Azmer Dargah : 'क्या पूरे देश को जला देंगे?', कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने अजमेर दरगाह विवाद पर बीजेपी पर प्रहार किया
Azmer Dargah Contoversy : कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने गुरुवार को राजस्थान में अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करने वाले कानूनी मुकदमे को लेकर बीजेपी की आलोचना की।
Azmer Dargah Contoversy : कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने गुरुवार को राजस्थान में अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करने वाले कानूनी मुकदमे को लेकर बीजेपी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इस तरह की हरकतें पूरे देश को जला सकती हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है। इसके साथ ही उन्होंने इस तरह के विवादों के पीछे की मंशा पर भी सवाल उठाये हैं।
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने बीजेपी पर प्रहार करते हुए कहा कि क्या अपने राजनीतिक लाभ के लिए पूरे देश को जला देंगे? उन्होंने कहा कि ऐसी चीजें पूरे देश में आग लगा देंगी, ये क्या हो रहा है? उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को इस मामले को देखना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट को भी संज्ञान लेना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि आप (BJP) धार्मिक स्थलों और संपत्तियों को नहीं छोड़ रहे हैं। हमें कहां किनारे करना चाहते हैं? किस-किस मस्जिद के नीचे मंदिर देखेंगे, कोई सीमा है या नहीं? उन्होंने केंद्र सरकार पर उपासना अधिनियम 1991 को किनारे करने का आरोप लगाया है।
केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग
वहीं, अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि देश में ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं। हर दूसरे दिन हम देखते हैं कि विशेष समूह मस्जिदों और दरगाहों पर दावा कर रहे हैं। यह हमारे समाज और देश के हित में नहीं है। आज भारत एक वैश्विक शक्ति बन रहा है, हम कब तक मंदिर और मस्जिद विवाद में उलझे रहेंगे? उन्होंने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप करने का आह्वान किया। इसके साथ ही उन्होंने धार्मिक प्रतिष्ठानों पर दावों को रोकने के लिए कानून बनाने और दिशा-निर्देश जारी करने का आग्रह किया। उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के 2022 में दिए उस बयान पर सहमति व्यक्त की है, जिसमें कहा था कि हम तक मस्जिदों में शिवालय ढूंढते रहेंगे।
क्या है मामला?
राष्ट्रीय हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने राजस्थान के अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करते हुए मामला दर्ज कराया था, इसके बाद विवाद शुरू हो गया। कोर्ट ने बुधवार को इस मामले को स्वीकार कर लिया है और इसके लिए अगली सुनवाई की तारीख 20 दिसंबर निर्धारित कर दी है। अदालत ने इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए दरगाह समिति, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को नोटिस जारी किया है।