Lok sabha election 2019: जाने कैसे अवध लिखता रहा है तकदीर दिल्ली दरबार की

यदि देश की राजनीति उत्तर प्रदेश के इर्दगिर्द घूमती है तो उत्तर प्रदेश की राजनीति इसके अवध क्षेत्र में घूमती रही है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जो देश के राजनीति के धुरंधरों को भाता रहा है।

Update: 2019-05-04 10:49 GMT
शख्सियतों की आभा में धूमिल पड़े मुद्दे

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: यदि देश की राजनीति उत्तर प्रदेश के इर्दगिर्द घूमती है तो उत्तर प्रदेश की राजनीति इसके अवध क्षेत्र में घूमती रही है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जो देश के राजनीति के धुरंधरों को भाता रहा है। इस क्षेत्र की खास बात यह रही है कि यहां के लोगों ने यदि किसी संसद पहुंचाया तो उसे वापस बुलाने में भी संकोच नहीं किया। पाचवे चरण की 14 सीटों में 12 सीटे अवध क्षेत्र के तहत ही आती हैं।

 

 

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स्व इंदिरा गांधी राजीव गांधी से लेकर परिवार के सोनिया व राहुल गांधी मेनका वरूण के अलावा गैरकांग्रेसी दल भाजपा में अटल विहारी वाजपेयी लालजी टडन राजनाथ सिंह से लेकर विनय कटियार तक को यह क्षेत्र खूब भाता रहा है। इनके अलावा कर्ण सिंह, राजबब्बर, रामजेठमलानी मुजफफरअली, आदि अपनी किस्मत आजमाते रहे।

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चुनावी महासमर की पांचवी और छठे चरण के चुनाव में अब सबका ध्यान इसी क्षेत्र पर आ टिका है। फैजाबाद, प्रतापगढ बाराबंकी,, गोण्डा, अम्बेडकरनगर श्रावस्ती, बहराइच, कैसरगंज, लखनऊ, मोहनलालगंज, रायबरेली, उन्नाव, सीतापुर,, हरदोई और मिश्रिख की संसदीय सीटों के इन चरणों में अटल विहारी वाजपेयी की कर्म भूमि लखनऊ में फिर जोरदार मुकाबला हो रहा हैं जहां देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह दोबारा संसदीय सीट जीतने के लिए मेदान में उतरे हैं।

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जबकि फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा उनके खिलाफ सपा बसपा गठबन्धन से हे। सेनिया गांधी की रायबरेली मे टक्कर भाजपा के दिनेश सिंह के साथ है जो कभी कांग्रेस से एमएलसी हुआ करते थे। जबकि उनके पुत्र राहुल गांधी अमेठी में पिछली बार कडी टक्कर देने वाली भाजपा की स्मृति ईरानी से है।

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कैसरगंज से भाजपा के बृजभूषण शरण सिंह का मुकाबला कांग्रेस के विनय कुमार पाण्डेय तथा बसपा के हुकुमदेव यादव से है। गोडा से मौजूदा सांसद कीर्तिवधर्न सिंह सपा के विनोद कुमार सिंह से कडे मुकाबले में आमने सामने है।

 

जबकि कांग्रेस की कृष्णा पटेल से है। लखनऊ से जुडी बाराबंकी सीट पर भाजपा के उपेन्द्र सिंह रावत और पूर्व सांसद पीएल पुनिया की बेटे तनुज पुनिया और सपा के रामषंकर रावत के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने जा रहा है।

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इनके अलावा धौरहरा में कांग्रेस के जितिन प्रसाद निवर्तमना सांसद रेखा वर्मा से सीट छीनने के लिए मैदान में उतरे हैं लखनऊ से सटी संसदीय सीट मोहनलाल गंज में एक बार फिर कौशल किशोर भाजपा को यह सीट दिलवाने के लिए अपने निकटतम प्रतिद्वदी आरके चौधरी से मुकाबला कर रहे हे। सीतापुर में भाजपा के राजेश वर्मा अपनी संसदीय सीट बचाए रखना चाहते हैं लेकिन उनके सामने कठिन चुनौती

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भाजपा के लिए संजीवनी बनी रहने वाली अयोध्या सीट पर वहां के भाजपा सांसद लल्ल्लू सिंह इसबार कडे मुकाबले में कांग्रेस के निर्मल खत्री और सपा बसपा गठबन्धन के आनन्द सेन के सामने पसीने बहा रहे है। जबकि बहराइच सीट पर भाजपा की बागी सांसद सावित्रीबाई फूले भाजपा के अक्षयवार लाल गौड और गठबन्धन के शब्बीर वालमीकि के सामने है।

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अवध क्षेत्र के अतीत की बात करें तो 1996 में यहां भाजपा को प्रदेश की 12 सीटे हासिल हुई। तो भाजपा ने अन्य दलों के सहयोग से केन्द्र में पहली बार सरकार बनाई। अगला चुनाव 1998 में हुआ तो भाजपा को अवध में आठ और प्रदेश में 57 सीटे मिली। भाजपा ने फिर केन्द्र में सरकार बनाई। इसके बाद 1999 के चुनाव में भाजपा को गठबन्धन समेत 5 आर्र प्रदेश में 29 सीटे मिली और फिर से केन्द्र में सरकार बनी। लेकिन 2004 जब लोकसभा चुनाव हुए तो भाजपा को प्रदेष में कुल 10 सीटे मिली और अवध में मात्र दो सीटे मिली। भाजपा को अपनी सरकार गंवानी पडी।

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फिर जब 2009 में आडवाणी के नाम पर चुनाव हुए तो भाजपा को अवध में केवल एक सीट लखनऊ की मिली। पूरे प्रदेश में केवल 10 सीटें ही हासिल हो पाई। कांग्रेस को अवध में 11 सीटें और कुल 22 सीट मिली। जिसके कारण उसकी केन्द्र में फिर सरकार बनी। लेकिन मोदी लहर के चलते 2014 में कांग्रेस की बाजी उलट गयी उसके पास केवल अमेठी और रायबरेली सीटे ही हाथ में आ पाई जबकि भाजपा को यहां भाजपा को 14 सीटे मिली। और केन्द्र में यूपी से गठबन्धन के साथ 73 सीटे हासिल कर पूर्ण बहुमत की सरकार बनी।

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