Manipur Violence : मणिपुर की सर्वतोन्मुखी अशांति बंदूक के बल पर नहीं समाप्त किया जा सकता
Manipur Violence: स्थानीय नेतृत्व की कार्यप्रणाली में राष्ट्रीय भावना की कमी पाई जो मणिपुर के प्रथम सांसद व लोहिया के सत्याग्रही सहयोगी रिशोंग कीशिंग में थी जिन्हें जयप्रकाश नारायण ने एशियाई सोशलिस्ट कॉउन्सिल में भारत का प्रतिनिधि बना कर भेजा था ।
Manipur Violence: कैसे हम खामोश हो देखें कि
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मणिपुर की सर्वतोन्मुखी अशांति को बंदूक के बल पर समाप्त नहीं किया जा सकता । मैंने मणिपुर की लंबी प्रवासीय यात्राओं के दौरान महसूस किया कि मणिपुर की समस्या काफी जटिल है । एकांगी दृष्टिकोण से मणिपुर की हिंसा का स्थाई समाधान नहीं होगा । स्थानीय नेतृत्व की कार्यप्रणाली में राष्ट्रीय भावना की कमी पाई जो मणिपुर के प्रथम सांसद व लोहिया के सत्याग्रही सहयोगी रिशोंग कीशिंग में थी जिन्हें जयप्रकाश नारायण ने एशियाई सोशलिस्ट कॉउन्सिल में भारत का प्रतिनिधि बना कर भेजा था ।
उन्होंने मुझ अकिंचन से एक सार्थक संवाद के मध्य कहा था कि आर्थिक विषमता को कम नहीं किया गया तो मणिपुर में आंतरिक संघर्ष असमाधेय समस्या हो जाएगा । तरक्की समावेशी व विकेन्द्रित होनी चाहिए । लौह महिला इरोम शर्मिला चानू के मणिपुर में अहिंसक प्रतिकारों का अंतहीन सिलसिला समूचे देश के लिए दुःखद व दुर्भाग्यपूर्ण है । चिंतन व बौद्धिक सभा के साथियों के सहयोग से अपने लोककर्तव्य का अनुपालन करते हुए मणिपुर के एक हजार 32 बुद्धिजीवियों, सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ताओं एवं विचार-वीरों से बातचीत कर एक रपट बनाई है जो मणिपुर की समस्या के समाधान से संदर्भित है ।
रिपोर्ट गृह मंत्रालय को दे दी है । हमें उम्मीद है कि मणिपुर में शीघ्रातिशीघ्र शांति कायम होगी । मैती व आदिवासी समूह राम- लखन सदृश सहोदरी भाव सम्पन्न सुखमय व सौहार्दपूर्ण जीवन व्यतीत करेंगे......मणिपुर में व्याप्त असंतोष, अशांति व आतंक प्रतिध्वनित करता है कि सरकार की ऊर्वसीयम नीति में कुछ न कुछ कमी है । वहां राज व राजनीति विफल रही अब राज को समाज का खुला व उदार साथ लेना चाहिए और समाज देश की बेहतरी व राष्ट्रहित में अग्रगामी हो ।
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