नहीं है आजम-जयाप्रदा की जुबानी जंग नई

आजम खां और जया प्रदाके बीच टकराव की असली वजह लोग अमर सिंह को ही बताते है, क्योंकि अमर सिंह और आजम खां के बीच विवाद के कारण ही तत्कालीन सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने दोनों को आगे पीछे पार्टी से निकाला और फिर वापस भी लिया। मुलायम सिंह यादव को यह दोनों नेता ही प्रिय रहे।

Update: 2019-04-15 09:11 GMT

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: पिछले दो दशकों में यूपी में जब भी चुनाव होता है तो रामपुर संसदीय सीट का चर्चा में आना एक फैशन बन चूका है। वह किसी और कारण से नहीं, बल्कि यहां के कद्दावर नेता मो आजम खां के विवादापस्त बयानों के कारण। अब चाहे वह विधानसभा का चुनाव हो अथवा लोकसभा का चुनाव हो, रामपुर हर बार चर्चा में रहता है, अब एक बार फिर मो आजम खां के एक विवादित बयान के कारण रामपुर चर्चा में है।

सपा के मो आजम खां और भाजपा की जयाप्रदा के बीच जारी जुबानी जंग कोई नई नही है। पहले भी कई बार दोनों नेताओं में एक दूसरे के बीच चुभन भरे तीर चलाने का दौर चल चुका है। इस बार तो रामपुर के शाहाबाद थाने में केस तक दर्ज हो गया जबकि महिला आयोग ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

आजम खां और जया प्रदाके बीच टकराव की असली वजह लोग अमर सिंह को ही बताते है

आजम खां और जया प्रदा के बीच टकराव की असली वजह लोग अमर सिंह को ही बताते है, क्योंकि अमर सिंह और आजम खां के बीच विवाद के कारण ही तत्कालीन सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने दोनों को आगे-पीछे पार्टी से निकाला और फिर वापस भी लिया। मुलायम सिंह यादव को यह दोनों नेता प्रिय भी खूब रहे। मुलायम सिंह यादव अमर सिंह और आजम खां के रणनीतिक कौशल से अच्छी तरह से वाकिफ रहे हैं।

एक दशक पहले हुए लोकसभा चुनाव (2009) में जब मुलायम सिंह यादव ने जया प्रदा को रामपुर से टिकट दिया तो प्रचार के दौरान आजम खां ने अमर सिंह और जयाप्रदा के लिए तरह- तरह की दिक्कतें पैदा की। जया प्रदा को उन्होंने ‘नचनियां’ और ‘घुघरू वाली’ तक कह डाला। यहां तक कि जयाप्रदा की फिल्मों के अश्लील पोस्टर रामपुर की दीवारों पर चिपकवा दिएं।

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कहा गया कि जहां-जहां जयाप्रदा के समर्थक ठहरे हुए थे वहां आजम खां ने छापे डलवाए। उसके बावजूद जया प्रदा यह चुनाव 30 हजार वोटों से जीती। चुनाव जीतने के बाद जयाप्रदा ने आजम खां का शुक्रिया और सलाम बोला, कहा कि यदि आजम खां उनका इतना विरोध नहीं करते तो वह चुनाव नही जीत पाती।

दरअसल 2004 में अपनी परम्परागत विरोधी नेता कांग्रेस की बेगम नूर बानों को हराने के लिए मो आजम खां ने अमर सिंह के साथ मिलकर जयाप्रदा को रामपुर लोकसभा सीट से सपा के टिकट पर उतारा था। इस चुनाव में मो आजम खां ने काफी मेहनत भी की और जयाप्रदा को अपने गृह नगर रामपुर से 85000 मतों से जितवाकर सांसद बनवाया। पर अमर सिंह और जयाप्रदा की बढती नजदीकियां आजम खां को अच्छी नहीं लगी। इसी बीच भाजपा के कद्दावर नेता कल्याण सिंह अपनी पार्टी से अलग हो चुके थे।

यह बात आजम खां को नागवार गुजरी

अमर सिंह ने भी अपनी राजनीतिक कुशलता दिखाते हुए मुलायम सिंह और कल्याण सिंह की दोस्ती करवा दी। यह बात आजम खां को नागवार गुजरी जिससे उनकी अमर सिंह से सियासी जंग और तेज हो गयी। बाद में यह जंग जयाप्रदा और मो आजम खां के बीच शुरू हो गयी। प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और आजम खां प्रदेश के नगर विकास मंत्री। 2013 में जया प्रदा ने एक बयान में कहा था कि वह जब भी रामपुर आने की कोशिश करती तो आजम खां होटलों में फोन कर देते हैें कि यदि जया प्रदा को अपने होटल में रूकने दिया तो तुम्हारा होटल गिरवा दूुंगा। पीडब्लूडी गेस्ट हाउस में अधिकारी आजम खां के डर से कोई कमरा तक नहीं देतेे।

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अब जब भाजपा में शामिल होने के बाद वह रामपुर में लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए पहुंची तो जयाप्रदा ने एक दशक पहले 2009 के लोकसभा चुनाव के बारे में आजम खां पर निशान साधा कि वह उन पर तेजाब फिकवाना चाहते थें। जया प्रदा ने यहां तक कहा कि जब उन्होंने पदमावत फिल्म देखी तो पदमावती में स्वयं को और खिलजी के कैरेक्टर में आजम खां दिखाई दिए।

इसके बाद जब इस बारे में मो आजम खां से प्रतिक्रिया ली गयी तो उन्होंने कहा कि ‘‘कौन जयाप्रदा? ‘वह नाचने गाने वालों के मुंह नही लगा करते। ’

इसी लोकसभा चुनाव में मो आजम खां ने एक चुनावी सभा में जयाप्रदा पर आरोप लगाया कि उन्हें जब रामपुर से भाजपा ने टिकट दिया तो जयाप्रदा ने कहा कि ‘‘मै रामपुर में एक दानव का वध करने जा रही हूं’’।

अब जो आजम खां ने जयाप्रदा पर पलटवार किया है , वह इसी कडी में उनका जवाबी हमला माना जा रहा है। हांलाकि आजम खां ने अपनी सफाई देकर साफ किया है कि उनका इशारा केन्द्र में बैठे भाजपा नेता की तरफ था। कुछ भी हो इस लोकसभा चुनाव में रामपुर फिर विवादों के केंद्र में हैं ।

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