सृजन और सुमो का कनेक्शन ढूंढ़ रहा राजद, झोंकी पूरी ताकत

Update: 2017-09-08 11:58 GMT

पटना। सृजन सहकारी समिति के लोगों ने बिहार सरकार के विभिन्न विभागों के बैंक खातों से खेल कर राशि निकाल कर लगभग सभी राजनीतिक दलों को उपकृत किया था। राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ ही अफसरों, ठेकेदारों और पत्रकारों को भी सृजन ने फायदा दिया था। यही कारण रहा कि शुरू में सभी राजनीतिक दलों ने अपने अंदरूनी नेटवर्क को खंगालना शुरू किया कि कहां-कौन फंस रहा है और कौन बच रहा है। राजद ने सबसे पहले अपने नेटवर्क को खंगाला और जब लगा कि बड़े नेताओं पर सृजन का दाग नहीं लग रहा तो अचानक पार्टी ने तेजी से हमला शुरू किया। इस हमले को हवा देने के लिए पुलिस हिरासत में इलाज के दौरान नाजिर महेश मंडल की मौत को व्यापमं घोटाले की तरह प्रचारित किया गया।

ये भी पढ़ें : राहुल क्यों जाते हैं विदेश! कांग्रेस का बड़ा गेम प्लान है, 19 से है इसका नाता

राजद कर रहा सुशील मोदी की पड़ताल

सीबीआई जांच की अनुशंसा और स्वीकृति ने इन आवाजों पर एक तरह से विराम लगा दिया। एक महीने के अंदर सृजन घोटाले की गूंज सीबीआई की फाइल बन जाने के कारण सत्तारूढ़ राजग जहां चैन की सांस ले रहा है, वहीं राजद को किसी गड़े मुर्दे के उखडऩे का इंतजार है। सीबीआई के पास मामला जाने के बावजूद राजद को कुछ न कुछ हाथ लगने की उम्मीद है। पार्टी ने भागलपुर के अपने कुछ नेताओं को इस काम पर लगा भी दिया है ताकि कोई बड़ा मामला नजर आए तो वह इसका खुलासा करे। राजद के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार भागलपुर में उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी से जुड़े किसी गड़े मुर्दे को उखाडऩे की कोशिश की जा रही है। सुशील मोदी पटना मध्य सीट छोडक़र भागलपुर से चुनाव लडऩे गए थे, इसलिए राजद उस कालक्रम पर सुमो से जुड़ी खबरों-तस्वीरों पर काम कर रहा है।

अब तक सिर्फ छोटी मछलियां पकड़ी गईं

भागलपुर के सृजन घोटाले में अब तक कोई बड़ा नहीं पकड़ा गया है। गिरफ्तार और निलंबित कल्याण अधिकारी अरुण कुमार इस हिसाब से सबसे बड़े अधिकारी हैं। गिरफ्तार नाजिर महेश मंडल के पास बड़ी जानकारी होने की उम्मीद बताई जाने लगी, जब इलाज के दौरान परिजनों ने लापरवाही को मौत का कारण बताया।

ये भी पढ़ें : अलग राज्य के लिए जान देने वालों को किया याद

भागलपुर जिलाधीश के सहायक प्रेम कुमार, भूअर्जन के नाजिर राकेश कुमार झा, दूसरे नाजिर राकेश यादव, सुपौल के सहकारिता अधिकारी पंकज कुमार झा, सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक के अधिकारी वीके गुप्ता, अवकाश प्राप्त बैंक प्रबंधक एस. के. दास, बैंक ऑफ बड़ौदा के सेवानिवृत्त मुख्य प्रबंधक अरुण कुमार भसह, इंडियन बैंक के कर्मचारी अजय पांडे, सृजन के सतीश झा, सरिता झा, पासबुक प्रिंट करने वाले प्रेरणा प्रिंभटग प्रेस के बंशीधर झा और ड्राइवर विनोद भसह जेल में बंद हैं। इनसे अब तक हुई पूछताछ में निकली बातों को एफआईआर के साथ सीबीआई को सौंप दिया गया है। अब तक किसी बड़े की गिरफ्तारी नहीं होने के कारण सभी की निगाहें अब दिल्ली की ओर हैं।

1100 करोड़ तक पहुंच चुका है आंकड़ा

- तिलकामांझी थाना कांड संख्या 494/17- नगर विकास विभाग के 17.7 करोड़ गलत तरीके से निकासी।

- तिलकामांझी थाना कांड संख्या 499/17- जिला नजारत के 29.29 करोड़ गलत तरीके से निकासी का मामला।

- तिलकामांझी थाना कांड संख्या 500/17- भू-अर्जन के खाते से 323 करोड़ की गलत तरीके से निकासी।

- तिलकामांझी थाना कांड संख्या 505/17- जिला नजारत के 110.80 करोड़ की गलत तरीके से निकासी।

- आदमपुर थाना कांड संख्या 508/17- कोआपरेटिव विभाग के 48.95 लाख की गलत तरीके से निकासी।

- तिलकामांझी थाना कांड संख्या 512/17- जिला कल्याण विभाग का छह करोड़ की गलत तरीके से निकासी।

- तिलकामांझी थाना कांड संख्या 513/17- जिला परिषद के 74.83 करोड़ की गलत तरीके से निकासी।

- तिलकामांझी थाना कांड संख्या 514/17- स्वास्थ्य विभाग के 40 लाख की गलत तरीके से निकासी।

- तिलकामांझी थाना कांड संख्या 517/17- शहरी विकास अभिकरण के खाते से गलत तरीके से निकासी।

इन नौ दर्ज प्राथमिकी में सरकारी खाते के कुल 624.84 करोड़ रुपए सृजन के खाते में भेजने का मामला सामने आ चुका है। भागलपुर में 57, 96 और 115 करोड़ रुपए के और मामले सामने आ चुके हैं। इस तरह आंकड़ा करीब 900 करोड़ तक पहुंच चुका है। इसके अलावा बांका और सहरसा से सृजन के खाते में हुए ट्रांसफर को जोड़ें तो राशि करीब 1100 करोड़ पहुंच रही है।

Tags:    

Similar News