गुजरात में गहरे संकट में फंसी कांग्रेस, दूसरी सीट हारने का खतरा

मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार पर छाए संकट के बीच कांग्रेस के लिए दो और राज्यों में बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है। राज्यसभा चुनाव में क्रॉसवोटिंग का खतरा

Update:2020-03-15 18:22 IST

नई दिल्ली: मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार पर छाए संकट के बीच कांग्रेस के लिए दो और राज्यों में बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है। राज्यसभा चुनाव से पहले इन दोनों राज्यों में कांग्रेस विधायकों की क्रासवोटिंग की आशंका से पार्टी में जबर्दस्त घबराहट दिख रही है।

गुजरात में तो चार विधायकों ने पार्टी को भारी झटका देते हुए इस्तीफा तक दे दिया है। गुजरात में भाजपा ने तीसरा उम्मीदवार उतारकर कांग्रेस में क्रॉसवोटिंग का खतरा पैदा कर दिया है। इससे कांग्रेस के दूसरे उम्मीदवार की चुनावी संभावनाओं को ग्रहण लग सकता है।

उधर राजस्थान में भाजपा ने दूसरा उम्मीदवार उतारकर कांग्रेस विधायकों में सेंधमारी की पूरी तैयारी कर ली है। पार्टी के बड़े नेता विधायकों को मैनेज करने में जुटे हैं मगर भाजपा की चाल से कांग्रेस गहरी मुसीबत में फंस गई है।

चार विधायकों का इस्तीफा

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गुजरात में पार्टी छोडऩे वाले चार विधायकों के नामों का आधिकारिक एलान तो नहीं हुआ है मगर सियासी हल्कों में लोगों की जुबान पर इन सभी के नाम तैर रहे हैं। गुजरात कांग्रेस के इन चार विधायकों ने अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा है।

विधानसभा अध्यक्ष कल इस्तीफा देने वाले इन विधायकों के नामों का खुलासा करेंगे। वैसे सियासी जानकारों का कहना है कि दो विधायक जेवी काकडिया और सोमाभाई पटेल हैं क्योंकि चुनाव से पहले ही ये दोनों विधायक गायब हैं और कांग्रेस नेताओं के संपर्क में नहीं हैं।

इसके अलावा इस्तीफा देने वाले दो और विधायक मंगल गावित और प्रद्युमन सिंह जाडेजा हैं।

विधायकों को सहेजने में जुटी कांग्रेस

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इस बीच कांग्रेस अपने बाकी विधायकों को सहेजने के लिए फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। इसी के तहत गुजरात में कांग्रेस के 14 विधायक जयपुर शिफ्ट किए जा चुके हैं। जयपुर में इन विधायकों को आलीशान पांच सितारा होटल शिवविलास में ठहराया गया है।

पार्टी के नेता अपने-अपने 20-22 विधायकों को भी जयपुर भेजने की कोशिश में जुटे हैं। वैसे जानकारों का कहना है कि पार्टी के 10 से 12 और विधायक इस्तीफा दे सकते हैं।

गुजरात में राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए 38 विधायकों के मत चाहिए जबकि कांग्रेस विधायकों की संख्या 73 ही है। इसके साथ ही पार्टी के विधायक एकजुट भी नहीं हैं। ऐसे में पार्टी दूसरी सीट से हाथ धो सकती है।

अमीन भाजपा के तीसरे उम्मीदवार

भाजपा ने यहां कांग्रेस की तगड़ी घेरेबंदी कर रखी है। यहां 26 मार्च को चार सीटों के लिए चुनाव होने हैं। भाजपा की ओर से अभय भारद्वाज, रमीला बेन बारा ने नामांकन किया था।

लेकिन आखिरी लम्हों में भाजपा ने यहां से अपने तीसरे कैंडिडेट के रूप में कांग्रेस के पूर्व कद्दावर नेता और पूर्व डिप्टी सीएम नरहरि अमीन को चुनाव मैदान में उतार दिया।

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इससे कांग्रेस मतों में सेंधमारी का बड़ा खतरा पैदा हो गया है। कांग्रेस की ओर से कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता शक्तिसिंह गोहिल और पूर्व-जीपीसीसी प्रमुख भरतसिंह सोलंकी यहां से चुनाव मैदान में हैं।

अमीन पाटीदार समुदाय से आते हैं। इस तरह अमीन को चुनाव मैदान में उतारकर भाजपा ने पाटीदार कार्ड खेला है। इस कारण कांग्रेस के सामने दूसरी सीट से हाथ धोने का बड़ा खतरा पैदा हो गया है।

राजस्थान में भी कांग्रेस फंसी

यही हालत राजस्थान में भी है। यहां तीन सीटों पर राज्यसभा चुनाव हो रहा है। विधायकों की संख्या के लिहाज से यहां कांग्रेस दो और भाजपा एक सीट जीतने की स्थिति में है।

यहां भी भाजपा ने नामांकन के अंतिम दिन आखिरी लम्हों में राज्यसभा के लिए दूसरे उम्मीदवार के रूप में ओंकार सिंह लखावत को चुनाव मैदान में उतार दिया।

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दरअसल, बीजेपी को लगता है कि यही मौका है कि जब यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से कितने विधायक नाराज हैं और क्या सचिन पायलट गुट से जुड़े विधायक कांग्रेस के उम्मीदवार का विरोध करने के लिए भाजपा के साथ आ सकते हैं या नहीं।

सचिन गुट के विधायकों को तोडऩे की कोशिश

कांग्रेस ने यहां से संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी को चुनाव मैदान में उतारा है। नीरज डांगी के नाम पर उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट तैयार नहीं थे।

सियासी जानकारों का कहना है कि डांगी को टिकट देने पर पायलट गुट के कुछ विधायक क्रॉसवोटिंग कर सकते हैं। डांगी सीएम अशोक गहलोत के करीबी माने जाते हैं और सचिन पायलट के विरोध के बावजूद टिकट पाने में कामयाब रहे।

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इसलिए भाजपा यहां भी सचिन गुट के विधायकों को फोडक़र सेंधमारी की कोशिश में जुटी हुई है।

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