महापदयात्रा के दौरान राहुल क्यों गए हनुमानगढ़ी और रामलला से बनाए रखी दूरी
लखनऊ: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी देवरिया से 6 सितंबर से शुरू किसान यात्रा में 9 सितंबर को अयोध्या के हनुमानगढी मंदिर गए लेकिन बमुश्किल एक किलोमीटर दूर रामलला मंदिर से दूरी बनाए रखी। किसान यात्रा का समापन अगले महीने होना है।
राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि यूपी विधानसभा चुनाव को देखते हुए उन्होंने विवादित स्थल से अपनी दूरी बनाए रखी ताकि मुसलमानों की भावनाएं आहत न हो। एक समय था जब मुसलमान कांग्रेस के खास वोट बैंक हुआ करते थे लेकिन 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद से उन्होंने अपनी इस पुरानी पार्टी को छोड़ दिया। उनसे खासी दूरी भी बना ली। हालांकि विवादित ढांचा गिराए जाने में कांग्रेस का कोई रोल नहीं था। हां, केंद्र में पीवी नरसिंहराव के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार अवश्य थी।
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राहुल ने हनुमानगढ़ी में पूजा की और महंत ज्ञानदास से अगला पीएम होने का आशीर्वाद भी लिया। राहुल रामलला मंदिर में नहीं जाकर ये संदेश भी देना चाह रहे थे कि विवादित ढांचा गिराए जाने को लेकर बीजेपी ही जिम्मेदार है, इससे कांग्रेस का कोई लेना देना नहीं था।
हालांकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका फायदा मिलेगा या नहीं, इसका पता तो नहीं लेकिन पार्टी उम्मीद जरूर लगाए बैठी है। यदि कांग्रेस मुसलमानों के कुछ प्रतिशत वोट भी हासिल कर लेती है तो उसके वोट प्रतिशत और सीट में इजाफा हो सकता है।
संभवत: मुसलमान भी कांग्रेस और उनके नेताओं की गतिविधियों पर पैनी नजर रख रहे होंगे। यूपी के चुनाव से मुसलमानों और दलितों के नकार देने के बाद कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई। मुसलमानों के वोट समाजवादी पार्टी के पास चले गए तो दलितों के वोट बसपा ले उडी्।
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सत्ता फिर से पाने के लिए ही पार्टी ने '27 साल यूपी बेहाल' नाम से यात्रा शुरू की है लेकिन इसे वैसा रिस्पोंस नहीं मिला जिसकी पार्टी उम्मीद लगाए बैठी थी। हालांकि पार्टी ने अपनी बेहाल यात्रा पर सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर पेज भी बनाया है जिसे 6 लाख से ज्यादा लोग पसंद कर रहे हैं।
कांग्रेस ने बाद में विवादित ढांचा गिराए जाने का ठीकरा अपनी ही पार्टी के पीएम नरसिंहराव पर फोड़ दिया। लेकिन ये भी सच है कि विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद गांधी परिवार का कोई सदस्य पहली बार अयोध्या आया। इसीलिए वो हनुमानगढ़ी मंदिर तो गए लेकिन विवादित ढांचे के इलाके में बने रामलला मंदिर से दूरी बनाए रखी।
गौरतलब है कि राम सेतु को तोड़े जाने के विवाद पर राहुल गांधी से राम के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा कर दिया था और काल्पनिक चरित्र बताया था।
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राहुल गांधी के पिता और तत्कालीन पीएम राजीव गांधी 1990 में अयोध्या आए थे लेकिन चाहकर भी समय की कमी के कारण हनुमानगढ़ी मंदिर नहीं जा सके थे। इस मामले में कांग्रेस के नेता कहते हैं कि राहुल ने हनुमानगढ़ी जाकर अपने पिता की इच्छा पूरी की।
दरअसल, कांग्रेस मुसलमानों से कुछ ऐसी चीजें भूलने की उम्मीद कर रही है जिसे वो जल्द भूलना नहीं चाहते। देश खासकर यूपी के मुसलमानों को अच्छी तरह याद है कि 1949 में कांग्रेस के शासनकाल में ही विवादित परिसर में बने राम मंदिर के अंदर का ताला खोला गया था। दोबारा 1986 में मंदिर के गर्भ गृह में जाने का ताला खोल दिया गया।
अब बड़ा सवाल ये है कि विवादित परिसर में राम लला का मंदिर तो मौजूद है, भले ही अयोध्या में जन्म लेने वाले राम तिरपाल में हैं लेकिन बाबर के नाम पर बनी बाबरी मस्जिद मौजूद नहीं है।