Yadav Politics: BJP की निगाह अब यादव वोटों पर, प्रदेश के सभी हिस्सों में खड़ी कर रही Yadav Leadership
Yadav Politics: ओबीसी के बड़े तबके को पहले ही साथ ले चुकी BJP अब उत्तर प्रदेश के यादव वोट बैंक पर ही निशाना साध रही है। शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) भी इसी मुहिम का सबसे बड़ा हिस्सा होंगे।
Yadav Politics: उत्तर प्रदेश में ओबीसी के ज्यादातर वोटों को अपनी ओर खींच चुकी भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) की निगाह अब यादव वोटों पर है। ओबीसी में यादवों की जनसंख्या सबसे अधिक है। यूपी और बिहार में यादव फिलहाल बीजेपी (BJP) से दूर हैं। जबकि बाकी अन्य हिन्दी भाषी राज्यों में ऐसा नहीं है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा में यादवों का वोट बीजेपी को मिलता है। 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) से पहले बीजेपी उत्तर प्रदेश में भी यादवों को अपने साथ लाना चाहती है।
बीजेपी का यादव वोट साधने का प्लान
2019 के लोकसभा चुनाव में भी यादवों के कुछ हिस्से ने बीजेपी को वोट किया था। विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की छोटी बहू अपर्णा यादव (Aparna Yadav) को पार्टी में शामिल कराकर और मुलायम सिंह यादव के रिश्ते के समधी हरिओम यादव को सिरसागंज से टिकट देकर यादवों में पकड़ बनाने की कोशिश की थी। विधान परिषद के चुनाव में भी बीजेपी ने पूर्व सपा नेता और विधान परिषद के पूर्व सभापति रमेश यादव के बेटे आशीष यादव, सपा के बड़े नेता व विधायक रमाकांत यादव (Ramakant Yadav) के बेटे अरुणकांत यादव को टिकट दिया है।
इसके साथ ही बीजेपी नेता सुभाष यदुवंश (Subhash Yaduvansh) भी विधान परिषद का चुनाव (Legislative Council Election) लड़ रहे हैं। गिरीश यादव पहले ही मंत्री बनाए जा चुके हैं। बीजेपी की रणनीति प्रदेश के हर इलाके में यादव लीडरशिप को खड़ा करने की है। सूत्रों के अनुसार बीजेपी की प्रदेश सरकार आने वाले पांच वर्षों में यादवों को अपने साथ जोड़ने का पूरा प्रयास करेगी। बीजेपी पहले से ही मुलायम सिंह यादव का काफी सम्मान करती रही है। बीजेपी का कोई भी नेता मुलायम सिंह यादव के खिलाफ कोई बयान नहीं देता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) कई बार सार्वजनिक स्थलों पर मुलायम सिंह का आदर सम्मान करते देखे गए हैं।
पीएम मोदी और सीएम योगी को शिवपाल ने किया फॉलो
यादवों को जोड़ने की इसी योजना का अगला हिस्सा बनेंगे मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के चाचा शिवपाल यादव। शिवपाल यादव (Akhilesh Yadav) ने जिस तरह से नवरात्र के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Shivpal Yadav) और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को ट्विटर पर फालो किया है उससे काफी कुछ साफ हो गया है। इसके पहले सपा विधायकों की बैठक में शिवपाल यादव को न बुलाए जाने से जिस तरह उन्होंने नाराजगी जाहिर की थी उससे भी ये संकेत मिल गए थे कि अब अखिलेश यादव और शिवपाल यादव का साथ रहना मुमकिन नहीं है। शिवपाल यादव यूपी की सियासत का बड़ा नाम हैं। शिवपाल मंत्री रहे हैं, मुलायम सिंह यादव की राजनीति को उन्होंने काफी करीब से देखा और समझा है। समाजवादी पार्टी के गठन और उसके पहले उन्होंने मुलायम सिंह की राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए काफी मेहनत की है। सपा संगठन में उनकी पकड़ बहुत मजबूत रही है। पूरे प्रदेश में समाजवादी पार्टी से जुड़े लोग उनके संपर्क में रहते हैं। यही वजह है कि बीजेपी को लगता है कि शिवपाल यादव के साथ आने से उन्हें एक बड़ा यादव चेहरा मिल जाएगा, जो फिलहाल बीजेपी के अभी नहीं है।
आदित्य यादव के राजनीतिक भविष्य पर संकट
शिवपाल यादव को भी एक नए ठिकाने की जरूरत है। समाजवादी पार्टी से उनके रिश्ते लगभग खत्म हो चुके हैं। अखिलेश यादव ने काफी पहले से उन्हें तवज्जो देना बंद कर दिया है। शिवपाल यादव के सामने अपने राजनीतिक भविष्य के साथ साथ आपने बेटे आदित्य यादव के राजनीतिक भविष्य का भी संकट खड़ा हो गया है। ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले वे अपने लिए कोई मंच तलाश लेना चाहते हैं। चूंकि केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकार है इसलिए उन्हें इससे बेहतर विकल्प फिलहाल नजर नहीं आता है।
हालांकि ये भी सच है कि यदि शिवपाल यादव विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो जाते तो उन्हें काफी फायदा होता। लेकिन उन्होंने समय पर फैसला न लेकर अपना पक्ष कमजोर कर लिया है। अब उन्हें बीजेपी की शर्तों पर वहां जाना होगा। कुल मिलाकर बीजेपी और शिवपाल यादव दोनों को साथ आने से अपना अपना फायदा दिख रहा है। ये सच है कि दोनों को भले ही अभी कोई बड़ा लाभ न हो लेकिन राजनीति में सही दिशा में एक छोटा कदम भी बड़े परिणामों की तरफ ले जाता है और इसे बीजेपी से बेहतर कौन जानता है।