अखिलेश की घेरेबंदी से तिलमिलाईं मायावती, कहा-चुनावी गठबंधन को बदनाम करने की कार्रवाई

बसपा सुप्रीमों व पूर्व सीएम मायावती, सपा मुखिया अखिलेश यादव की घेराबंदी की खबरों से तिलमिला उठी हैं। उन्होंने खनन घोटाले में सीबीआई छापेमारी और अखिलेश से पूछताछ को धमकी करार दिया है।

Update: 2019-01-07 08:12 GMT

लखनऊ: बसपा सुप्रीमों व पूर्व सीएम मायावती, सपा मुखिया अखिलेश यादव की घेराबंदी की खबरों से तिलमिला उठी हैं। उन्होंने खनन घोटाले में सीबीआई छापेमारी और अखिलेश से पूछताछ को धमकी करार दिया है। चुनावी स्वार्थ की कार्रवाई बताते हुए मायावती ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा है कि इस प्रकार की घिनौनी राजनीति व चुनावी षड़यंत्र कोई नई बात नहीं है बल्कि यह उनका पुराना हथकण्डा है। जिसे देश की जनता अच्छी तरह से समझती है और इसका ख़ामियाज़ा आगामी लोकसभा चुनाव में भुगतने के लिये बीजेपी को तैयार रहना चाहिए।

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मायावती ने यह बात रविवार को टेलीफोन पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव से बात की और कहा कि बीजेपी सरकार के साम, दाम, दण्ड, भेद आदि हथकण्डों से घबराने की कोई जरूरत नहीं है। जनता बीजेपी को इसका करारा जवाब आने वाले समय में जरूर देगी।

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मायावती ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि जिस दिन सपा व बीएसपी के शीर्ष नेतृत्व की सीधी मुलाकात से जुड़ी खबरें मीडिया में आम हुईं। उसी दिन बौखलाहट में प्रदेश में लम्बित पड़े खनन मामले में एक साथ अनेकों स्थानों पर सीबीआई ने छापेमारी की और अखिलेश यादव से भी पूछताछ करने सम्बंधी खबर जानबूझकर फैलाई गई, यह राजनीतिक विद्वेष व चुनावी षड़यंत्र के तहत सपा-बीएसपी गठबंधन को बदनाम व प्रताड़ित करने की कार्रवाई नहीं तो और क्या है?

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उन्होंने कहा कि यदि यह कार्रवाई राजनीतिक षड़यंत्र नहीं है तो सीबीआई को पहले से ही इस सम्बंध में अपनी कार्रवाई करने देना चाहिये था और बीजेपी नेताओं को इस सम्बन्ध में अनावश्यक व अनर्गल बयानबाजी करने की क्या जरूरत थी? इसके अलावा इस मामले में बीजेपी के मंत्री व नेतागण सीबीआई के प्रवक्ता कब से बन गये हैं?

मायावती ने कहा कि कांग्रेस की तरह बीजेपी भी सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग करके अपने विरोधियों को फर्जी मामले में फंसाने में माहिर रही है और बीएसपी मूवमेन्ट भी इसका भुक्तभोगी रहा है। जब यूपी की लोकसभा की 80 में से 60 सीटे बीएसपी ने बीजेपी को देना स्वीकार नहीं किया तो तब उन्होंने ताज मामले में फर्जी तौर पर मुझे फंसा दिया और जिसके फलस्वरूप 26 अगस्त 2003 में मुख्यमंत्री के पद से मैंने इस्तीफा दे दिया था। लेकिन फिर इसका सूद समेत बदला लोगों ने लिया। सन् 2007 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी की पूर्ण बहुमत की पहली सरकार बनवाई।

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