2019 का चुनाव दो विचारधाराओं की लड़ाई था: आरएसएस
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर सहकार्यवाह (संयुक्त महासचिव) मनमोहन वैद्य ने यहां एक बयान में यह बात कही। उन्होंने कहा कि चुनाव परिणामों से, स्वतंत्रता के बाद से चली आ रही वैचारिक लड़ाई अब ‘‘निर्णायक स्थिति’’ में पहुंच गई है।;
नागपुर: देश में हुए आम चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड बहुमत के साथ जोरदार वापसी के एक दिन बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस साल का लोकसभा चुनाव दो अलग अलग विचारधाराओं - जीवन का हिंदू तरीका और बहिष्कार तथा विभाजन की राजनीति- के बीच था।
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर सहकार्यवाह (संयुक्त महासचिव) मनमोहन वैद्य ने यहां एक बयान में यह बात कही। उन्होंने कहा कि चुनाव परिणामों से, स्वतंत्रता के बाद से चली आ रही वैचारिक लड़ाई अब ‘‘निर्णायक स्थिति’’ में पहुंच गई है।
चुनाव परिणामों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुये उन्होंने कहा कि यह ‘भारत’ के एक उज्जवल भविष्य के लिए खुशी का दिन है।
वैद्य ने कहा कि 2019 के आम चुनाव भारत में दो भिन्न विचारधाराओं के बीच प्रतिद्वंद्विता का रहा है।
संघ नेता ने कहा, ‘‘एक विचारधारा प्राचीन अभिन्न मूल्यों के समग्र और सभी समावेशी विचार प्रक्रिया पर आधारित है, जिसे संसार में हिंदू जीवन पद्धति के रूप में जाना जाता है।"
उन्होंने कहा, ‘‘जबकि दूसरी विचारधारा यह है कि जिसका गैर-भारतीय परिप्रेक्ष्य है और वह भारत को खंडित पहचान से देखती है। यह समाज को व्यक्तिगत लाभ के लिए जाति, भाषा, राज्य या धर्म के आधार पर बांटती है।’’
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वैद्य ने कहा कि यह चुनाव उस वैचारिक लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो कि स्वतंत्रता के बाद से ही चल रही है। भाजपा का नाम लिये बिना वैद्य ने इसके ‘‘सशक्त नेतृत्व’’ और इसकी वैचारिक लड़ाई के समर्थन में लगे कार्यकर्ताओं को बधाई दी।
(भाषा)