क्या केंद्रीय मंत्री कृष्णाराज को पहले से ही पता था बीजेपी से कटने वाला है टिकट?

कृष्णराज को पता था कि उनके टिकट के लिए अपने ही राह में रोड़ा बन रहे हैं। साथ ही दूसरा खेमा पुरजोर टिकट कटवाने की कोशिश कर रहा है। उन्हें दोबारा से टिकट चाहिए था। लेकिन इसके बावजूद कृष्णाराज ने आपसी मतभेद खत्म करने की कोशिश तक नहीं की। और न ही किसी पदाधिकारी से कभी बात की।;

Update:2019-03-23 12:26 IST
फ़ाइल फोटो

शाहजहांपुर: केंद्रीय मंत्री कृष्णाराज आखिर अपनों के ही चक्रव्यूह में फंस गई और उन्होंने अपना टिकट गवां दिया। जब कृष्णाराज को 2014 में टिकट मिला था। तब मोदी लहर में उनको बड़ी जीत मिली थी। लेकिन उसके बाद जब उनको मंत्री पद से नवाजा गया और वह मंत्री बनने के बाद पहली बार शाहजहांपुर आई। तब उनके स्वागत मे एक कार्यक्रम रखा गया। जहां उन्होंने काफी तल्ख तेवर अपने ही कार्यकर्ताओं को दिखाए। जिसे देखकर कार्यकर्ताओं को काफी अपमानित होना पड़ा था।

इसी तरह से कई बार सार्वजनिक तौर पर केंद्रीय मंत्री और कैबिनेट मिनिस्टर के बीच भी विवाद देखने को मिले। जिसमे कृष्णाराज ही कार्यकर्ताओं और कैबिनेट मिनिस्टर पर हावी होती दिखाई देती थी। लेकिन अब टिकट कट जाने के बाद उनके खेमे में काफी मायूसी और उनके दो करीबियों की काफी ज्यादा चर्चा है।

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2014 मे कृष्णाराज को बड़ी जीत मिलने के बाद उनको मंत्री पद से नवाजा गया। जब वह मंत्री बनने के बाद पहली बार शाहजहांपुर आ रही थी। तब कार्यकर्ताओं ने गिले शिकवे मिटाकर उन्होंने केंद्रीय मंत्री कृष्णाराज के लिए स्वागत मे गांधी भवन मे एक कार्यक्रम किया। जिसमें केंद्रीय मंत्री पहुची और भारी तादाद मे कार्यकर्ताओ ने भी शिरकत की थी।

लेकिन जब मंत्री साहिबा पहुची और मंच पर पहुचकर जब उन्होंने कार्यकर्ताओं से बात की तो उनके तेवर ही अलग थे। उनके तेवर देखकर कार्यकर्ताओं मे मायूसी छा गई और कार्यकर्ताओं को काफी अपमानित भी होना पड़ा था। तभी से शाहजहांपुर में बीजेपी में दो खेमे बट गए थे।

कृष्णराज को पता था कि उनके टिकट के लिए अपने ही राह में रोड़ा बन रहे हैं। साथ दूसरा खेमा पुरजोर टिकट कटवाने की कोशिश कर रहा है। दोबारा टिकट चाहिए था। लेकिन कृष्णाराज ने आपसी मतभेद खत्म करने की कोशिश तक नही की। और न ही किसी पदाधिकारी से बात की। इसका कारण है उनको लगता था कि जब दिल्ली वाले हमारे साथ है तो नीचे वाले हमारा क्या कर लेंगे।

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जेपी नड्डा द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लिस्ट जारी करने से एक घंटा पहले भी कृष्णाराज ने खुद फोन पर शाहजहांपुर के अपने करीबियों को खुद को टिकट मिलने का भरोसा जताया था। लेकिन जब प्रेस कॉन्फ्रेंस मे जारी लिस्ट मे उनका नाम कटा और टिकट पर अरूण सागर नाम के प्रत्याशी की मोहर लगी तो कृष्णाराज खेमे में मायूसी और दूसरे खेमे म जश्न का माहौल हो गया।

जबकि कृष्णाराज ने सांसद निधी से करीब तीन हजार काम कराए। लेकिन ये ऐसे काम थे। जिनमे से एक भी काम चर्चा मे नही रहा। साथ ही उनकी टीम भी कृष्णाराज के कार्य की उपलब्धि गिनाने मे विफल रहे। टिकट कटने के बाद कृष्णाराज से ज्यादा उनके दो सिपहसलार ज्यादा चर्चा मे है।

कृष्णराज का टिकट कटने का सबसे बड़ा कारण बताया जा बताया जा रहा है कैबिनेट मिनिस्टर को सख्त तेवर दिखाना वो सबके सामने एक कार्यक्रम मे। दरअसल कैबिनेट मिनिस्टर के प्रयास के चलते शाहजहांपुर की नगर पालिका को नगर निगम का दर्जा मिला। उसके बाद सबसे पहले अतिक्रमण करने वालों पर डंडा चला। इसे कृष्णाराज अपने खिलाफ ले गई। उनको लगा कि आने वाला चुनाव हरवाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसलिए कई बार कार्यक्रम के दौरान उन्होंने नगर आयुक्त की शिकायत करने के बहाना बनाकर कैबिनेट मिनिस्टर को ही तल्ख तेवर दिखा दिए। यही तेवर दिखाना उनको भारी पड़ा होगा।

कई बार मंच पर ही केंद्रीय मंत्री कृष्णाराज ने कैबिनेट मिनिस्टर सुरेश खन्ना को खरी खोटी सुना दी थी। लेकिन कृष्णाराज को नही पता था कि सुरेश खन्ना आठ बार से नगर विधानसभा से विधायक रहे हैं। पार्टी के बहुत पुराने नेता रहे हैं। काफी अच्छा वजूद उनका पार्टी मे बना है। उनके टकराना कृष्णाराज को भारी पड़ा है।

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यहां दो खेमे थे एक खेमा केंद्रीय मंत्री कृष्णाराज और दूसरा खेमा कैबिनेट मिनिस्टर सुरेश खन्ना का। लेकिन जिले कि बात करें तो कैबिनेट मिनिस्टर कार्यकर्ताओं नेताओं और जनता के दिलों मे बसे हुए है। यही कारण है लगातार आठ से विधायक चुनते आए है। लेकिन कृष्णाराज उनकी ताकत को भांप नही सकी और टिकट कटवा दिया। कैबिनेट मिनिस्टर के बेहद करीबी रहे अरूण सागर को प्रत्याशी बना दिया गया। कृष्णाराज का टिकट कटने का कारण पार्टी का सर्वे बताया गया।

 

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