Loneliness And Social Media: अकेलेपन की वजह बन रहा है सोशल मीडिया, जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय

Loneliness And Social Media: अकेलापन एक ऐसी समस्या है जो हर किसी की जिंदगी में गाहे-बगाहे आकर उसे खुद को अकेला महसूस करने के लिए मज़बूर कर देता है।

Written By :  Preeti Mishra
Published By :  Deepak Kumar
Update:2022-05-17 15:53 IST

अकेलेपन की मुख्य वजह बन रहा है सोशल मीडिया। (Social Media)

Loneliness And Social Media: अकेलापन एक ऐसी समस्या है जो हर किसी की जिंदगी में गाहे -बगाहे आकर उसे खुद को अकेला महसूस करने के लिए मज़बूर कर देता है। ऐसा जरुरी नहीं है कि अकेलेपन का दंश सिर्फ अकेले रहने के कारण ही हो। बल्कि व्यक्ति भरी भीड़ और भरे-पूरे परिवार में भी खुद को अकेला महसूस कर सकता हैं। अपने दिल की बात दूसरों तक ना पंहुचा पाना या लोगों द्वारा उस व्यक्ति को ना समझ पाना भी व्यक्ति को अकेलेपन की समस्या की ओर धकेल देता है।

जिंदगी की परेशानियों से अकेले लड़ते हुए उदास महसूस करना स्वाभाविक है। लेकिन उदासी और अकेलेपन के बीच बहुत गहरा फर्क होता है। व्यक्ति जब लोगों की जिंदगी में खुद की बहुत कम अहमियत या फिर बिलकुल नहीं देखता है तो संभव है कि वो खुद को अ​केला महसूस करने लगे। इसके अलावा हो सकता है कि कई मौकों पर आप खुद को अकेला महसूस करते हों। संभव है कि आपको किसी खास पार्टी में बुलाया नहीं गया या फिर, आपके खास दोस्त आपको लंच के लिए बुलाना भूल गए। ऐसे में वक्त-बेवक्त खुद को अकेला महसूस करना सामान्य बात है।

हालांकि, कुछ लोगों को अकेलेपन का अहसास बहुत ही ज्यादा परेशान करता है। बता दें कि यही अकेलापन जब कुछ दिन, हफ्ते या महीने तक बना रहे, तो ये आपकी मानसिक सेहत को गंभीर नुकसान भी पहुंचा सकता है। आजकल के टेक्नोलॉजी की दुनिया में लोगों के पास मोबाइल में 1500 से ज्यादा कॉन्टेक्ट नंबर भले ही सेव हो या उनके फेसबुक या सोशल मीडिया पर 4500 से ज्यादा दोस्त हो , लेकिन कई बार हो सकता है कि ऐसे व्यक्ति को भी एक शख्स भी ऐसा नहीं मिले जिससे वो अपने दिल की बात कर सकें।

आधुनिक समाज का शोर -शराबा व्यक्ति को अंदर से और अकेला कर दे रहा है। अपने ही बनाये भरम जाल में फास कर व्यक्ति अपने ही लोगों से दूरियां भी बनाने लगता है। जो आगे चलकर उसके जीवन को अस्त -व्यस्त कर देतीहै। गौरतलब है कि भौतिकता वादी जीवन शैली व्यक्ति के दूसरों के अहसासों को अनुभव करने की क्षमता को ख़तम करता जा रहा है। कई बार व्यक्ति को खुद पता नहीं चलता है कि वो अकेलेपन की तकलीफों से गुजर रहा है। ऐसे में इससे जुड़े कुछ लक्षण भी होते है। जो ये बताते है कि व्यक्ति अकेलेपन की समस्या से गुजर रहा है। क्योंकि इस समस्या में व्यक्ति बाहरी रूप से बिल्कुल नार्मल लगता है , लेकिन उसके अंदर भावनाओं का एक समंदर उमड़ा होता है जो उसे खुद को अकेला महसूस करने के लिए मज़बूर कर देता है।

अकेलेपन के लक्षण (Signs of Loneliness):

जब व्यक्ति खुद के अंदर अकेले होने की भावना और दूसरों से कटकर रहने का अहसास लंबे वक्त तक बना रहता है, इसके बावजूद कि आप असल में अपने आसपास ढेर सारे इंसानों से घिरे हुए हैं, न तो आप क्वालिटी टाइम बिता पा रहे हैं और न ही इस स्थिति से निकलने का कोई रास्ता तलाश पा रहे हैं। तो ऐसी स्थिति बताती है व्यक्ति अकेलेपन की समस्या से गुजर रहा है।

लंबे समय तक अकेले रहने पर ऊर्जा में कमी या सोचने में समस्या आना, नींद में समस्या , खाने का दिल न करना, ज्यादा पीना या दवाओं का इस्तेमाल करना, हताश, निराश हो जाना, डिप्रेशन की भावनाओं का बढ़ना, एंग्जाइटी/व्याकुलता का बढ़ना, अक्सर बीमार रहना, शरीर के कुछ हिस्सों या पूरे शरीर में दर्द रहना, सिरदर्द, माइग्रेन, पेट दर्द या मांसपेशियों में दर्द या खिंचाव, बहुत ज्यादा शॉपिंग करना , कुछ चीजों के लिए बहुत ज्यादा लगाव बढ़ जाना, बहुत ज्यादा टीवी देखना जैसी समस्यायें हो सकती हैं।

अकेलेपन के भी कुछ प्रकार होते है

अगर आप अकेला महसूस कर रहे हैं, तो इस बात की काफी संभावनाएं हैं कि आप उस भावना में ​अकेले नहीं हैं। बल्कि, अकेलापन इतनी सामान्य समस्या है कि शोधकर्ताओं ने भी इसे तीन मुख्य कैटेगरी में बाँट दिया है। जिनमें ये प्रमुख हैं :

परिस्थितिजन्य अकेलापन (Situational Loneliness)

हालातों से उपजने वाला यह अकेलापन तब होता है जब आपकी जिंदगी में कोई बदलाव होता है। इन हालातों की वजह से भी आप खुद को अकेला महसूस कर सकते हैं। लेकिन, ज्यादातर लोगों में वक्त बीतने के साथ इस तरह का अकेलापन खुद ब खुद दूर होने लगता है। क्योंकि, लोग परिस्थितियों के साथ या तो ढल जाते हैं या फिर समझौता भी कर लेते हैं।कई बार हो सकता है आप नए स्कूल में गए हों, या फिर आप अपने दोस्तों और ​परिवार से दूर आ गए हों, या आपके नए शेड्यूल ने आपको लोगों से मिलने और उन जगहों पर जाने से रोक दिया है, जहां जाने से आपको खुशी मिलती थी।ऐसी स्तिथि में होने वाले अकेलापन परिस्थितिजन्य कहलाता है।

विकास से जुड़ा अकेलापन (Developmental Loneliness)

इसमें इंसान को महसूस हो सकता है कि हर कोई उसके बिना ही आगे बढ़ता जा रहा है जबकि वह कहीं पीछे छूटता जा रहा है। इसके अलावा आपको यह भी महसूस हो सकता है कि कभी आपके साथ रहे लोग टेस्ट क्लियर कर रहे हैं, प्रमोशन पा रहे हैं या अपनी फैमिली शुरू कर रहे हैं। कई बार खुद के पीछे छूट जाने का अहसास या इस तरह की भावनाएं भी अकेलेपन की समस्या को जन्म देती हैं।

आंतरिक अकेलापन (Internal Loneliness)

ऐसे लोगों (जो आपको पसंद करते हैं और आपसे प्रेम करते हैं) के बीच में घिरे होने के बावजूद भी आपके दिल में खुशी का कतरा तक नहीं आता है और खुद को अकेला महसूस करते हैं। कई बार, लोग खुद को तब भी अकेला महसूस करते हैं जब वह बिल्कुल अकेले नहीं होते हैं। आंतरिक अकेलापन तब आता है जब व्यक्ति हर स्थिति में खुद को अकेला महसूस करने का मन बना चूका होता हैं।

अकेलेपन के कुछ विशेष कारण

  • कई बार जब आप जिंदगी में किसी बड़े परिवर्तन का अनुभव कर रहे हों। या, फिर वो दोस्त जो आपके बहुत करीब था, अब आप उसके साथ नहीं हैं। या, फिर आप किसी ऐसे शख्स को नहीं तलाश पा रहे हैं जिससे अपने मन की बात कह सकें। ऐसे बहुत से अन्य कारण भी हैं जिनकी वजह से आप खुद को अकेला महसूस कर सकते हैं। अगर आप किसी खास कारण को नहीं तलाश पा रहे हैं कि आप इतने अकेले क्यों हैं? तो, एक नज़र अपनी ज़िंदगी में बीते हुए वक्त और घटनाओं पर डालने की कोशिश जरूर कीजिए। आपको इसका समाधान वहीं पर मिल जाएगा।
  • जिंदगी में बीती हुई घटनाएं जैसे, करीबी दोस्त या परिवार से दूर जाना, दोस्त या बहुत करीबी को खो देना, परिवार/रूममेट्स के साथ रहने बाद अचानक अकेले रहने लगना
  • नए लोगों से मिलने में हिचकन, कमजोर शारीरिक या मानसिक सेहत की वजह से, खुद को नकारे जाने के भय से सामाजिक मेलजोल से बचना, हाल में रिटायर होने, नौकरी छोड़ने या नौकरी चले जाने के बाद, भाषाई समस्या होने के कारण, अलग संस्कृति के लोगों के बीच रहने के कारण, भौगोलिक समस्याओं के कारण लोगों से संपर्क न कर पाने के कारण, सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा समय बिताना आदि के कारणों की वजह से भी व्यक्ति अकेलेपन की समस्या से ग्रसित हो सकता है।

अकेलेपन को दूर करने के उपायें

  • अकेलापन, एक ऐसी समस्या है जिससे आतंरिक मज़बूती के साथ निपटा न जा सकता है । व्यक्ति सिर्फ अपने नज़रिए को बदलकर भी दुनिया के बदले रूप को देख सकता है। सिर्फ जरुरत है खुद में यकीन पैदा कर इस समस्या को दूर करने की:
  • आजकल के आधुनिक समाज में लोगों से संपर्क साधने के बहुत सारे तरीके हैं। सिर्फ उन रास्तों को अपनाने के लिए खुद को तैयार करना है। आपको ऐसे लोगों से संपर्क करना चाहिए जिनके साथ रहने से आपको खुशी मिलती है। ऐसे लोगों को तलाशें और उन्हें टेक्स्ट मैसेज भेजें। उन्हें बताएं कि आप आज भी उन्हें पसंद करते हैं और उनकी​ फिक्र करते हैं। अपने दोस्तों और परिवार वालों से पुराने मन मुटाव को दूर करके आगे बढ़ना बेहद जरुरी है ।
  • लोगों से बात करने की कोशिश करना भी इस समस्या को दूर करता है। कई स्टडीज बताती हैं कि, दूसरों से खुले दिल से मिलने पर वही लोग आपकी जिंदगी में खुशी की वजह बनने लगते हैं। सिर्फ एक मुस्कराहट के साथ आप लोगों से मिलना शुरू कर दें और आप पायेंगें कि आपके लाइफ में कई दोस्त आ गए।
  • पेरेंट्स के साथ रहना हमेशा से ही सुकून भरा होता है। साइंस के मुताबिक, पेट्स आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं। पेट्स आपके स्ट्रेस को कम करने और एंग्जाइटी के लक्षणों को दूर करने में मदद कर सकते हैं। गौरतलब है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहना मनुष्य की जरुरत के साथ -साथ शक्ति भी है । ​लेकिन बावजूद इसके अकेलापन होना कोई असामान्य बात नहीं है। इसे आसानी से आप अपने मनोबल से दूर कर सकते हैं।
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