना उच्च रक्तचाप को कम करता है। किसी एक्सपर्ट की सलाह पर ले सकते हैं।

हड्डी जोडऩे में कारगर

हड्डी टूटने और प्लास्टर किए जाने पर इसकी छाल का चूर्ण चार ग्राम मात्रा में सुबह शाम दूध के साथ लेना हड्डी जोडऩे में सहायता करता है। अगर किसी की हड्डियां कमजोर है तो उसको भी एक्सपर्ट की सलाह लेकर ले सकते हैं।

अर्जुन छाल की चाय

चाय पत्ती की बजाय अर्जुन छाल को पानी में उबाल कर उसमे दूध एवं चीनी डाल कर पीना हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रोल में बहुत फायदेमंद है। इस चाय के साइड इफेक्ट भी नहीं होता है। हृदय रोगों की प्रकृति गंभीर होती है अत: चिकित्सक की देख रेख में रहकर ही इन उपायों का सेवन करना चाहिए।

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