26/11 Mumbai Attack: 16 साल पहले आतंकी हमले से दहल गई थी मुंबई, ताबड़तोड़ फायरिंग में मारे गए थे 166 लोग

26/11 Mumbai Attack: लश्कर-ए-तैयबा का मुखिया हाफिज सईद इस आतंकी हमले का मास्टरमाइंड था और भारत की तमाम मांगों के बावजूद पाकिस्तान की ओर से अभी तक इस दुर्दांत आतंकी को भारत को नहीं सौंपा गया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-11-26 11:16 IST

26/11 Mumbai Attack  (photo: social media )

26/11 Mumbai Attack: 16 साल पहले आज ही के दिन मुंबई एक बड़े आतंकी हमले से दहल गई थी। 2008 में 26 नवंबर को हुए इस आतंकी हमले को याद करके लोग आज भी दहल उठते हैं। इस आतंकी हमले में 18 सुरक्षा कर्मियों सहित 166 लोग मारे गए थे और 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। देश के इतिहास में यह सबसे बड़े हमलों में से एक था। इस हमले में एक बार फिर पाकिस्तान का हाथ साबित हुआ था क्योंकि पाकिस्तान के कराची से ही 10 आतंकी यह हमला करने के लिए मुंबई पहुंचे थे।

आतंकी हमले के बाद भारतीय सुरक्षाबलों ने त्वरित कार्रवाई की थी और लश्कर के नौ हथियारबंद आतंकवादियों को मार गिराया था। इस हमले में शामिल एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया गया था जिसे कानूनी प्रक्रिया के बाद 21 नवंबर 2012 को फांसी दी गई थी। लश्कर-ए-तैयबा का मुखिया हाफिज सईद इस आतंकी हमले का मास्टरमाइंड था और भारत की तमाम मांगों के बावजूद पाकिस्तान की ओर से अभी तक इस दुर्दांत आतंकी को भारत को नहीं सौंपा गया है।

कराची से हमला करने पहुंचे थे आतंकी

मुंबई पर इस हमले के लिए आतंकियों ने समुद्री मार्ग का उपयोग किया था। पाकिस्तान के कराची से सभी 10 आतंकी नाव के जरिए मुंबई पहुंचे थे। भारतीय नौसेना को चकमा देने के लिए आतंकियों ने एक भारतीय नाव को अगवा कर लिया था और उस पर सवार लोगों को मार डाला था। इसके बाद आतंकी नाव के जरिए कोलाबा के मछली बाजार पहुंचने में कामयाब हो गए थे।

स्थानीय लोगों ने शक होने पर इस बाबत पुलिस को सूचना भी दी थी मगर पुलिस ने इस सूचना को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद आतंकी मुंबई के कई इलाकों में ताबड़तोड़ हमला करते हुए अपने मंसूबे को पूरा करने में कामयाब हो गए थे। सूचना मिलने के बाद यदि पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की होती तो इस हमले को रोका जा सकता था।


जिंदा पकड़े गए कसाब को फांसी की सजा

आतंकियों ने उस रात मुंबई के कई प्रसिद्ध स्थानों को भी अपना निशाना बनाया था। लश्कर के आतंकियों ने छत्रपति शिवाजी टर्मिनल रेलवे स्टेशन पर एके-47 राइफलों से ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। आतंकी हमला करने वाले वालों में अजमल कसाब भी शामिल था जिसे जिंदा पकड़ने में भारतीय सुरक्षाकर्मियों को कामयाबी मिली थी। चार साल तक चले मुकदमे के बाद कसाब को 2012 में फांसी दी गई थी। सीएसटी रेलवे स्टेशन के बाद आतंकियों ने विले पारले इलाके में भी हमला किया था।


तीन दिनों तक चली मुठभेड़ के बाद आतंकी ढेर

इसके साथ ही खूंखार आतंकियों ने ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल और नरीमन हाउस को भी निशाना बनाया था। विश्व प्रसिद्ध ताज होटल को तो आतंकियों ने पूरी तरह बर्बाद कर दिया था। सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच करीब तीन दिनों तक मुठभेड़ चली थी।

बाद में ऑपरेशन में एनएसजी के कमांडोज की भी मदद ली गई। एनएसजी के कमांडोज ने इस ऑपरेशन को अंजाम पर पहुंचाते हुए सभी आतंकवादियों को मार गिराया था। मुंबई के लोग आज भी उस हमले की याद करके दहल उठते हैं।


आतंकी हमले में था पाकिस्तान का हाथ

भारत में होने वाले आतंकी हमले में पाकिस्तान की भूमिका कई बार उजागर हो चुकी है। मुंबई में हुए इस हमले में भी पाकिस्तान की ही भूमिका थी। मुंबई हमले के बाद जांच एजेंसियों की पड़ताल में इस बात का खुलासा हुआ था कि आतंकी कराची से नाव के रास्ते मुंबई में घुसे थे और फिर बाद में उन्होंने मुंबई पर हमला बोला था।

मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले के बाद भी भारत की ओर से पाक आतंकियों के शामिल होने के पर्याप्त सबूत दिए गए थे मगर पाकिस्तान का कहना था कि लश्कर-ए-तैयबा का मुखिया हाफिज सईद और अन्य लोगों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं दिए गए हैं। हाफिज सईद आज भी पाकिस्तान सरकार की छत्रछाया में पूरे आराम से रह रहा है।

भारत की एजेंसियों ने कई भारत पाकिस्तान की पोल खुली है मगर पाकिस्तान इस बात को मानने को नहीं तैयार है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत समय-समय पर पाकिस्तान की पोल खोलता रहा है मगर पाकिस्तान हमेशा सच्चाई से इनकार करता रहा है।



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