वाहनों के धुएं से रहें दूर वरना हो सकता है ऑस्टियोपोरोसिस
प्रदूषण और तनाव के कारण महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस रोग बढ़ रहा है। धूप से बचने की प्रवृत्ति, कैल्शियम युक्त आहार के कम सेवन और बढ़ते प्रदूषण के कारण भारत की महिलाओं में हड्डियों को खोखला बना देने वाली खामोश बीमारी 'ऑस्टियोपोरोसिस' का खतरा बढ़ रहा है।
प्रदूषण और तनाव के कारण महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस रोग बढ़ रहा है। धूप से बचने की प्रवृत्ति, कैल्शियम युक्त आहार के कम सेवन और बढ़ते प्रदूषण के कारण भारत की महिलाओं में हड्डियों को खोखला बना देने वाली खामोश बीमारी 'ऑस्टियोपोरोसिस' का खतरा बढ़ रहा है। कम उम्र की लड़कियों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं और मेनोपॉज़ होने के बाद महिलाओं में आदतन कैल्शियम का सेवन कम होता है, जो ओस्टियोपोरोसिस का मुख्य कारण है।
प्रदूषण के कारण कम उम्र की महिलाएं भी हो रहीं शिकार
केजीएमयू के आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. अजय सिंह का कहना है कि वातावरण में बढ़ता प्रदूषण इस बीमारी को और फैला रहा है। गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ कम उम्र की महिलाओं में इस समस्या को जन्म दे रहा है। ईंधन का धुआं और गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण महिलाओं की हड्डियों को कमज़ोर बना रहा है।
यह भी पढ़ें: करतारपुर कॉरिडोर: कैप्टन अमरिंदर ने जनरल बाजवा को दी चेतावनी
पहले तक यह बीमारी मेनोपॉज़ के बाद होती थी। लेकिन अब यह 25 से 30 साल तक की महिलाओं को भी अपनी चपेट में ले रही है। बढ़ता प्रदूषण महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो रहा है। महिलाओं को वायु प्रदूषण से खुद को बचाने की कोशिश करनी चाहिए।
महिलाओं में स्वास्थ्य के प्रति है अनदेखी
भारतीयों में जीवन प्रत्याशा बढ़ने के साथ-साथ महिलाओं में विटामिन-डी की कमी का प्रकोप भी बढ़ रहा है। विटामिन-डी की कमी की समस्या के साथ-साथ कम मात्रा में कैल्शियम का सेवन और ऑस्टियोपोरोसिस के बारे में बहुत कम जागरूकता भारतीय महिलाओं में इस बीमारी को और व्यापक बना रही है।
महिलाओं को है ज्यादा खतरा
ऑस्टियोपोरोसिस यानी हड्डियों का कमजोर होना ऐसी समस्या है, जिसका उम्रदराज लोगों को अधिक सामना करना पड़ता है। 50 साल की उम्र के बाद हर तीन में एक महिला को यह समस्या होती है। ये समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज़्यादा होती है।
यह भी पढ़ें: जन चेतना यात्रा के जरिये बच्चों ने दिया सर्वधर्म समभाव और भाईचारे का सन्देश
आंकड़े बताते हैं कि पूरी दुनिया में हर तीन में से एक महिला और हर पांच में से एक पुरुष को ऑस्टियोपोरोसिस के कारण फ्रैक्चर होने का जोखिम बना रहता है। इसलिए इस समस्या के बारे में तथा इससे बचाव के तरीकों के बारें में जानकारी होना बेहद जरूरी हो जाता है।
अनियमित दिनचर्या भी एक कारण
आधुनिक जीवनशैली, निष्क्रिय रहने की आदत, शराब और तंबाकू का सेवन, धूम्रपान, अधिक कैलोरी और जंक फूड का सेवन जैसी शहरी खान-पान की आदतें, भोजन में मिलावट और कम उम्र में डायबिटीज़ और डायबिटीज़ मेलिटस होने की वजह से भी कम उम्र की महिलाएं इस बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील हो रही हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस क्या है?
ऑस्टियोपोरोसिस को आम भाषा में पोरस बोन्स भी कहा जाता है। यानी ऐसी बीमारी, जिसमें हड्डियों की क्वालिटी और डेंसिटी कम होती जाती है। ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण जल्दी दिखाई नहीं देते हैं। दरअसल हमारी हड्डियां कैल्शियम, फॉस्फोरस और प्रोटीन के अलावा कई प्रकार के मिनरल्स से बनी होती हैं।
यह भी पढ़ें: कोटा से Modi LIVE: आपका एक वोट मोदी की इन चोर-लुटेरों से रक्षा करेगा
लेकिन अनियमित जीवनशैली और बढ़ती उम्र के साथ ये मिनरल नष्ट होने लगते हैं, जिस वजह से हड्डियों की डेंसिटी कम होने लगता है और वे कमजोर होने लगती हैं। कई बार तो हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि काई छोटी सी चोट भी फ्रैक्चर का कारण बन जाती है। गौरतलब है कि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक महिलाओं में हीप फ्रेक्चर (कुल्हे की हड्डी का टूट जाना) की आशंका, स्तन कैंसर, यूटेराइन कैंसर तथा ओवेरियन कैंसर जितनी ही है।
क्या हैं लक्षण
यूं तो शुरुआती दौर में दर्द के अलावा ऑस्टियोपोरोसिस के कुछ खास लक्षण नहीं दिखाई देते, लेकिन जब अक्सर कोई मामूली सी चोट लग जाने पर भी फ्रैक्चर होने लगे, तो यह ऑस्टियोपोरोसिस का बड़ा संकेत होता है। इस बीमारी में शरीर के जोडों में जैसे रीढ़, कलाई और हाथ की हड्डी में जल्दी से फ्रैक्चर हो जाता है।
ऐसे करें बचाव
ऑस्टियोपोरोसिस होने पर जंपिंग और स्किपिंग जैसी भारी एक्सरसाइज करना संभव नहीं होता। तो ऐसे में वॉक, एरोबिक्स, डांस और लाइट स्ट्रेचिंग करें। इसके अलावा योग भी ऑस्टियोपोरोसिस में आराम पहुंचाता है। जीवनशैली में भी सकारात्मक बदलाव लाएं। क्योंकि निष्क्रिय जीवनशैली ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी के खतरे को और भी ज्यादा बढ़ा देती है, इसलिए ज्यादा से ज्यादा सक्रिय रहें। पोष्टिक आहार लें, जिनमें कैल्शियम और विटामिन डी भरपूर मात्रा में हो। मिल्क प्रोडक्ट्स कैल्शियम के अच्छे सोर्स होते हैं, इनका सेवन करें।