Yeti Narasimhananda: कौन हैं यूपी के महंत यति नरसिंहानंद, रूस से की है पढ़ाई
Yeti Narasimhananda Saraswati: डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद को विवादित बयान के चलते हिरासत में ले लिया गया है। इससे पहले भी वह बयानों के चलते विवादों में घिर चुके हैं।
Yeti Narasimhananda Saraswati Controversial Statement: गाजियाबाद स्थित डासना मंदिर के महंत और जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद सरस्वती (Yeti Narasimhananda Saraswati) अक्सर अपने बयानों के चलते सुर्खियों में छाए रहते हैं। अब एक बार फिर वह अपने विवादित बयान को लेकर चर्चा बटोर रहे हैं। गाजियाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने पैगंबर मोहम्मद और कुरान को लेकर आपत्तिजनक बातें कही थीं, जिसके बाद उन्हें हिरासत में लिया गया है। उनके स्टेटमेंट का वीडियो वायरल होने के बाद मुस्लिम समुदाय के लोग आक्रोशित हो गए। इस घटना के बाद महंत के खिलाफ यूपी समेत देश के कई राज्यों में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी। फिलहाल उन्हें पुलिस ने कस्टडी में ले लिया है।
बता दें ये पहला मौका नहीं है, जब यति नरसिंहानंद सरस्वती महंत अपने बयान के चलते सुर्खियों में आए हैं, बल्कि इससे पहले भी कई बार वह अपने विवादित और भड़काऊ भाषण के चलते चर्चा में रह चुके हैं। उनके खिलाफ कई मामले भी दर्ज हो चुके हैं। साथ ही महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी करने को लेकर उनकी गिरफ्तार भी की जा चुकी है। आइए जानते हैं आखिर कौन हैं यति नरसिंहानंद सरस्वती।
कौन हैं यति नरसिंहानंद सरस्वती (Yeti Narasimhananda Saraswati Kon Hai)
यति नरसिंहानंद सरस्वती गाजियाबाद के डासना स्थित देवी मंदिर के महंत हैं। साथ ही हिंदू संतों के सबसे बड़े संप्रदाय 'जूना अखाड़े' के महामंडलेश्वर हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह अखिल भारतीय संत परिषद के राष्ट्रीय संयोजक भी हैं। नरसिंहानंद 'हिन्दू स्वाभिमान' नाम की एक संस्था चलाते हैं और बच्चों व युवाओं को आत्मरक्षा की ट्रेनिंग देने के लिए 'धर्म सेना' का गठन कर चुके हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती का असली नाम दीपक त्यागी (Deepak Tyagi) है। जिसे उन्होंने संन्यास धारण करने के बाद बदल लिया था। वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने हापुड़ के चौधरी ताराचंद इंटर कॉलेज से शिक्षा ग्रहण की है। इसके बाद साल 1989 में केमिकल टेक्नोलॉजी में उच्च शिक्षा के लिए रूस के मॉस्को चले गए।
साल 1994 में अपनी डिग्री पूरी करने के बाद वहीं रहकर अपनी नौकरी की शुरुआत की, लेकिन तीन साल बाद मां के बीमार पड़ने के कारण 1997 में इंडिया वापस लौट आएं। वह मॉस्को व लंदन समेत कई जगहों पर काम कर चुके हैं। यति समाजवादी पार्टी का भी हिस्सा रह चुके हैं।
कैसे बनें दीपक त्यागी से यति नरसिंहानंद
बताया जाता है कि साल 1998 में उनकी मुलाकात भारतीय जनता पार्टी के नेता बीएल शर्मा से हुई, जिसके बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई। दीपक त्यागी ने संन्यास ले लिया और नाम बदलकर दीपेंद्र नारायण सिंह कर लिया। लेकिन कुछ समय बाद यति नरसिंहानंद सरस्वती के नाम से पहचाने जाने लगे। वह पूर्व बीजेपी सांसद बीएल शर्मा को अपना गुरु मानते हैं।