सावधान : मोबाइल से कैंसर- नपुंसकता कुछ भी हो सकता है

Update:2017-12-22 13:51 IST

लखनऊ : मोबाइल फोन के इस्तेमाल से कैंसर, एकाग्रता, मानसिक सेहत और प्रजनन संबंधी खतरे होते हैं इसके साक्ष्य दिनों-दिन बढ़ते जा रहे हैं। यह चेतावनी एक बार नहीं, बार-बार दी जा चुकी है। अब एक नयी चेतावनी यह दी गयी है कि सिर्फ सोते वक्त ही नहीं, हर समय मोबाइल फोन के रेडियेशन से बचना ही समझदारी है नहीं तो कैंसर से ले कर नपुंसकता कुछ भी हो सकता है। अमेरिका में कैलीफोर्निया राज्य के हेल्थ विभाग ने लोगों से कहा है कि वे अपने शरीर से मोबाइल फोन कई फुट दूर ही रखा करें।

मोबाइल फोन लो-फ्रीक्वेंसी रेडियो सिग्नल के जरिये सूचना का आदान-प्रदान करते हैं। इस प्रक्रिया में सेहत के लिये घातक रेडियेशन उत्पन्न होता है, खास कर उस समय जब हम मोबाइल पर स्ट्रीमिंग (मीडिया फाइल देखना या सुनना) करते हैं यह फिर बड़ी फाइलें डाउनलोड करते हैं। हालांकि शोधकर्ता अभी यह साबित नहीं कर पाये हैं कि मोबाइल फोन का रेडियेशन खतरनाक है लेकिन ढेरों अध्ययन इन दोनों के बीच संबंध की ओर संकेत करते हैं। रेडियेशन का सबसे बड़ा खतरा बच्चों के संग है।

ये सही है कि मोबाइल फोन सूचना के संप्रेषण के लिये जिस रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) का इस्तेमाल करते हैं वह रेडियेशन के स्तरों में बहुत नीचे आता है लेकिन चूंकि मोबाइल फोन लगातार इस्तेमाल किया जाता है और हमारे शरीर के बहुत करीब रहता है सो यही रेडियेशन खतरनाक बन जाता है।

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कई मोबाइल फोन निर्माता स्वयं इस खतरे को स्वीकार करते हैं। एपल कंपनी के आईफोन में सेटिंग्स में 'आरएफ एक्सपोजर नोटिस दी जाती है। इस नोटिस में बताया गया है कि आईफोन का आरएफ एक्सपोजर शरीर से ५ एमएम की दूरी पर नापा गया है। और यह अमेरिका के सुरक्षा मानक के अंदर पाया गया है। लेकिन आईफोन साथ ही एक्सपोजर घटाने की भी सलाह देता है कि यूजर को स्पीकरफोन या हैंड्सफ्री का इस्तेमाल करना चाहिये। लेकिन चिंता की बात ये है कि अधिकांश लोग इन चेतावनियों से अनभिज्ञ हैं।

बहरहाल, कैलीफोर्निया के नये दिशानिर्देशों में बताया गया है कि 'आरएफ' व्यस्कों की बच्चों के मस्तिष्क में आसानी से पैठ करता है। अध्ययनों से पता चला है कि मोबाइल फोन से ब्रेन या कान का ट्यूमर हो सकता है। इसके अलावा रेडियोफ्रीक्वेंसी और लो स्पर्म काउंट के बीच गहरा ताल्लुक पाया गया है।

कई देशों में किये गये अध्ययनों के अनुसार जो पुरुष लंबे समय तक अपनी जेब में मोबाइल फोन रखते हैं उनमें शुक्राणु (स्पर्म) के बहुत निम्र स्तर पाया गया है।

क्या करें

  • मोबाइल पर बात करने के लिये स्पीकरफोन या हेडसेट का इस्तेमाल करें या फिर फोन को अपने कान व सिर से दूर रखें
  • हैंडसेट भी रेडियो फ्रीक्वेंसी छोड़ते हैं सो इनका इस्तेमाल तभी करें जब आपको कॉल करनी हो।

    जहां तक संभव हो, मोबाइल पर बात करने की बजाये टेक्सट मेसेज से काम चलायें

  • मोबाइल फोन को जेब या बेल्ट पर किसी केस में नहीं रखें। इसे बैग या ब्रीफकेस में रख कर कैरी करें।
  • सोते वक्त मोबाइल फोन को बिस्तर से कई फुट दूर रखें। बिस्तर पर या पास की मेज पर कतई फोन न रखें।
  • जब मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं कर रहे हों तब उसे एयरप्लेन मोड में कर दें या स्विच ऑफ कर दें।
  • रेडियेशन या आरएफ ब्लॉक करने वाले कपड़े, डिवाइस या चिप प्रभावी नहीं हो सकती है।

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