आजमगढ़: 21 साल बाद किसी पीएम को आई पिछड़े जिले की याद, आखिर क्‍यों...

Update:2018-07-11 18:05 IST

आजमगढ़: लोकसभा चुनाव ने दस्‍तक दे दी है। ऐसे में पीएम मोदी के एक्‍शन प्‍लान पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। पिछले लोकसभा चुनावों से लेकर पीएम मोदी ने कई ऐसे काम किए जो उनकी पार्टी के लोगों सहित आम जनता के लिए भी अप्रत्‍याशित रहे। पीएम मोदी की इस स्‍ट्रैटजी के चलते बीजेपी को उसका फायदा भी मिला। अब पीएम मोदी एक और अप्रत्‍याशित कदम उठाने जा रहे हैं। इक्‍कीस साल बाद प्रधानमंत्री मोदी पूर्वांचल की राजनीति का केन्द्र माने जाने वाले आजमगढ़ में आ रहे हैं।

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मुलायम के गढ़ से होगा आगाज

सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के गढ़ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अब चुनावी आगाज करेंगे। चुनावी श्रीगणेश के लिए अभी तक मुलायम सिंह ही आजमगढ़ को चुनते आए हैं। चुनाव को लेकर मुलायम यहां कई रैलियां भी कर चुके हैं। प्रधानमंत्री रहे देवेगौड़ा के साथ उन्होंने सुरजीत सिंह बरनाला, चंद्रबाबू नायडू, फारूक अब्दुल्ला, ओम प्रकाश चैटाला सहित फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन तक को आजमगढ़ में उतारा था। मुलायम ने आजमगढ़ पर जमकर विकास की बारिश की। इसलिए मोदी भी वाराणसी से गोरखपुर नई रेल लाइन और पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के शिलान्यास के बहाने यहां उतर रहे हैं। मुलायम के गढ़ से होने वाली मोदी की रैली को लेकर आजमगढ़ सुर्खियों में है।

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पीएम मोदी फैलाएंगे झोली

जनपद मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर मंदुरी हवाई पट्टी पर 14 जुलाई को आयोजित मोदी के रैली में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ देश के कई भाजपाई दिग्गज भी यहां आ रहे हैं। प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर जनपदवासी इसलिए गदगद हैं क्योंकि 21 साल बाद कोई पीएम उनके जिले में इस बार यहां आ रहा है। वर्ष 1997 में शहर के जजी मैदान में तत्कालीन पीएम एचडी देवगौड़ा, तत्कालीन रक्षा मंत्री मुलायम के साथ यहां आए हुए थे। पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी की अपील को नकारते हुए यहां के लोगों ने मुलायम सिंह को चुनने का काम किया था। अब वह प्रधानमंत्री के रूप में यहां फिर झोली फैलाने आ रहे हैं।

मोदी लहर में हारी थी बीजेपी

इसी जिले की लालगंज लोकसभा सीट पर कमल जरूर खिला पर आजमगढ़ लोकसभा की सीट भाजपा मोदी लहर के बाद भी हार गई। पूर्वांचल के सेंटर में बसा आजमगढ़ समाजवादियों के झंडे से आज भी लहरा रहा है। इसे छोड़ सभी संसदीय क्षेत्र में सिर्फ भगवा ही भगवा नजर आ रहा है। गठबंधन के दम पर समाजवादियों ने गोरखपुर जैसे भाजपा के गढ़ को ही हिला दिया। इसे लेकर इस बार मोदी भी समाजवादियों के गढ़ आजमगढ़ में हल्ला बोलेंगे। हुकूमत के खिलाफ आजमगढ़ हमेशा ही जनादेश देता रहा है। जनता पार्टी लहर की हवा निकालने वाले आजमगढ़ पर अब मोदी की नजर गड़ गई है।

वर्ष 1978 में यहां हुए उपचुनाव में कांग्रेस की मोहसिना किदवई तब जीती थीं, जब देश में जनता पार्टी की हुकूमत थी। लहर में जीते रामनरेश यादव के सीएम बनने से आजमगढ़ की सीट रिक्त हुई थी। उपचुनाव के चलते जनता पार्टी की सीट कांग्रेस ने झटक ली थी। आजमगढ़ लोकसभा सीट की पहचान सत्ता विरोधी रुप में होती रही है। मोदी लहर से ही देश और प्रदेशोँ में भाजपा की सरकारें आज भी कमल की तरह खिल रही हैं। बागी आजमगढ़ ने मोदी लहर को यहां पनपने नहीं दिया। मुलायम के आगे मोदी का कमल मुरझा गया। जिले के दस विधानसभा सीटों में से सिर्फ एक पर भाजपा के बाहुबली पूर्व सांसद रमाकांत यादव के पुत्र अरूणकान्त यादव विराजमान हैं। सपा-बसपा के अलग-अलग रहते भाजपा का यहां यह हाल रहा है। मजबूत गठबंधन के आगे मोदी लहर का क्या होगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। वर्ष 1993 के सपा-बसपा गठबंधन में यहां की दसों सीट मुलायम के नाम रही हैं। इसके बाद सभी चुनाव में सपा और बसपा बराबर के हकदार रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में सपा के नौ माननीय यहीं से चुने गए थे। इस बार भी पांच विधायक मुलायमवादी हैं।

आजमगढ को मुलायम ने दिया रिटर्न गिफ्ट

इटावा से ज्यादा इसी आजमगढ़ की जमीन को मुलायम ने बहुत कुछ दिया। कमिश्नरी, पीजीआई, हवाईपट्टी, महिला अस्पताल, सर्किट हाउस, रोडवेज भवन, ओवर ब्रिज, चीनी मिल सहित कई बुनियादी सौगाते मुलायम की ही देन है। इसलिए मोदी भी नई रेल लाइन, पूर्वांचल एक्सप्रेस वे व हवाई अड्डा सहित सौगातें लेकर यहां उतर रहे हैं। लोकसभा में मिली हार के बाद विधानसभा चुनाव के दौरान मोदी आजमगढ़ से दूर ही रहें हैं। यह अलग बात है कि आजमगढ़ के रहने वाले उम्मीदवारों के लिए उन्होंने मऊ में रैली कर वहां की जनता से वोट जरूर मांगे थे। मऊ में चार में से तीन सीटों पर जीते भाजपा के यह सभी विधायक आजमगढ़ के ही हैं। देश के सत्ता के खिलाफ जनादेश देने वाला आजमगढ़ यूपी हुकूमत के भी खिलाफ ही खड़ा रहा है। यहां दस में से सिर्फ एक पर ही भाजपा की जय हुई। 9 सीटों पर सपा और बसपा का कब्जा हो गया। इसके बाद भी प्रधानमंत्री मोदी ने समाजवादियों के गढ़ में भगवा लहराने का जिम्मा उठाया है। सत्ता के खिलाफ जनमत देने वाला आजमगढ़ आज सुर्खियों में है। पीएम के आगमन को लेकर यहां के सभी भाजपाई गदगद हैं । पिछले चुनाव में पहली बार रमाकांत यादव के दम पर भाजपा ने यहा अपना झंडा गाड़ा था। मोदी लहर के बाद भी समाजवादियों के गढ़ से मुलायम सिंह यादव जीत कर लोकसभा पहुंच गए। भाजपा यहां आज इस उम्मीद में आ रही है क्योंकि मुलायम सिंह इस बार आजमगढ़ को छोड़ रहे हैं । नए सपाई उम्मीदवार के आगे कमल खिलाने के लिए मोदी ने यहां के कार्यकर्ताओं में जोश भरने का मन बनाया है। गोरखपुर जैसे गढ़ को गंवा चुकी भाजपा मुलायम के गढ़ पर अपनी आंखें गड़ा दी है, इसलिए मोदी यहां भी अपनी ताकत झोंक रहे हैं।

अखिलेश की परियोजनाओं को फिर हरी झण्डी देंगे मोदी

पीएम नरेन्द्र मोदी आजमगढ़ में कई योजनाओं का शिलान्‍यास करेंगे। इनमें जो प्रमुख शिलान्यास है, वह पूर्वांचल एक्सप्रेस वे है। इसका शिलान्यास वैसे तो कुर्सी से हटने से पहले ही तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कर दिया था। बावजूद इसके मोदी इस परियोजना का शिलान्यास करेंगे। इसके पीछे भाजपाइयों का तर्क है कि अखिलेश ने जिस वक्त इस परियोजना का शिलान्यास किया था, उस समय केवल जमीनें चिन्हित की गयी थी। यह लोग कहते हैं कि न तो जमीनों का अधिग्रहण हुआ था और न ही किसानों को मुआवजा ही दिया गया था। यही वजह है कि अखिलेश का शिलान्यास नहीं माना जायेगा। इसके अलावा वाराणसी से गोरखपुर की रेल लाइन बिछाने की योजना को हरी झण्डी देंगे और इस परियोजना का भी शिलान्यास करेंगे। यह अलग बात है कि इस नई रेल लाइन के लिए अभी तक जमीनों का अधिग्रहण ही नहीं हो सका है। भाजपाई यह भी कह रहे हैं कि मोदीजी यहां मन्दुरी हवाई पट्टी का विस्तारीकरण करके हवाई अड्डा बनाने को मंजूरी देंगे और इस परियोजना का भी शिलान्यास करेंगे। अब देखना यह है कि अपने चार साल के कार्यकाल के दौरान आजमगढ़ को राजनैतिक रूप से अनुपयोगी जानकर यहां कोई भी विकास कार्य न करने वाले मोदी और भाजपाई ओहदेदार अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में आजमगढ़ में विकास परियोजनाओं के शिलान्यास का कितना लालीपाप देते हैं।

तोड़ दी गयी हवाई पट्टी के तीन तरफ की दीवारें

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जनसभा के लिए मंदुरी हवाई पट्टी की दीवारें तोड़ दी गयी है। इन दीवारों को बनाने में लाखों रूपये खर्च आये थे। इसे लेकर विरोधी दलों के अन्दरखाने से आन्दोलन की सुगबुगाहट आने लगी है। वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता इम्तियाज बेग ने कहा कि हवाई पट्टी की तीन तरफ की दीवारों को जनसभा के लिए ढहाना भाजपा का घृणित कृत्य है। उनका कहना है कि वह इसके खिलाफ आन्दोलन चलायेंगे और प्रशासन को भाजपा पर जुर्माना लगाना पड़ेगा। यह जुर्माना हवाई पट्टी तोड़ने का हो। साथ ही ढहायी गयी तीनों दीवारें भाजपा को बनवानी पड़ेंगी ताकि आम आदमी पर उसका बोझ न आये। वरिष्ठ सपा नेता एवं ब्लाक प्रमुख इसरार अहमद का कहना है कि समाजवादी कार्यकर्ता चुप नहीं बैठेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा के इस छलावे के खिलाफ विपक्ष एकजुट है और आने वाले चुनाव में इसका जबाव दिया जायेगा।

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