Hindi Kavita: बड़ा करारा घाम लगत हौ

Hindi Kavita: तपै जेठ के गरम महीना।तर तर तर चुवै पसीना

Newstrack :  Network
Update:2024-05-11 14:09 IST

Hindi Kavita ( Social Media Photo)

तपै जेठ के गरम महीना।

तर तर तर चुवै पसीना ।

एही में न्योता और हकारी।

केहु के ब्याह परल ससुरारी।

चार ठों न्योता गांव में बाटै।

ई दुपहरिया दौड़े काटै।

बुद्धु के माई क तेरही।

साढ़ू के घर बाटै बरही।

एक अकेले जीव मुरारी।

केकरे केकरे जाँय दुआरी।

रस्ता रास्ता जाम लगत हौ।

बड़ा करारा घाम लगत हौ।।

बब्बू क तिलकहरू अइलन।

छेना और समोसा खइलन।

चाय पकौड़ी पान सोपारी।

फोकट क चाँपैं बनवारी ।

लेन देन क बात चलत हौ।लेकिन सौदा नाही पटत हौ।

अगुआ उहै खेलावन कक्का।

कहेलन हम देबै दुई चक्का ।

विटिया इंटर पास बा भाई।

तोहरै कुल के दिया जराई।

लेकिन समधी माँगें कार ।

प्रेम परस्पर सब बेकार।

समधी बाटें बड़ा लालची।

इहाँ न केहु क दाल गलत हौ।

बड़ा करारा घाम लगत हौ।।

आठे बजे से लूह चलत हौ।

तिनका तिनका आग जरत हौ।

एहर पियासल चिरई कउआ।

ओहर फलाने लें दुई पौआ।

मेहरारुन में होय गलचउर ।

पडित के घर परल बा सऊर।

एक न लइका अठइँ विटिया।

खड़ी भइल पडित के खटिया।

मड़ई में खूब तास होत बा।

बात बात पर हास होत बा।

मुँह झुराय भइल बा करिया।

जख लगत बा अब दुपहरिया।

गुस्सा बरै जब एही बीच मे।

मेहरारुन क काम लगत हौ।

बड़ा करारा घाम लगत हौ।

( सोशल मीडिया से साभार।)

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