लखनऊ: गांवों में या शहरों में आपने तंदूर देखा होगा। तंदूर की रोटी आपने ढ़ाबे या होटल पर खाई ही होगी। अक्सर गांव में खाना बनाने के लिए लकड़ी और कोयले का इस्तेमाल होता है। वो इसलिए ताकि स्वाद में चार चांद लग जाए। तंदूर का इस्तेमाल आजकल चाय (Tandoori Chai) बनाने के लिए भी हो रहा है और उसका स्वाद लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है....
मिट्टी की खूशबू बढ़ा देती है स्वाद
तंदूर मिट्टी का बना होता है। इसमें भी लकड़ी और मिट्टी का कोयला डाल कर पकाया जाता है। इसमें आप जो कुछ भी पकाते हैं उसमें मिट्टी की प्राकृतिक खूशबू होती है। तंदूर स्वाद को बदल देता है और चीजों का जायका बढ़ा देता है।
चाय के स्वाद को बेहतर बनाने के लिए होता है 'तंदूर' का इस्तेमाल
राजस्थान के उदयपुर में तंदूर की चाय बेहद मशहूर है। जब हम तंदूर की चाय पीने आए तो हमने सबसे पहले देखा कि अरे ये चाय तंदूर में नहीं गैस में बन रही है। फिर समझ आया की तंदूर का इस्तेमाल चाय बनाने में नहीं बल्कि चाय का स्वाद बदलने और बेहतर बनाने के लिए किया जाता है।
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ऐसे बनती है तंदूर की चाय:
तंदूर की चाय बनाने के लिए सबसे पहले तंदूर में कोयले को गर्म किया जाता है। फिर इसकी आंच में मिट्टी के कुल्हड़ को पकाया जाता है। तंदूर लगातार इन कुल्हड़ों को पकाता रहता है। जब चाय गैस पर बनकर तैयार हो जाती है, तो फिर तंदूर से कुल्हड़ को निकाला जाता है और उसमें चाय डाली जाती है। इस कुल्हड़ से चाय का स्वाद बदल जाता है और चाय का स्वाद कई गुना बढ़ जाता है।
सिर्फ 20-30 रुपए में मिलने वाली इस चाय का स्वाद बेहद बेहतरीन होता है। राजस्थान जाएं तो इस चाय का लुफ्त जरुर उठाएं। इसी के साथ ही यहां गर्मागर्म कुल्हड़ की चाट भी मिलती है। इसमें चावल-राजमा, मसाले और प्याज और सेव डालकर इसे सजाया जाता है। चाय के साथ ये चाट मिल जाए तो क्या कहने। आप जब भी उदयपुर जाएं तो इसका लुफ्त जरुर उठाएं।