Online Eduactors: खान सर से लेकर अलख पांडे तक...किसी ने छोड़ी पढ़ाई तो किसी के पास 90 रुपये के पड़ गये थे लाले
ऑनलाइन क्लासेज के बढ़ते चलन ने भारत में कई शिक्षकों को जबरदस्त पहचान दिलाई है। इनकी पॉपुलैरिटी इस हद तक बढ़ी कि अब इनके नाम पर बड़े-बड़े कोचिंग संस्थान भी स्थापित हो चुके हैं।;
ऑनलाइन क्लासेज के बढ़ते चलन ने भारत में कई शिक्षकों को जबरदस्त पहचान दिलाई है। आजकल के छात्र अपने समय और पैसे की बचत के लिए ऑनलाइन क्लासेज को प्राथमिकता दे रहे हैं, और इसके लिए यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स के साथ-साथ विभिन्न कोचिंग के एप्लिकेशन भी मार्केट में आ चुके हैं।
साल 2020 में भारत सहित पूरे विश्व में लॅाकडाउन बाद इंटरनेट पर खान सर, अवध और फिजिक्स वाला जैसे कई शिक्षक अचानक से वायरल हो गए। इनकी पॉपुलैरिटी इस हद तक बढ़ी कि अब इनके नाम पर बड़े-बड़े कोचिंग संस्थान भी स्थापित हो चुके हैं। इन शिक्षकों की सफलता और प्रसिद्धि को देखकर यह जानना स्वाभाविक है कि आखिर इनकी यात्रा किस तरह से शुरू हुई और उन्होंने ये मुकाम कैसे हासिल किया।
1. खान सर
खान सर, जो सरकारी नौकरी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के बीच बेहद प्रसिद्ध हैं, अपनी अनोखी और प्रभावी पढ़ाई के तरीके के कारण खास पहचान बना चुके हैं।
खान सर का जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर में एक सैनिक परिवार में हुआ था। हालांकि, उनका असली नाम अक्सर सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनता रहता है, लेकिन उनकी असली पहचान को लेकर हमेशा संशय बना रहता है। उनके परिवार के बारे में जानकारी के अनुसार, उनके पिता सेना में थे और बड़े भाई ने भी सेना में जाने का फैसला किया। खान सर खुद भी सेना में शामिल होना चाहते थे, लेकिन उनका मेडिकल टेस्ट पास नहीं हो सका और वे शारीरिक रूप से अनफिट पाए गए, जिसके बाद उन्होंने सेना में जाने का अपना सपना छोड़ दिया।
2. अलख पांडे
आज एक बड़ी सफलता की मिसाल बन चुके अलख पांडेय, जो कभी यूट्यूब पर पढ़ाई कराते थे, आज 10,000 करोड़ रुपये की कंपनी के मालिक हैं। उनकी यात्रा आसान नहीं रही। वह शुरू में आईआईटी में दाखिला लेना चाहते थे, लेकिन एंट्रेंस एग्जाम पास नहीं कर सके, और इसके बाद उन्होंने कॉलेज भी छोड़ दिया। हालांकि, उनके पास एक मौका था – उन्हें किसी कोचिंग इंस्टीट्यूट में फिजिक्स पढ़ाने का अवसर मिला। उस समय शायद उन्हें भी यह अंदाजा नहीं था कि यह कदम उनके करियर की सफलता की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
इसके बाद, अलख पांडेय ने प्रयागराज ( के एक छोटे से कोचिंग सेंटर में फिजिक्स पढ़ाना शुरू किया। यहां उनकी शुरुआती तनख्वाह महज 5,000 रुपये , लेकिन उनके असाधारण तरीके से पढ़ाने की कला ने उन्हें छात्रों के बीच लोकप्रिय बना दिया। उनके सरल और प्रभावी तरीके से विषयों को समझाने की क्षमता ने उन्हें एक पसंदीदा शिक्षक बना दिया।
फिर उन्होंने 2014 में अपना यूट्यूब चैनल शुरू किया, और यह कदम कोविड-19 महामारी के दौरान एक अहम मोड़ साबित हुआ। लॉकडाउन के दौरान छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा की जरूरत थी, और अलख पांडेय के चैनल फिजिक्सवाला को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। उनकी आसान और प्रभावी पढ़ाई के कारण, फिजिक्सवाला छात्रों के बीच एक जाना-पहचाना नाम बन गया, खासकर उन छात्रों के लिए जो जेईई की तैयारी कर रहे थे।
3. अवध ओझा
अवध ओझा उत्तर प्रदेश के गोंडा के रहने वाले हैं, यूपीएससी उम्मीदवारों के बीच 'ओझा सर' के नाम से मशहूर हैं। हालांकि उनका पूरा नाम अवध प्रताप ओझा है। उनके पिता श्रीमाता प्रसाद ओझा गोंडा में पोस्टमास्टर के रूप में कार्यरत थे और उनकी शिक्षा को लेकर काफी चिंतित रहते थे। ओझा सर की मां ने भी उनके लिए बहुत संघर्ष किया था, यहां तक कि शिक्षा के खर्चों को उठाने के लिए उन्होंने अपनी जमीन तक बेच दी थी।
अवध प्रताप ओझा ने स्कूली शिक्षा गोंडा से प्राप्त की। वह खुद अपने कई इंटरव्यू में स्वीकार कर चुके हैं कि बचपन में वह काफी शरारती थे। उनके स्कूल के प्रिंसिपल ने उनके परिवार से कई बार शिकायत की थी कि उनका बर्ताव ठीक नहीं था। उनके अनुशासनहीन व्यवहार के कारण उनकी मां ने उन्हें से सजा भी दी थी। सअवध ओझा ने गोंडा के फातिमा इंटर कॉलेज से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की। हालांकि, एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने अपनी मां से झगड़ा किया था। ओझा सर ने मीडिया से बातचीत में बताया था कि जब वह यूपीएससी के अपने पिछले प्रयास में असफल हो गए थे, तो उनकी मां ने उनकी असफलता को लेकर ताना मारा, जिसके बाद वह गुस्से में घर छोड़कर चले गए थे।
4. विकास दिव्यकीर्ति
डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने अपने करियर की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में की थी और दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाते थे। 1996 में, पहले प्रयास में ही उन्होंने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा पास कर गृह मंत्रालय में नियुक्ति प्राप्त की थी। हालांकि, इसके बाद उन्होंने दो और बार यूपीएससी परीक्षा दी, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। इसके बाद, उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और 1999 में देश की सबसे प्रतिष्ठित सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर दृष्टि आईएएस कोचिंग की स्थापना की, जहां से उन्होंने यूपीएससी उम्मीदवारों को मार्गदर्शन देना शुरू किया।