ICC का बड़ा फैसला: गेंद चमकाने के लिए खिलाड़ी अब नहीं कर सकेंगे ये काम
कोरोना महामारी का असर विभिन्न क्षेत्रों में दिख रहा है और क्रिकेट की दुनिया भी इससे अछूती नहीं है। पूरी दुनिया में इस महामारी के फैलने के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने बड़ा फैसला लेते हुए क्रिकेट की गेंद को चमकाने के लिए लार के इस्तेमाल पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी है।
नई दिल्ली: कोरोना महामारी का असर विभिन्न क्षेत्रों में दिख रहा है और क्रिकेट की दुनिया भी इससे अछूती नहीं है। पूरी दुनिया में इस महामारी के फैलने के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने बड़ा फैसला लेते हुए क्रिकेट की गेंद को चमकाने के लिए लार के इस्तेमाल पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी है। आईसीसी ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए दो देशों के बीच सीरीज के दौरान घरेलू अंपायर रखने की भी छूट दे दी है। इसके साथ ही टेस्ट मैच में कोरोना कन्क्शन का नियम लागू होगा। इसका मतलब है कि मैच के दौरान किसी खिलाड़ी के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की दशा में उसे रिप्लेस करने की छूट होगी।
कोरोना के कई बड़े फैसले
कोरोना महामारी के बाद पैदा हुए खतरों को कम करने के लिए ये सभी फैसले लिए गए हैं। भारत के दिग्गज खिलाड़ी अनिल कुंबले की अगुवाई वाली कमेटी ने आईसीसी को इस बाबत सुझाव दिए थे। कुंबले के अलावा इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) ने भी आईसीसी को एक प्रस्ताव भेजा था। इस प्रस्ताव में कहा गया था कि किसी खिलाड़ी के कोरोना से संक्रमित होने पर उसकी जगह सब्सटीट्यूट खिलाड़ी को मैदान में उतरने की छूट दी जानी चाहिए। सब्स्टीट्यूट खिलाड़ी को मैदान में उतारने के लिए छूट टेस्ट क्रिकेट में दी गई है। वनडे और टी-20 मुकाबलों में इसे नहीं लागू किया जाएगा।
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इस आधार पर उतरेगा सब्सटीट्यूट खिलाड़ी
सब्स्टीट्यूट खिलाड़ी को मैदान में उतारने का आधार भी तय किया गया है। इसके मुताबिक किसी बल्लेबाज के कोरोना से संक्रमित होने पर उसकी जगह बल्लेबाज को ही उतारा जा सकता है। इसी तरह किसी गेंदबाज के कोरोना का शिकार होने पर गेंदबाज ही उसकी जगह लेगा। यह भी तय किया गया है कि किसी खिलाड़ी के कोरोना संक्रमित होने की दशा में सबसे पहले स्टेडियम में मौजूद डॉक्टर और इंग्लैंड के स्वास्थ्य विभाग को इसकी सूचना दी जाएगी। इसके बाद संबंधित खिलाड़ी को आइसोलेशन में भेज दिया जाएगा।
इंग्लैंड-वेस्टइंडीज सीरीज से लागू होगा फैसला
जानकारों का कहना है कि सब्सटीट्यूट खिलाड़ी का नियम इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच होने वाली टेस्ट सीरीज से लागू किया जा सकता है। यह टेस्ट सीरीज 8 जुलाई से शुरू होने वाली है और दोनों टीमों के बीच तीन टेस्ट मैच खेले जाने हैं। सीरीज खेलने के लिए वेस्टइंडीज की टीम इंग्लैंड दौरे पर पहुंच गई है और टीम में 14 नियमित खिलाड़ियों के साथ ही 11 रिजर्व खिलाड़ी भी रखे गए हैं। क्वारंटाइन का समय पूरा होने के बाद यह टेस्ट सीरीज शुरू होगी।
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एशेज सीरीज में लागू हुआ था ये नियम
पिछले साल इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच एशेज सीरीज के दौरान कन्कशन सब्सटीट्यूट का नियम लागू हुआ था। इस नियम के मुताबिक किसी खिलाड़ी के चोटिल होने पर उसकी जगह दूसरे खिलाड़ी को टीम में लिया जा सकता है। बल्लेबाज के चोटिल होने पर बल्लेबाज और गेंदबाज के चोटिल होने पर गेंदबाज को प्लेइंग इलेवन में शामिल किया जा सकता है। सब्सटीट्यूट को मैदान में उतारने का फैसला मैच रैफरी करेंगे। इससे पहले वैकल्पिक खिलाड़ी को मैदान में सिर्फ फील्डिंग करने की छूट ही हासिल थी।
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ह्यूज की मौत के बाद शुरू हुई चर्चा
ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी फिलिप ह्यूज की मौत के बाद इस नियम को लेकर चर्चाएं शुरू हुई थीं। ह्यूज की 2014 में मैच के दौरान सिर पर बाउंसर लगने से मौत हो गई थी। उस दौरान वे शेफील्ड शील्ड टूर्नामेंट में हिस्सा ले रहे थे। आईसीसी ने फैसला किया है कि अभी दो साल के लिए इस नियम को लागू किया जाएगा और बाद में इस पर समीक्षा करने के बाद कोई फैसला लिया जाएगा।