Space Travel Affect: अंतरिक्ष से लौटने पर शरीर को किन बदलावों से गुजरना पड़ता है? आइये जानते हैं

Space Travel Affect Human Body: अंतरिक्ष यात्रा रोमांचक और महत्वपूर्ण होते हुए भी मानव शरीर पर गहरा प्रभाव डालती है, जिससे वापसी के बाद पुनर्वास प्रक्रिया आवश्यक हो जाती है।;

Written By :  Shivani Jawanjal
Update:2025-03-20 17:49 IST

How Does Space Travel Affect Astronauts Body (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Space Travel Effects On Astronauts Body: अंतरिक्ष यात्रा (Space Travel) मानव जाति के लिए एक अद्भुत उपलब्धि है, लेकिन यह यात्रियों के शरीर और दिमाग पर गहरा प्रभाव डालती है। अंतरिक्ष में महीनों या वर्षों तक रहने के बाद जब कोई अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर लौटता है, तो उसे कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। माइक्रोग्रैविटी (शून्य गुरुत्वाकर्षण) में रहने के कारण शरीर की प्राकृतिक संरचना और कार्यप्रणाली बदल जाती है।

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने के बाद शरीर में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं और वापस लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को किन समस्याओं से जूझना पड़ता है।

अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर पर होने वाले प्रभाव (Effects on Astronauts Body)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

हड्डियों और मांसपेशियों पर प्रभाव (Effect On Bones And Muscles)

अंतरिक्ष (Space) में गुरुत्वाकर्षण (Gravity) न होने के कारण शरीर को अपना भार सहन करने की आवश्यकता नहीं पड़ती, जिससे हड्डियाँ और मांसपेशियाँ धीरे-धीरे कमजोर होने लगती हैं। पृथ्वी पर हमारी हड्डियाँ गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध लगातार काम करती हैं, जिससे वे मजबूत बनी रहती हैं। लेकिन अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने से हड्डियों का घनत्व (Bone Density) हर महीने लगभग 1-2% तक घट सकता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

इसी तरह, गुरुत्वाकर्षण के अभाव में मांसपेशियों का सही तरीके से उपयोग नहीं हो पाता, जिससे वे कमजोर और शिथिल हो जाती हैं। यही कारण है कि अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर लौटने के बाद कई हफ्तों तक नियमित व्यायाम करते हैं, ताकि उनकी मांसपेशियों की ताकत और लचीलापन वापस आ सके।

संतुलन और चक्कर आने की समस्या (Balance and Dizziness Problem

अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के बाद जब कोई व्यक्ति पृथ्वी पर लौटता है, तो उसे संतुलन बनाए रखने में कठिनाई होती है। माइक्रोग्रैविटी के कारण शरीर को गुरुत्वाकर्षण का सामना नहीं करना पड़ता, जिससे कान के अंदर मौजूद वेस्टिबुलर सिस्टम, जो संतुलन बनाए रखने में मदद करता है, अपनी सामान्य कार्यप्रणाली खो देता है। इसके परिणामस्वरूप, अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर लौटते ही चक्कर आने, दिशा भ्रम, सिर भारी लगने और लड़खड़ाने जैसी समस्याओं का अनुभव कर सकते हैं।

कई मामलों में, उन्हें चलने-फिरने और सामान्य दैनिक गतिविधियाँ करने में भी परेशानी होती है। हालांकि, समय के साथ उनका शरीर पुनः अनुकूलित हो जाता है और संतुलन बहाल होने लगता है।

हृदय और रक्त संचार पर प्रभाव (Effects On Heart And Blood Circulation)

गुरुत्वाकर्षण की अनुपस्थिति में शरीर में रक्त का प्रवाह असमान हो जाता है, जिससे कई शारीरिक परिवर्तन होते हैं। अंतरिक्ष में रक्त संचार ऊपरी शरीर, विशेष रूप से सिर और छाती की ओर अधिक हो जाता है, जिसके कारण चेहरे पर सूजन आ सकती है और पैरों की मांसपेशियाँ पतली हो सकती हैं।

इसके अलावा, गुरुत्वाकर्षण के अभाव में हृदय को रक्त पंप करने के लिए उतनी मेहनत नहीं करनी पड़ती, जिससे उसकी मांसपेशियाँ कमजोर हो सकती हैं। जब अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर लौटते हैं, तो उनके शरीर को फिर से गुरुत्वाकर्षण के अनुरूप ढलने में समय लगता है। इस दौरान वे लो ब्लड प्रेशर, बेहोशी और अत्यधिक थकावट जैसी समस्याओं का सामना कर सकते हैं।

आँखों और दृष्टि पर प्रभाव (Effects on Eyes and Vision)

अंतरिक्ष यात्रा का नकारात्मक प्रभाव अंतरिक्ष यात्रियों की दृष्टि पर भी पड़ता है। माइक्रोग्रैविटी के कारण सिर में द्रव का पुनर्वितरण होता है, जिससे आँखों पर दबाव बढ़ता है। यह स्थिति स्पेस फ्लाइट एसोसिएटेड न्यूरो-ऑक्युलर सिंड्रोम (SANS) के रूप में जानी जाती है, जिसमें आँखों की नसें प्रभावित होती हैं और दृष्टि धुंधली हो सकती है। कई अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी पर लौटने के बाद पढ़ने में कठिनाई महसूस करते हैं, और उनकी दृष्टि पूरी तरह सामान्य होने में कई महीने लग सकते हैं।

शोध से यह भी पता चला है कि यह समस्या पुरुष अंतरिक्ष यात्रियों में महिलाओं की तुलना में अधिक देखी जाती है। वैज्ञानिक अभी तक इस अंतर का सटीक कारण नहीं समझ पाए हैं, लेकिन वे इस प्रभाव को कम करने के लिए निरंतर अध्ययन कर रहे हैं।

प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी - (Weakness Of Immune System)

अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। माइक्रोग्रैविटी और अंतरिक्ष में मौजूद विकिरण के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली की कार्यक्षमता प्रभावित होती है, जिससे शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप, पृथ्वी पर लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को सामान्य बीमारियों, जैसे जुकाम और फ्लू, से संक्रमित होने का अधिक खतरा रहता है।

इस चुनौती से निपटने के लिए NASA और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियाँ विशेष टीकाकरण कार्यक्रमों और पोषण संबंधी योजनाओं पर काम कर रही हैं, ताकि अंतरिक्ष यात्रियों की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखा जा सके।

मानसिक और भावनात्मक प्रभाव - (Mental and Emotional Effects)

अंतरिक्ष यात्रा शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी अत्यधिक चुनौतीपूर्ण होती है। लंबे समय तक सीमित स्थान में रहने के कारण अंतरिक्ष यात्रियों को अकेलापन और अलगाव महसूस हो सकता है, जिससे उनका मानसिक संतुलन प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा, उच्च दबाव, सीमित संसाधन और कठिन कार्य परिस्थितियों के कारण वे लगातार तनाव और चिंता का अनुभव कर सकते हैं। ये मानसिक दबाव उनके निर्णय लेने की क्षमता और संज्ञानात्मक कौशल को भी प्रभावित कर सकते हैं। जब वे पृथ्वी पर लौटते हैं, तो उन्हें अपने सामाजिक जीवन में पुनः घुलने-मिलने में कठिनाई हो सकती है।

कई अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी की बदलती परिस्थितियों के अनुकूल होने में समय लेते हैं और कभी-कभी अवसाद, चिड़चिड़ापन या भावनात्मक अस्थिरता जैसी समस्याओं का सामना करते हैं। यही कारण है कि अंतरिक्ष यात्रियों के मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए विशेष प्रशिक्षण और समर्थन प्रणाली विकसित की जाती है।

अंतरिक्ष यात्रियों की रिकवरी प्रक्रिया - (Recovery Process for Astronauts)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

जब अंतरिक्ष यात्री लंबे समय तक माइक्रोग्रैविटी में रहते हैं, तो उनके शरीर और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। पृथ्वी पर लौटने के बाद, उनकी सामान्य जीवनशैली में वापसी के लिए एक सुव्यवस्थित पुनर्वास (Rehabilitation) प्रक्रिया अपनाई जाती है। यह प्रक्रिया कई चरणों में पूरी की जाती है, जिसमें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को पुनः स्थापित करने के लिए विभिन्न उपाय किए जाते हैं।

व्यायाम कार्यक्रम (Exercise Program)

अंतरिक्ष में कम गुरुत्वाकर्षण के कारण मांसपेशियों और हड्डियों की ताकत कमजोर हो जाती है। इसलिए, पृथ्वी पर लौटने के बाद एक नियमित व्यायाम कार्यक्रम अपनाया जाता है, जिसमें शामिल हैं:

• मांसपेशियों को मजबूत करने वाले व्यायाम - भार उठाने और प्रतिरोध व्यायाम किए जाते हैं ताकि मांसपेशियों की खोई हुई ताकत वापस आ सके।

• संतुलन और समन्वय व्यायाम - अंतरिक्ष में रहने के कारण संतुलन की क्षमता प्रभावित हो जाती है, जिसे ठीक करने के लिए संतुलन सुधारने वाले अभ्यास कराए जाते हैं।

• हृदय संबंधी व्यायाम - दौड़ना, साइकिल चलाना और कार्डियो व्यायाम किए जाते हैं ताकि हृदय की कार्यक्षमता सामान्य हो सके।

पोषण युक्त आहार (Nutritional Diet)

• हड्डियों की मजबूती के लिए - कैल्शियम और विटामिन D से भरपूर खाद्य पदार्थ दिए जाते हैं, ताकि हड्डियों का घनत्व पुनः बढ़ाया जा सके।

• मांसपेशियों के पुनर्निर्माण के लिए - उच्च प्रोटीन युक्त आहार दिया जाता है, जिससे मांसपेशियों की रिकवरी तेजी से हो सके।

• हाइड्रेशन बनाए रखना - शरीर में जल संतुलन बनाए रखने के लिए अधिक मात्रा में तरल पदार्थ दिए जाते हैं।

फिजिकल थेरेपी (Physical Therapy)

• लंबे समय तक माइक्रोग्रैविटी में रहने से चलने और खड़े होने की क्षमता कमजोर हो जाती है।

• इसलिए, फिजिकल थेरेपिस्ट की मदद से अंतरिक्ष यात्रियों को धीरे-धीरे सामान्य गतिशीलता में वापस लाने के लिए विशेष थेरेपी कराई जाती है।

• इसमें फिजियोथेरेपी, संतुलन अभ्यास और मोटर स्किल सुधारने के लिए गतिविधियाँ शामिल होती हैं।

मनोवैज्ञानिक परामर्श (Psychological Counselling)

• अंतरिक्ष में अकेलापन, तनाव और सामाजिक अलगाव का सामना करने के कारण मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।

• पृथ्वी पर लौटने के बाद, अंतरिक्ष यात्री मानसिक रूप से सामान्य महसूस करें, इसके लिए मनोवैज्ञानिक परामर्श दिया जाता है।

• समूह थैरेपी, काउंसलिंग सेशन और विश्राम तकनीकों का उपयोग किया जाता है ताकि वे मानसिक रूप से मजबूत बने रहें।

विशेष मेडिकल चेकअप (Special Medical Checkups)

• हृदय स्वास्थ्य की जाँच – अंतरिक्ष में रहने के कारण रक्त संचार प्रणाली पर प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए हृदय की नियमित जाँच की जाती है।

• आँखों की जाँच – कुछ अंतरिक्ष यात्रियों को दृष्टि संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं, इसलिए नेत्र परीक्षण किए जाते हैं।

• प्रतिरक्षा प्रणाली की जाँच – अंतरिक्ष से लौटने के बाद शरीर की प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित हो सकती है, इसलिए इसका भी परीक्षण किया जाता है।

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