Congress Crisis: कांग्रेस में राज्यसभा सीटों पर जबर्दस्त मारामारी, उच्च सदन में पहुंचने को बेचैन हैं कई बड़े चेहरे
Congress Crisis: कांग्रेस के कई नेताओं की ओर से महाराष्ट्र और तमिलनाडु की राज्य सभा सीटों पर दावेदारी की जा रही, जिसके चलते पार्टी नेतृत्व भी दुविधा की स्थिति में फंस गया है।
Congress Crisis: कांग्रेस नेताओं (Congress Leader) में इन दिनों राज्यसभा (Rajya Sabha) पहुंचने के लिए मारामारी मची हुई है इसके चलते पार्टी नेतृत्व भी दुविधा की स्थिति में फंस गया है। महाराष्ट्र (Maharashtra) और तमिलनाडु (Tamil Nadu) की एक-एक सीट पर पार्टी उम्मीदवार की जीत तय मानी जा रही है मगर दावेदारों की संख्या ज्यादा होने के कारण कांग्रेस नेतृत्व कोई फैसला नहीं ले पा रहा है। उच्च सदन में पहुंचने के लिए पार्टी के युवा नेताओं के साथ ही वरिष्ठ और और असंतुष्ट नेताओं की ओर से भी दावेदारी की जा रही है।
ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहा है। यही कारण है कि पार्टी नेतृत्व की ओर से अभी तक इन दो सीटों पर उम्मीदवार नहीं तय किए जा सके हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस मुद्दे पर गहराई से मंथन किया जा रहा है। माना जा रहा है कि शीर्ष नेतृत्व की ओर से इनमें से एक सीट पर गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) को राज्यसभा (Rajya Sabha) भेजकर असंतुष्टों को साधने की कोशिश की जा सकती है।
महाराष्ट्र की सीट पर सबसे ज्यादा जोड़-तोड़
राज्यसभा की सात सीटों के लिए जल्द ही चुनाव (Rajya Sabha Chunav) होने वाले हैं। इनमें से दो सीटों पर कांग्रेस को विजय मिलना निश्चित माना जा रहा है। महाराष्ट्र में पार्टी के वरिष्ठ नेता राजीव सातव (Rajeev Satav) के निधन से रिक्त हुई सीट के लिए जबर्दस्त मारामारी मची हुई है। इस एक सीट के लिए पार्टी के कई नेताओं की ओर से दावेदारी की जा रही है और इसी कारण पार्टी नेतृत्व मुश्किल में फंस गया है। महाराष्ट्र की एक सीट के लिए दावेदारों की सूची में मिलिंद देवड़ा (Milind Deora), मुकुल वासनिक (Mukul Wasnik) और संजय निरुपम (Sanjay Nirupam) की ओर से दावेदारी की जा रही है। इन तीनों नेताओं के अलावा अविनाश पांडे (Avinash Pandey) और रजनी पाटिल (Rajni Patil) के भी नाम दावेदारों की सूची में शामिल बताए जा रहे हैं।
महाराष्ट्र में कांग्रेस सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी सरकार में शामिल है। पार्टी नेतृत्व दावेदारों की सूची में से किसी एक नाम पर अभी तक फैसला नहीं ले सका है। दरअसल, पार्टी नेतृत्व की उलझन यह है कि किसी भी एक नेता का नाम फाइनल करने के बाद दूसरे नेताओं से जुड़े वर्गों में नाराजगी फैल सकती है। इसी कारण गंभीर मंथन के बावजूद महाराष्ट्र की एक सीट के लिए पार्टी का उम्मीदवार अभी तक तय नहीं हो सका है।
राजीव सातव की पत्नी भी दावेदार
महाराष्ट्र में पार्टी के कई नेताओं की ओर से दावेदारी जताए जाने के अलावा राजीव सातव की पत्नी प्रज्ञा सातव (Pragya Satav) की ओर से भी राज्यसभा सीट के लिए दावेदारी जताई गई है। प्रदेश कांग्रेस के कई नेताओं की ओर से भी प्रज्ञा की दावेदारी का समर्थन किया गया है। अभी तक इस मुद्दे पर कांग्रेस के किसी बड़े नेता का कोई बयान सामने नहीं आया है।
राजीव सातव की पत्नी के अलावा मिलिंद देवड़ा भी उच्च सदन में जानने के लिए बेकरार हैं। देवड़ा की ओर से कांग्रेस नेतृत्व को पुराने वादे की याद दिलाई गई है। दरअसल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेतृत्व की ओर से देवड़ा से वादा किया गया था। देवड़ा 2019 का चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे मगर बाद में कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें मना कर तैयार कर लिया था। देवड़ा से वादा किया गया था कि उनके चुनाव हारने की स्थिति में उन्हें राज्यसभा भेजा जाएगा।
दो साल से ज्यादा वक्त गुजर जाने के बावजूद कांग्रेस नेतृत्व की ओर से अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। इसी कारण महाराष्ट्र की एक सीट से देवड़ा की दावेदारी को काफी मजबूत माना जा रहा है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी भी महाराष्ट्र से राज्यसभा में भेजे जाने के लिए दबाव बना रहे हैं।
डीएमके ने किया था एक सीट का वादा
महाराष्ट्र के अलावा तमिलनाडु में कांग्रेस को डीएमके के साथ गठबंधन में एक सीट हासिल हो सकती है। पार्टी ने तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव के लिए द्रमुक के साथ गठबंधन किया था। उस समय पार्टी नेतृत्व की ओर से मंजूर किए गए सीट शेयरिंग फार्मूले में राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को एक सीट दिए जाने की बात तय हुई थी। डीएमके की ओर से विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस को ज्यादा सीट सीटें नहीं दी गई थीं मगर राज्यसभा चुनाव के दौरान एक सीट देने का वादा जरूर किया गया था।
तमिलनाडु से आजाद का नाम उछला
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पार्टी के असंतुष्ट गुट जी 23 के अहम सदस्य गुलाम नबी आजाद ने तमिलनाडु में सीट शेयरिंग पर बातचीत के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पार्टी नेतृत्व की ओर से आजाद को ही द्रमुक के साथ गठबंधन की बातचीत करने का दायित्व सौंपा गया था। राज्यसभा में आजाद का कार्यकाल पहले ही समाप्त हो चुका है। आजाद समर्थकों की ओर से उन्हें राज्यसभा भेजने की मांग की जा रही है।
वैसे द्रमुक नेताओं के साथ गुलाम नबी आजाद के अच्छे संबंध बताए जाते हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस की ओर से राज्यसभा सीट की दावेदारी को द्रमुक नेतृत्व भी स्वीकार कर लेगा। जानकारों का कहना है कि आजाद के नाम पर द्रमुक को भी कोई आपत्ति नहीं होगी मगर कांग्रेस नेतृत्व चाह कर भी इस सीट से जुड़े मसले को नहीं सुलझा पा रहा है। आजाद के अलावा आनंद शर्मा की ओर से भी तमिलनाडु से राज्यसभा की सीट पर दावेदारी जताई गई है। इस कारण पार्टी नेतृत्व की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
आनंद शर्मा की दावेदारी से मामला उलझा
पार्टी के वरिष्ठ नेता तमिलनाडु से गुलाम नबी आजाद की दावेदारी को काफी मजबूत बता रहे हैं। उनका कहना है कि यदि कांग्रेस नेतृत्व की ओर से आजाद को उच्च सदन में पहुंचाया जाता है तो असंतुष्टों की गतिविधियों को थामने में भी मदद मिल सकती है। इस कदम से पार्टी में गुटबाजी खत्म होने की उम्मीद भी जताई जा रही है मगर आनंद शर्मा की ओर से दावेदारी किए जाने के बाद पार्टी नेतृत्व उलझन में फंसा हुआ है।
आनंद शर्मा भी पार्टी के असंतुष्ट खेमे जी 23 के अहम सदस्य हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक राज्यसभा में जाने के लिए पार्टी नेताओं में मची खींचतान के कारण पार्टी नेतृत्व का संकट और बढ़ता नजर आ रहा है।
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