Delhi Assembly Election 2025: मुस्लिम बहुल सीटों पर वोट बंटवारे का बड़ा खतरा, 10 सीटों पर आप और कांग्रेस की टेंशन बढ़ाएंगे ओवैसी

Delhi Assembly Election 2025: भारतीय जनता पार्टी 1998 के बाद से ही दिल्ली की सत्ता पर दूर है और इस बार पार्टी पिछले 27 वर्षों का सूखा खत्म करने की कोशिश में जुटी हुई है।;

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2025-01-09 11:26 IST

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Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी,भाजपा और कांग्रेस के बीच मुख्य रूप से मुकाबला माना जा रहा है मगर कुछ छोटे दल और निर्दलीय प्रत्याशी भी इन तीनों दलों की मुसीबत बन सकते हैं। एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी दिल्ली की 10 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी में जुटे हुए हैं और उनका यह कदम आप और कांग्रेस के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।

ओवैसी की ओर से दिल्ली की मुस्लिम बहुल सीटों पर अपने प्रत्याशियों को उतारने की तैयारी है जिससे मुस्लिम वोटों के बंटने का बड़ा खतरा पैदा हो गया है। ओवैसी दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन समेत दो प्रत्याशियों का ऐलान पहले ही कर चुके हैं। ओवैसी की ओर से जंगपुरा विधानसभा सीट पर भी अपना प्रत्याशी उतारने की तैयारी है जहां से आप ने अपने दिग्गज चेहरे और राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को चुनाव मैदान में उतारा है।

ओवैसी ने दिल्ली दंगे के आरोपी को उतारा

दिल्ली के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन न होने से भाजपा पहले ही फायदे की स्थिति में दिख रही है और अब मुस्लिम बहुल सीटों पर ओवैसी की पार्टी के चुनाव लड़ने से भाजपा को अपनी स्थिति मजबूत बनाने का मौका मिल सकता है। एआईएमआईएम की ओर से दिल्ली की दो विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान पहले ही किया जा चुका है। ओवैसी ने मुस्लिम बहुल मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से दिल्ली दंगे के आरोपी और आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को टिकट दिया है। ओवैसी ने ओखला से आप नेता अमानुल्लाह खान के खिलाफ शफाउर रहमान खान को चुनावी अखाड़े में उतार दिया है। जानकारों का कहना है कि ओवैसी की ओर से दिल्ली दंगे के एक अन्य आरोपी शाहरुख पठान को भी टिकट दिया जा सकता है।

आप से नाराज है ताहिर का परिवार

ताहिर हुसैन का अपने इलाके में दबदबा है और उन्हें मुस्तफाबाद से मजबूत प्रत्याशी माना जा रहा है। ताहिर हुसैन के चुनाव प्रचार के कमान उनके बेटे शादाब ने संभाल रखी है। शादाब ने कहा कि मेरे पिता पर दिल्ली दंगों के आरोप लगाए गए हैं मगर उनके खिलाफ अभी तक कोई सबूत नहीं मिला। 12 में से 9 मामलों में उन्हें बेल मिल चुकी है। देश की न्याय व्यवस्था पर हमें पूरा भरोसा है और हमें बाकी मामलों में भी उन्हें बेल मिलने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि मेरे पिता ने आम आदमी पार्टी को मजबूत बनाने के लिए 10 साल तक मेहनत की मगर जरूरत पड़ने पर आम आदमी पार्टी ने हमारा साथ छोड़ दिया। पार्टी का कोई नेता हमारे आंसू पूछने तक के लिए नहीं आया। उन्होंने आप के रवैए पर नाराजगी जताते हुए कहा कि हम विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं और हमें मुस्तफाबाद के लोगों से समर्थन की उम्मीद है।

10 सीटों पर चुनाव लड़ने की ओवैसी की तैयारी

ताहिर हुसैन के अलावा ओवैसी ने ओखला विधानसभा सीट से शफाउर रहमान खान को चुनावी अखाड़े में उतार दिया है। रहमान पर भी दिल्ली दंगे का आरोप है और वे पांच साल से तिहाड़ जेल में बंद हैं। रहमान जामिया यूनिवर्सिटी एल्युमिनाई के अध्यक्ष हैं और उन्हें भी मजबूत प्रत्याशी माना जा रहा है। एआईएमआईएम के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष शोएब जमई का कहना है कि हमारी पार्टी दिल्ली के 10 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार सकती है। हम मजबूत उम्मीदवारों को लेकर मंथन करने में जुटे हुए हैं और जल्द ही पार्टी के सभी प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया जाएगा। जानकारों का कहना है कि पार्टी की ओर से 10 जनवरी को प्रत्याशी घोषित किए जा सकते हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 10 जनवरी से ही नामांकन की शुरुआत होनी है।

सिसोदिया और गोपाल राय का भी खेल बिगाड़ेंगे ओवैसी

दिल्ली में ओवैसी की ओर से जिन सीटों पर प्रत्याशी उतारने की तैयारी है, उनमें मुस्तफाबाद, और ओखला के अलावा जंगपुरा, बाबरपुर, बल्लीमारान, चांदनी चौक, सदर बाजार, मटिया महल, करावल नगर और सीलमपुर विधानसभा सीटें शामिल हैं। जंगपुरा विधानसभा सीट से आप ने मनीष सिसोदिया को चुनावी अखाड़े में उतारा है और ऐसे में ओवैसी मनीष सिसोदिया का खेल भी बिगाड़ सकते हैं।

बाबरपुर से आप ने अपने मंत्री गोपाल राय को टिकट दिया है जबकि ओखला से आप के प्रमुख मुस्लिम चेहरे अमानुल्लाह खान चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनावों में आप को मुस्लिम वोट बैंक से काफी मदद मिली है और आप की बड़ी जीत में इस वोट बैंक का बड़ा योगदान रहा है। इस बार के विधानसभा चुनाव में ओवैसी मुस्लिम बहुल सीटों पर आप और कांग्रेस दोनों पार्टियों का खेल बिगाड़ सकते हैं। ओवैसी की आक्रामक रणनीति इन दोनों पार्टियों के लिए महंगी साबित हो सकती है। मुस्लिम वोट बैंक के बंटवारे से भाजपा को फायदा होने की उम्मीद जताई जा रही है।

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