Maharashtra Politics : केंद्र की सियासत में नहीं जाना चाहते एकनाथ शिंदे, साफ कर दिया रुख, आखिर क्या है इसका कारण
Maharashtra Politics : महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ महायुति की बड़ी जीत के बाद इन दिनों सीएम पद को लेकर महाराष्ट्र की सियासत गरमाई हुई है।
Maharashtra Politics : महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ महायुति की बड़ी जीत के बाद इन दिनों सीएम पद को लेकर महाराष्ट्र की सियासत गरमाई हुई है। इस बीच शिवसेना के शिंदे गुट के नेता एकनाथ शिंदे ने ऐलान कर दिया है कि मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा हाईकमान का फैसला उन्हें मंजूर होगा। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की ओर से जो भी फैसला किया जाएगा, वे उसे फैसले को मानेंगे।
शिंदे की ओर से सीएम पद को लेकर अपना रुख स्पष्ट किए जाने के बाद अब उनके मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने की बात भी कहीं जा रही है। हालांकि शिंदे महाराष्ट्र की सियासत छोड़कर केंद्र नहीं जाना चाहते। बुधवार की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान शिंदे ने इस ओर इशारा भी कर दिया है। दरअसल लंबे समय से सियासी मैदान में सक्रिय शिंदे को राजनीति का माहिर खिलाड़ी माना जाता है और वे सोची समझी रणनीति के तहत महाराष्ट्र की सियासत से दूर नहीं होना चाहते।
शिंदे ने किया साफ इशारा
शिंदे के मुख्यमंत्री पद से दूरी बनाने के बाद महाराष्ट्र के सियासी हलकों में एक चर्चा जोरों पर सुनी जा रही है। इस चर्चा के मुताबिक शिंदे को केंद्र की मोदी सरकार में अहम मंत्रालय मिल सकता है और उनके बेटे श्रीकांत शिंदे को महाराष्ट्र में डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। महाराष्ट्र में इस तरह की अटकलें भले ही लगाई जा रही हों मगर सच्चाई यह है कि शिंदे महाराष्ट्र की सियासत से दूर नहीं होना चाहते।
बुधवार की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जब मीडिया की ओर से शिंदे से दिल्ली जाने के संबंध में सवाल पूछा गया तो इस पर शिंदे का जवाब था कि भाई मुझे दिल्ली क्यों भेजना चाहते हो? शिंदे के इस जवाब से साफ हो गया है कि वे महाराष्ट्र छोड़कर केंद्र की सियासत नहीं करना चाहते। वे महाराष्ट्र में ही बने रहना चाहते हैं।
अपनी पार्टी को मजबूत और एकजुट बनाने की चुनौती
शिंदे की पार्टी से जुड़े जानकार सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री पद न मिलने के बावजूद शिंदे आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की सियासत में अपनी सक्रियता बनाए रखेंगे। इस बार के विधानसभा चुनाव में शिंदे की पार्टी ने 57 सीटों पर जीत हासिल की है और शिंदे अब अपनी पार्टी को पूरी तरह मजबूत और एकजुट बनाए रखना चाहते हैं। वैसे मुख्यमंत्री की कुर्सी के बिना शिंदे के लिए पार्टी को मजबूत बनाना आसान काम नहीं होगा।
बीएमसी चुनाव पर शिंदे की निगाहें
महाराष्ट्र की रियासत से दूर न होने की शिंदे की इच्छा के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि राज्य में जल्द ही निकाय चुनाव होने वाले हैं। निकाय चुनाव के दौरान शिंदे के सामने अपनी पार्टी को मजबूत बनाने और अधिक से अधिक लोगों को चुनाव जिताने की बड़ी चुनौती होगी। शिंदे की निगाह मुख्य रूप से बीएमसी चुनाव पर लगी हुई है। बीएमसी पर लंबे समय से शिवसेना का प्रभुत्व रहा है और इस चुनाव के दौरान शिंदे एक बार फिर उद्धव ठाकरे की शिवसेना को करारी मात देना चाहते हैं।
बीएमसी को देश की सबसे अमीर महापालिका माना जाता रहा है। करीब 60 हजार करोड़ रुपए बजट वाली मुंबई नगर महापालिका का चुनाव तीन वर्षों से नहीं हुआ है। 2022 के फरवरी महीने से ही बीएमसी को प्रशासक चला रहे हैं। बीएमसी के चुनाव जल्द ही संभावित हैं। माना जा रहा है की नई सरकार के गठन के बाद इस दिशा में कदम उठाया जाएगा। ऐसे में शिंदे बीएमसी चुनाव में भी अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं।