भुजेटा चिड़िया और उसे मिले भगवान राम के आशीर्वाद की ब्रजलाल के पिता की कहानी
परंतु यह क्या- कूच क़ाच की आवाज़ तो कचकुचवा (उल्लू) ने दी थी और आशीर्वाद ले गया भुज़ेटा। सीधा- साधा उल्लू सतर्क करके उड़ गया क्योंकि सुबह होने के पहले उसे अपने घोंसले में पहुँचना था। लेकिन आशीर्वाद तो चालक भुज़ेटा ले गया तो ले गया।
ब्रजलाल, पूर्व डी़जीपी
आज सुबह सात बजे गार्डेन में निकला ,तो मुझे भुज़ेटा चिड़िया का नन्हा सा बच्चा दिखाई दिया और इसके मम्मी - पापा बच्चे की सुरक्षा में आसपास उड़कर शोर मचाने लगे। अरे भाई मैं बच्चे को क्षति नही होनें दूँगा, मैंने ही गार्डेन में आप का आशियाना तैयार किया है।
आप और बच्चे को देखकर एक बच्चे को वह कहानी याद आ गयी जो बचपन में उसके पिता ने आप के बारे में सुनायी थी।
बचपन में भुज़ेटा का एक जोड़ा मेरे घर के पास ही रहता था और मेरे घर के खपरैल पर बैठता था।मेरे घर में ही उसका घोंसला था। मजाल कि कोई चिड़िया उनके घोंसले के पास फटक जाय। कौवों को तो देखते ही उन्हें दौड़ा लेता था और कौवा दुम दबा कर भाग जाता था ।
ये है पिताजी से सुनी कहानी
नन्हे बृज लाल ने पिता से प्रश्न किया कि नन्हा सा काला भुज़ेटा अपने से कई गुना बड़े कौवों को कैसे भगा देता है। पिता जी द्वारा सुनाई गयी लगभग साठ वर्ष पहले की कहानी मेरे मानस- पटल पर चल- चित्र की तरह सामने आ गयी जिसे मैं शेयर कर रहा हूँ।
‘ पिता जी ने मेरी जिज्ञासा शांत करते हुए बताया कि बाबू इस चिड़िया को भगवान राम का आशीर्वाद प्राप्त है कि इसे कोई चिड़िया क्षति नही पहुँचा सकती।
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लक्ष्मण जी शक्तिबाण लगने से मूर्छित थे। भगवान राम और उनकी बानर सेना चिंता में डूबी थी कि सुबह होने के कुछ देर पहले आवाज़ आयी- कूच-क़ाच।
मतलब था , जल्दी संजीवनी बूटी कूच करके तुरंत पिलाये। तुरंत हनुमान जी हिमालय से संजीवनी बूटी लेकर आ गये और लक्ष्मण जी को पिला कर उनके प्रणों की रक्षा की जा सकी।
भगवान राम प्रसन्न हुए और आवाज़ दिये कि किस जीव ने संजीवनी बूटी तुरंत देने के लिए सचेत किया है। तुरंत भुज़ेटा की आवाज़ आयी- ठाकुर जी, ठाकुर जी ।असल में भूज़ेटा आज भी यही आवाज़ निकालता है।
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प्रभु श्रीराम ने उसे बर माँगने को कहा। नन्हे भुज़ेटा को उसके पड़ोसी बहुत परेशान करते थे, बेचारा छोटा था । प्रभु ने आशीर्वाद दिया कि हे भुज़ेटा तुमने मुझे सतर्क करके लक्ष्मण के प्राण बचाने में सहायता की है, तुम्हें कोई चिड़िया कभी हरा नही पायेगी।
परंतु यह क्या- कूच क़ाच की आवाज़ तो कचकुचवा (उल्लू) ने दी थी और आशीर्वाद ले गया भुज़ेटा। सीधा- साधा उल्लू सतर्क करके उड़ गया क्योंकि सुबह होने के पहले उसे अपने घोंसले में पहुँचना था। लेकिन आशीर्वाद तो चालक भुज़ेटा ले गया तो ले गया।
पिता जी ने कथा का सार एक वाक्य में पुनः बताया।
‘ कूच- क़ाच कचकुचवा कीन, आशीर्वाद भुज़ेटा लीन ‘
पिता जी को शत- शत नमन।
Brij Lal Ex-DGP UP
Lucknow,June 20,2020 Time 7 AM.