आ गई सुपर वुमेन: देगी दुनिया का पहला वैक्सीन, तोड़ेगी कोरोना का कहर

सारे देशों की कई कंपनियां इस महामारी की वैक्सीन बनाने में लगी है। ऐसे में इन्ही सबके बीच ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैक्सीन टेस्ट की सबसे अधिक चर्चा हो रही है। दावा है कि ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन का पहला ह्यूमन ट्रायल कामयाब रहा है।

Update: 2020-07-18 09:41 GMT

कोरोना का आतंक पूरे विश्व में फ़ैल चुका है। लेकिन इस महामारी की वैक्सीन अभी तक कोई भी देश बनाने में विफल रहा है। सारे देशों की कई कंपनियां इस महामारी की वैक्सीन बनाने में लगी है। ऐसे में इन्ही सबके बीच ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैक्सीन टेस्ट की सबसे अधिक चर्चा हो रही है। दावा है कि ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन का पहला ह्यूमन ट्रायल कामयाब रहा है। अगर आगे भी सबकुछ ठीक रहता है, तो संभव है कि बहुत जल्दी ही कोरोना वायरस की एक कारगर वैक्सीन तैयार कर ली जाए।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, एस्ट्राजेनेका दवा कंपनी के साथ मिलकर यह वैक्सीन बनाने की दिशा में काम कर रही है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक टीम सारा गिलबर्ट के नेतृत्व में कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने का काम कर रही है।

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आखिर कौन है सारा गिलबर्ट

आपको बता दे कि सारा गिलबर्ट ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की उस टीम का नेतृत्व कर रही हैं जो कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने की दिशा में सबसे आगे मानी जा रही है। प्रोफेसर सारा गिलबर्ट को हमेशा से अपने बारे में यह पता था कि उन्हें आगे चलकर मेडिकल रिसर्चर बनना है, लेकिन 17 की उम्र में सारा को बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उन्हें शुरुआत कहां से करनी है।

यूनिवर्सिटी ऑफ एंजलिया से जीव-विज्ञान में डिग्री हासिल करने के बाद सारा ने बायो-केमिस्ट्री में पीएचडी की। उन्होंने अपनी शुरुआत ब्रुइंग रिसर्च फाउंडेशन के साथ की। इसके बाद उन्होंने कुछ और कंपनियों में भी काम किया और ड्रग मैन्युफैक्चरिंग के बारे में सीखा। इसके बाद वो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एड्रियन हिल्स लैब आ पहुंची। यहां उन्होंने शुरुआत की जेनेटिक्स पर काम के साथ। इसके अलावा मलेरिया पर भी उन्होंने काफी काम किया। इसके बाद वो वैक्सीन बनाने के काम से जुड़ गईं।

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सारा तीन बच्चों की माँ

आपको बता दे कि सारा तीन बच्चों की माँ है। सारा के तीनों बच्चे अब 21 साल के हैं। वे सब भी बायोकेमिस्ट्री से पढ़ाई कर रहे हैं। सारा के इन तीनों बच्चों ने कोरोना वायरस के लिए तैयार की गई एक प्रयोगात्मक वैक्सीन के ट्रायल में हिस्सा भी लिया था। एक खबर के मुताबिक, ये ट्रायल वैक्सीन उनकी मां यानी सारा की ही तैयार की हुई थी।

उनकी माने तो वैज्ञानिक होने की सबसे प्यारी बात ये है कि आपके लिए काम के घंटे तय नहीं होते हैं। ऐसे में एक मां के लिए काम करना आसान हो जाता है, लेकिन सारा इस बात से भी इनकार नहीं करती हैं कि कई बार ऐसी भी परिस्थिति बन जाती है जब सबकुछ उलझ जाता है और आपको त्याग करने पड़ते हैं।

सारा ने दिया संदेश

जो महिलाएं विज्ञान के क्षेत्र में भविष्य बनाना चाहती हैं और परिवार के साथ रहते हुए, उन्हें सलाह देते हुए सारा कहती हैं, 'पहली बात जो आपके जहन में होनी चाहिए वो ये कि यह बहुत ही मुश्किल भरी चुनौती है। सबसे पहले जरूरी है कि आपके पास हर चीज के लिए योजना हो। साथ ही यह भी तय करना जरूरी है कि आपके साथ कोई ऐसा हो ही जो उस वक्त घर का ध्यान रख सके जब आप काम पर हों।'

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