Mandir Masjid Vivad : जानिए कौन है वह शख्स, जो धर्म स्थलों पर दे रहा याचिका?

Mandir Masjid Vivad : हमारे देश में 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट' यानी पूजा स्थल कानून पारित हुआ। इसे स्पेशल प्रोविजन के तहत बनाया गया था।

Update:2024-11-25 20:08 IST

Mandir Masjid Vivad : हमारे देश में 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट' यानी पूजा स्थल कानून पारित हुआ। इसे स्पेशल प्रोविजन के तहत बनाया गया था। इस कानून के मुताबिक, 15 अगस्त 1947 से पहले भारत में जिस भी धर्म का जो पूजा स्थल था, उसे किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में बदला नहीं जा सकता। अगर कोई ऐसा करने का प्रयास करता है, तो उसे तीन साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है। इस कानून में यह भी प्रावधान है कि दूसरे धर्म के कब्जे के सबूत मिलने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है। हालांकि अयोध्या में राम मंदिर के मामले को इसके दायरे से बाहर रखा गया था।

लेकिन विगत कुछ वर्षों में लगतार कई खबरें आयीं, जिसमें दावा किया गया कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाया गया है। चाहें बात ज्ञानवापी प्रकरण की हो या कृष्ण जन्भूमि का मामला हो। कई मस्जिदों पर सवाल उठे और इसको लेकर कोर्ट में रिट भी दाखिल की गईं। इस बीच ताजा खबर उत्तर प्रदेश के संभल से आई, जहां शाही जामा मस्जिद के हरिहर मंदिर होने के दावे के बाद काफी हंगामा मच गया है। सुप्रीम कोर्ट के वकील ने 19 नवंबर को संभल के सिविल कोर्ट में दावा करते हुए कहा कि इस मस्जिद को हरि हर मंदिर के नाम से जाना जाता था और मुगल सम्राट बाबर ने 1529 में इस जगह को तोड़ दिया था। उन्होंने कहा कि ऐसा माना जाता है कि कल्कि अवतार संभल में ही हुआ है।

संभल में खूब बवाल हुआ, लोगों की पुलिस से झड़प हुई, कई पुलिसकर्मी घायल हुए। वहीं 5 लोगों के मौत की भी खबर आई। अब बड़ा सवाल है, आखिर ये वकील है कौन, जिन्होंने मस्जिदों के इतिहास को खोलना शुरू कर दिया है? जिन्होंने दावा किया है कि कई मस्जिद मंदिर तोड़कर बनाए गए हैं।

कौन हैं हिन्दू पक्ष के वकील?

ज्ञानवापी से मथुरा तक, टीले वाली मस्जिद से संभल तक, कई मस्जिदों को लेकर कोर्ट में मामला ले जाने वाले वकील का नाम है विष्णु शंकर जैन। ये सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं और हिन्दू पक्ष का मामला देखते हैं। अब विष्णु शंकर जैन के बारे में विस्तार से बात करें तो उनका जन्म 9 अक्टूबर 1986 को हुआ था। विष्णु ने 2010 में बालाजी लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री हासिल की और विश्व स्तर पर प्रसिद्ध राम जन्मभूमि मामले से अपने कानूनी करियर की शुरुआत की। वह अब तक अयोध्या, ज्ञानवापी, कुतुब मीनार और ताजमहल आदि मामलों में अपनी अहम भूमिका निभाते रहे हैं। बता दें कि विष्णु शंकर जैन और उनके पिता हरिशंकर जैन की जोड़ी हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस, हिंदू महासभा, गोवा की सनातन संस्था, भगवा रक्षा वाहिनी और हिंद साम्राज्य पार्टी जैसे कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।


कानून के बाद भी क्यों दायर हो रहे हैं मामले?

वैसे हमारे देश में 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट' 1991 यानी पूजा स्थल कानून 1991 के तहत 15 अगस्त 1947 से पहले भारत में जिस भी धर्म का जो पूजा स्थल था, उसे किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में बदला नहीं जा सकता, लेकिन फिर भी बहुत से मामले कोर्ट में लाये जा रहे हैं और उस पर सुनवाई भी हो रही है। बताया जा रहा है कि वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के व्यास तहखाने में पूजा की इजाजत मिलने के बाद 5 फ़रवरी 2024 को पूजा स्थल अधिनियम, 1991 को खत्म करने की मांग बीजेपी के सांसद ने राज्यसभा में उठाई थी। बीजेपी सांसद हरनाथ सिंह यादव ने यह मामला उठाया और इसे रद्द करने की मांग की।

राज्य सभा में शून्यकाल के दौरान हरनाथ सिंह ने कहा था कि "पूजा स्थल अधिनियम पूरी तरह से अतार्किक और असंवैधानिक है। यह संविधान के तहत हिंदुओं, सिखों, बौद्धों और जैनियों के धार्मिक अधिकारों को कम कर देता है। यह देश में सांप्रदायिक सौहार्द को भी नुकसान पहुंचा रहा है। उन्होंने कहा कि इसलिए, मैं सरकार से राष्ट्रहित में इस कानून को तुरंत रद्द करने का आग्रह करता हूं। 


खैर अडानी मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी, जिसके कारण विधेयक पर चर्चा नहीं हो सकी और मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाने का दावा लगातार किया जा रहा। कोर्ट भी ऐसों मामलों पर सुनवाई कर रही है।

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने संभल मामले पर क्या कहा?

संभल में हुई पत्थरबाजी की घटना पर वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि वहां कोर्ट के आदेश के अनुपालन में सर्वे किया गया था और उसके बाद वहां भीड़ जमा होने लगी। नारेबाजी बाद में अराजकता में बदल गई और पथराव शुरू हो गया। कई पुलिसकर्मी घायल हो गए और प्रशासन ने बहुत शांति से स्थिति को संभाला। यहां तक कि मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने भी शांति बनाए रखने की अपील की। इसके बावजूद भीड़ ने पथराव किया। यह साजिश का हिस्सा था और स्थानीय लोगों ने भीड़ को सर्वे टीम को निशाना बनाने के लिए उकसाया।

संभल की जामा मस्जिद का 19 नवंबर को जब पहली बार सर्वे किया गया था तो कोर्ट कमिश्नर के साथ में वरिष्ठ वकील विष्णु शंकर जैन भी मौजूद थे। इतना ही नहीं, जब दोबारा से 24 नवंबर को टीम सर्वे करने के लिए पहुंची थी तो उस समय भी वह वहां पर मौजूद थे। संभल में हिंसा के बाद उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि भीड़ का असली टारगेट तो सर्वे करने पहुंची टीम थी। हिंदू धर्म से संबंधित करीब 110 मामलों से हरिशंकर जैन और विष्णु जैन जुड़े हैं।

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