जंक फ़ूड छीन रहा लड़कियों का माँ बनने का सपना, PCOS और एमेनोरिया बढ़ा रहा बाँझपन

बर्गर, पिज़्ज़ा, कोल्ड ड्रिंक, मोमोज़ , चौमिन... का नाम सुनते ही लड़कियों के मुंह में पानी आ जाता है. अगर आप भी इन सभी चीज़ों की शौक़ीन हैं, तो सतर्क हो जाइए. जंक  फ़ूड का हद से ज़्यादा सेवन आपको बाँझपन की तरफ धकेल सकता है . आज के समय में पीसीओस यानी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम नाम की एक गम्भीर बीमारी ने लड़कियों , खासकर यंग गर्ल्स   को अपना निशाना बना लिया है। इस गम्भीर बीमारी में महिलाओं की प्रजनन क्षमता काफी हद तक प्रभावित होती है।

Update:2018-11-30 21:36 IST

लखनऊ: बर्गर, पिज़्ज़ा, कोल्ड ड्रिंक, मोमोज़ , चौमिन... का नाम सुनते ही लड़कियों के मुंह में पानी आ जाता है. अगर आप भी इन सभी चीज़ों की शौक़ीन हैं, तो सतर्क हो जाइए। जंक फ़ूड का हद से ज़्यादा सेवन आपको बाँझपन की तरफ धकेल सकता है। आज के समय में पीसीओस यानी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम नाम की एक गम्भीर बीमारी ने लड़कियों , खासकर यंग गर्ल्स को अपना निशाना बना लिया है। इस गम्भीर बीमारी में महिलाओं की प्रजनन क्षमता काफी हद तक प्रभावित होती है। इंडियन मीनोपॉज सोसाइटी की वाईस प्रेज़िडेंट और फेडरेशन ऑफ ऑब्स्ट्रेस्टिक्स गायनाकोलॉजिस्ट ऑफ इंडिया की मेंबर डॉ यशोधरा के मुताबिक पिछले 1 साल में पीसीओस में 2 प्रतिशत का इजाफा हुआ है यानी 1 साल के अंदर ही इस बीमारी के 2000 मरीज़ बढ़ गए हैं। वहीं जर्नल ऑफ पीडिएट्रिक एंड एडोलसेंट गाईनाकॉलोजी के सर्वे के मुताबिक भारत में 2 से 26 प्रतिशत महिलाओं को यह बीमारी है। जिसमें 9 प्रतिशत महिलाएं 25 से कम वर्ष की हैं।

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पीसीओस बढ़ा सकती है कैंसर का खतरा

पीसीओस यानी पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम महिलाओं में होने वाली एक खास तरह की बीमारी है जिसमें ओवरी में गांठे बनने के कारण पीरियड्स आने बंद हो जाते जिससे ओवरी में भारीपन आ जाता है। इसे ही पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिज़ीज़ कहते हैं। अगर समय रहते इसका इलाज न हुआ तो आगे चलकर यह महिलाओं में कैंसर का खतरा बढ़ा देती है।

पीरियड्स में देरी होने पर तुरंत डॉक्टर से मिले

क्वीन मेरी की गाइनाकॉलोजिस्ट डॉ रेखा बताती हैं कि उनकी ओपीडी में आने वाली हर 10 में से 6 महिलाओं को यह बीमारी होती है। वह कहती हैं कि पीसीओस के लक्षणों को अगर शुरूआती दौर में पहचान लिया जाए तो इसका इलाज संभव है। अगर 3 महीनों तक पीरियड्स न आए तो तुरंत डॉक्टर से चेकअप कराएं। इसके साथ ही यूट्रस व स्तनों में भारीपन, वजन का अचानक बढ़ना भी पीसीओस की ओर संकेत करते हैं।ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।

स्ट्रेस और जंक फ़ूड है प्रमुख कारण

होम्योपैथी रिसर्च फाउंडेशन की एक रिसर्च में पाया गया कि पीसीओस से पीड़ित हर तीसरी महिला स्ट्रेस से ग्रसित है। हद से ज़्यादा स्ट्रेस इस बीमारी का मुख्य कारण है। बदलती लाइफ स्टाइल के कारण महिलाओं को अब घर के साथ साथ नौकरी की भी चिंता सताने लगी है। ऐसी स्थिति में उनका तनावपूर्ण होना स्वाभाविक है। यही तनाव आगे जाकर महिलाओं में गम्भीर रोगों को जन्म दे रहा है|

तनाव के अलावा कई अन्य कारण भी पीसीओस की समस्या को बढ़ा रहे हैं। इसमें सबसे प्रमुख कारण है हॉर्मोनल इमबैलेन्स।

कभी कभी जेनेटिक कारणों से भी पीसीओस की समस्या पैदा हो जाती है।इसके अलावा कीमोथेरेपी, एंटीडिप्रेसेंट, ब्लड प्रेशर और एंटी सायकोटिक दवाईयों के साइड इफेक्ट्स भी इस बीमारी को जन्म दे सकते हैं। डॉ यशोधरा के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान खाई जाने वाली दवाईयां भी इस बीमारी को बढ़ा देती हैं। कुछ केसों में एपिलेप्सी की दवाईयां भी इस बीमारी का कारण बन रही हैं। इसके अलावा जंक फूड का अत्यधिक सेवन, देर रात तक जागना और व्यायाम से दूरी इस बीमारी को और जटिल बना रही है।

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पीसीओस का दूसरा रूप है ऐमेनोरिया

पीसीओस की तरह एक अन्य बीमारी भी महिलाओं की प्रजनन क्षमता को कम कर रही है। इस बीमारी का नाम है ऐमेनोरिया। इस बीमारी में महिलाओं को प्री मैच्योर मेनोपॉज़ हो जाता है। जिस कारण वह मां नहीं बन पातीं। ऐमेनोरिया से ग्रसित महिलाओं को आगे चलकर टाइप 2 डाईबिटीज़ , हाई कोलेस्ट्रॉल और दिल के रोग होने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।

अस्पतालों में बढ़ रही पीसीओस के मरीज़ों की तादाद

पीसीओस के रोगियों की संख्या में लगातार इज़ाफ़ा हो रहा है। सिविल अस्पताल की सीनियर गाइनाकोलॉजिस्ट डॉ अर्लिन हीली के मुताबिक 2012 से लेकर अभी तक उनकी ओपीडी में लगातार पीसीओडी के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। हर दिन उनकी ओपीडी में 4 से 6 महिलाएं पीसीओडी का इलाज करवाने आती हैं। इनमें 16 से 25 वर्ष की महिलाओं की संख्या अधिक है। वहीं झलकारीबाई अस्पताल की सीएमएस डॉ सुधा वर्मा ने बताया कि उनके अस्पताल में हर दिन पीसीओडी के 4 से 6 केस आते हैं । उनके मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में पीसीओस की चपेट में आने वाली महिलाओं की संख्या तेज़ी से बढ़ी है। डफरिन और लोहिया अस्पताल में भी पिछले कुछ वर्षों से पीसीओस के मरीज़ों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है।

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शरीर पर उग आते हैं बाल

पीसीओस की चपेट में आने वाली महिलाओं को हरस्यूटिज़म की शिकायत हो जाती है। इस स्थिति में महिलाओं के शरीर पर पुरुषों जैसे बाल उग आते हैं। पीरियड्स रुकने के कारण एंड्रोजन हॉर्मोन की मात्रा शरीर में बढ़ जाती है। इस कारण महिलाओं के चेहरे व जांघों पर अप्राकृतिक रूप से बाल उग आते हैं। इसके साथ ही इस बीमारी में बांझपन , मोटापा, दिल के रोग के साथ ही यूट्रस व ओवरी के कैंसर की संभावना भी बढ़ जाती है।

भ्रांतियों से बचने की है ज़रूरत

डॉ यशोधरा के मुताबिक पीसीओस को लेकर कई भ्रांतियां फैली हैं जैसे कि इस बीमारी का इलाज संभव नहीं है। वह कहती हैं कि पीसीओस का इलाज पूरी तरह संभव है पर कुछ डॉक्टर जानकारी के अभाव में मरीज़ का सही उपचार नहीं कर पाते। पीसीओस एक जटिल समस्या है, इसके सही उपचार के लिए किसी विशेषज्ञ से ही सलाह लें।

डाइबिटीज़ की दवा कर रही कारगर इलाज

क्वीन मैरी की गाइनाकॉलोजिस्ट डॉ रेखा ने अहम जानकारी देते हुए बताया कि शुरुआती दौर के पीसीओस को ओलीगिमोनोरिया कहते हैं जिसमें अनियमित पीरियड की समस्या होती है। इस समस्या में रोगी को मेटफॉर्मिन नाम की दवा दी जाती है जो डाईबिटीज़ के इलाज में काम आती है। इसका कारण यह है कि पीसीओडी में महिलाओं का वजन बहुत तेज़ी से बढ़ता है इसलिए डाईबिटीज़ की दवा इस बीमारी के इलाज में कारगर साबित होती है क्योंकि यह वजन को नियंत्रित करके इस बीमारी को बढ़ने से रोकती है।

ऐसे करें बचाव

डफरिन अस्पताल की सीएमएस डॉ लिली के मुताबिक सन्तुलित और स्वस्थ खानपान से इस बीमारी को रोका जा सकता है। इसके साथ ही महिलाओं को शुरू से ही व्यायाम और योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए जिससे वह स्ट्रेस से बच सकें। अगर शुरुआती दौर से ही महिलाएं अपनी सेहत का ध्यान रखें तो वह इस गम्भीर बीमारी से बच सकती हैं।

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