वाराणसीः अब दिल में छेद होने पर भी मरीजों को आॅपरेशन नहीं करवाना पड़ेगा। बीएचयू के डॉक्टरों ने ये ऐतिहासिक कारनामा कर दिखाया है। ह्रदय रोग विभाग ने इस नए अध्याय की शुरुआत की है। विभाग ने बिना सर्जरी के ह्दय के छेद (आट्रीरियल सेप्टल डिफेक्ट) का सफलतापूर्वक इलाज किया है। ये कारनामा डा. धर्मेन्द्र जैन एवं उनकी टीम ने बीएचयू के ह्दय रोग विभाग में किया।
नई दिल्ली के 'फोर्टीस हॉस्पिटल' के डा. सुशील आजाद भी आॅपरेशन में मौजूद थे। ये इलाज शर्ट के बटन जितनी दिखने वाली डिवाइस से हुआ। इसे पैर की नस में कैथेटर ट्यूब डालकर ह्रदय तक पहुंचाकर छेद में प्रत्यारोपित कर दिया गया। मरीजों को 2 दिनों तक निगरानी में रखा गया। इसके बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई।
पहली बार शुरू हुआ इलाज
-डॉ. धर्मेन्द्र जैन ने बताया कि ह्दय के विकार बच्चों में बहुत पाए जाते हैं।
-सामान्य रूप से इनकी पहचान उम्र बढ़ने के साथ ही हो पाती है।
-इसकी वजह से कई मरीजों को जान गंवानी पड़ती है।
बीएचयू के कुलपति ने दी बधाई
-बिना किसी दर्द एवं चीरे के निशान के ये तकनीक कारगर साबित हुई है।
-बीएचयू के कुलपति प्रो. गिरीश चन्द्र त्रिपाठी ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए पूरी टीम को बधाई दी।
-बीएचयू में शुरु हुई ये तकनीक गरीब मरीजों के लिए वरदान साबित होगी।
आॅपरेशन मे मौजूद डॉक्टर
डा. वीके शुक्ला, निदेशक, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, डा. गीता सुब्रामण्यनम विभागाध्यक्ष, ह्रदय रोग एवं डा केके गुप्ता, अधीक्षक, सर सुन्दरलाल अस्पताल के नेतृत्व में बच्चों के ह्दय रोगों की इलाज की नई शुरुआत हुई है। बीएचयू के ह्रदय रोग विभाग में पिछले 5 वर्ष में लगभग 1500 एंजियोपलास्टी, 6000 एन्जियोग्राफी, 1200 परमानेन्ट पेसमेकर, 2,000 अस्थायी पेसमेकर लगाया जा चुका है।