पैरेंट्स के लिए पैरेंटिंग नहीं आसान! ऐसे करें विकास कि बच्चे का ना हो कम आत्मविश्वास

कुछ बच्चे बचपन से ही मस्त व सबसे घुलने मिलने वाले होते है तो कुछ बच्चा किसी से भी मिलने पर हिचकिचाता है, उसे अकेले रहना अच्छा लगता है और पैरेंट्स को भी लगता है कि बच्चा, बड़े होने पर समझ जाएगा, लेकिन समय बदलने के साथ ही बच्चे पर उसके भावी जीवन के बारे में तय करने और एक ऊंचाई छूने के लिए दौड़-भाग का दवाब बनने लगता है।

Update:2020-01-17 07:23 IST

जयपुर: कुछ बच्चे बचपन से ही मस्त व सबसे घुलने मिलने वाले होते है तो कुछ बच्चा किसी से भी मिलने पर हिचकिचाता है, उसे अकेले रहना अच्छा लगता है और पैरेंट्स को भी लगता है कि बच्चा, बड़े होने पर समझ जाएगा, लेकिन समय बदलने के साथ ही बच्चे पर उसके भावी जीवन के बारे में तय करने और एक ऊंचाई छूने के लिए दौड़-भाग का दवाब बनने लगता है। इसलिए बचपन से ही बच्चों को तरह-तरह के खिलौनों के साथ घुलना मिलना सिखाएं। लोगों से बात करना सिखाएं, रंगो, कहानियों और खिलौनों के माध्यम से उसकी रुचियों को प्रोत्साहित करें, बल्कि उसकी हर गतिविधि में हिस्सा लें। बचपन से ही बच्चों को समय की अहमियत बतानी चाहिए।

 

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*आज समय की कमी की मार की वजह से लोग अपने घरों में सिमट कर रह गए हैं। ऐसे में आज के बच्चे समाज में लोगों से ज़्यादा घुलने-मिलने से हिचकिचाते हैं। अपने बच्चे को कम उम्र से ही लोगों के बीच रखें। बड़े-छोटे की पहचान कराएं। साथ ही आस-पास के परिचित लोगों के घर भी ले जाएं। इससे बच्चे लोगों के बीच घुलना-मिलना सीखेंगे। ये बच्चे के विकास के लिए बहुत ज़रूरी है। इससे बच्चे अंतर्मुखी होने से बचते हैं।

*जब भी अपने बच्चे से कोई भी चीज मांग रहे हो या फिर उनसे कुछ पूछ रहे हो तो प्लीज वर्ड का इस्तेमाल करना ना भूलें। इसके अलावा जब बच्चा कोई चीज लाकर दें तो उसे थैंक्यू भी जरूर बोलें। ऐसा करने से ये आदत बच्चे भी जल्दी सीख जाते हैं।

*अक्सर बच्चे अपने कपड़े, खिलौने, किताबें और दूसरे सामान बिखेरकर रखते हैं लेकिन, इन आदतों को बचपन में ही सुधारने की जरुरत है। माता-पिता को चाहिए कि वो बच्चों को अपनी चीजों को सफाई और सहेजकर रखना सिखाएं। ये आदत आगे चलकर उसके व्यक्तित्व के विकास में सहायक साबित होगी।

*चाहे वक्त की कमी हो या न हो, ये बात बहुत ज़रूरी है कि अपने बच्चे के साथ वक्त सिर्फ गुज़ारें ही नहीं, बल्कि उसे अपना क्वॉलिटी टाइम दें। इस का सीधा सा मतलब ये है कि आप बच्चे की हर एक्टिविटी में शामिल रहें। साथ ही उसे सही-गलत की भी जानकारी देती रहें। उसके साथ छोटे-छोटे गेम्स खेलें या मनोरंजक कहानियां सुनाएं। इससे बच्चे की दिमागी विकास में सहायता मिलेगी।

*जब भी बच्चे से कोई उनका हाल-चाल पूछे तो उन्हें आगे से जवाब कैसे देना है, ये बात उन्हें जरूर सिखाएं। इससे बच्चे लोगो से बात करना और उनके सवाल का जवाब देना सिख जाते हैं।

 

 

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*बच्चे को सहयोग की भावना सिखाना बेहद जरूरी है। बच्चे अपने भाई-बहन के प्रति कैसा रवैया रखते हैं या फिर अपने दोस्तों के साथ उनका व्यवहार कैसा है, इस बात पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उनके इस व्यवहार से उनका व्यक्तित्व जुड़ा होता है।

*अगर बच्चा सामाजिक काम या इवेंट में जाना पसंद नहीं करता तो बच्चे से यह अपेक्षा ना करें कि वह लोगों से बात करेंगे या उस इवेंट का हिस्सा बनेंगे। अगर संभव हो तो जल्दी पहुंचें ताकि बच्चा पहले से उस जगह को जान ले और ऐसा महसूस करे कि दूसरे लोग उस जगह आ रहे जिसको वह पहले से जानता है।

*बच्चे को अपने मदद खुद करना सिखाएं। अगर कोई बच्चा उसके शर्मीलेपन का फायदा उठाने की कोशिश करे, तो उसे खुद के लिए स्टैंड लेने के लिए तैयार करें। उसे बताएं कि अगर स्कूल में कोई उसके साथ गलत करता है, तो उसे किसी बड़े को या अपने टीचर से शिकायत करनी चाहिए।इसके लिए अपने बच्चे को बचपन से बताएं कि उनके लिए उनका साथ सबसे जरूरी है।

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