सोडे वाला बना था फुटबॉलर: अब मिलने जा रहा पद्मश्री अवार्ड
विजयन भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व स्ट्राइकर थे जो 90 के दशक में डेब्यू करने के बाद 79 मुकाबलों में शिरकत की, जिसमें उन्होंने 40 गोल दागे। यही नहीं 2003 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से नवाज़ा गया ।
नई दिल्ली: भारतीय फुटबॉल जगत के बड़े खिलाड़ी में शुमार और अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने पूर्व कप्तान आईएम विजयन के नाम की सिफारिश देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री के लिए की गई है। विजयन भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व स्ट्राइकर थे जो 90 के दशक में डेब्यू करने के बाद 79 मुकाबलों में शिरकत की, जिसमें उन्होंने 40 गोल दागे। यही नहीं 2003 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से नवाज़ा गया ।
साल 1993, 1997 और 1999 में भारत का वर्ष का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का पुरस्कार पा चुके विजयन पर एआईएफएफ के महासचिव कुशल दास ने पीटीआई को बताया कि, 'हां, हमने उनका नाम पद्मश्री के लिए गृह मंत्रालय भेजा है।'
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2000 से 2004 तक भारतीय टीम की कमान संभाली
विजयन ने 2000 से 2004 तक भारतीय टीम की कमान संभाली। उनके साथी स्ट्राइकर बाईचुंग भूटिया के साथ जोड़ी बेहतरीन हुआ करती थी। क्लब स्तर पर वह मोहन बागान, केरल पुलिस और अब बंद कर दिए गए एफसी कोच्चि और जेसीटी मिल्स फगवाड़ा के लिए खेले थे, उन्हें 1999 के सैफ खेलों में भूटान के खिलाफ एक मैच में 12 सेकेंड में सबसे तेज अंतरराष्ट्रीय गोल करने का श्रेय दिया जाता है और वह 2003 में भारत में हुए एफ्रो एशियाई खेलों में चार गोल करके शीर्ष स्कोरर रहे थे।
कभी बेचते थे सोडा
इस मुकाबले के बाद उन्होंने फुटबॉल से संन्यास ले लिया। आपको जानकार हैरानी होगीं कि विजयन अपने गृहनगर त्रिचूर के कोरपोरेशन स्टेडियम में फुटबॉल मैचों के दौरान सोडा बेचा करते थे, उन्होंने 17 साल की उम्र में केरल पुलिस फुटबॉल क्लब के लिए बतौर स्ट्राइकर करियर शुरू किया था। संन्यास के बाद उन्होंने अपने गृह नगर में युवा खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने के लिए फुटबॉल अकादमी खोली।
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