Happy Birthday Kapildev: देश को जिताया था पहला वर्ल्ड कप, जानें दिलचस्प बातें
सत्तर के दशक में तेज गेंदबाजी के नाम पर भारतीय क्रिकेट टीम में केवल आबिद अली और एकनाथ सोल्कर ही बालर हुआ करते थे पर वो भी तीन चार ओवर की बालिंग करके नई गेंद टीम के स्पिनरों बेदी चंद्रशेखर प्रसन्ना और वेंकटराघवन के हाथों में थमा दिया करते थे। पर कपिल देव ने मानो भारतीय क्रिकेट की परिभाषा ही बदल दी।
नई दिल्ली: जिस दौर में कपिल देव ने भारतीय क्रिकेट टीम में प्रवेश किया उस दौर में में क्रिकेट को लेकर तो माहौल था पर तेज बालरों के अभाव में प्रशंसकों में निराशा का भाव रहा करता था। लेकिन कपिल देव के आते ही पूरे देश में उत्साह का ऐसा संचार हुआ जैसे कोई क्रांति हो गयी हो, उस दौर में हाल यह था कि हर जगह केवल कपिल देव का ही नाम सुनाई पड़ता था। उस दौर में क्रिकेट प्रेमियों को केवल कपिल देव के खेल का बेसब्री से इंतजार रहता था।
बदल दी भारतीय क्रिकेट की परिभाषा
सत्तर के दशक में तेज गेंदबाजी के नाम पर भारतीय क्रिकेट टीम में केवल आबिद अली और एकनाथ सोल्कर ही बालर हुआ करते थे पर वो भी तीन चार ओवर की बालिंग करके नई गेंद टीम के स्पिनरों बेदी चंद्रशेखर प्रसन्ना और वेंकटराघवन के हाथों में थमा दिया करते थे। पर कपिल देव ने मानो भारतीय क्रिकेट की परिभाषा ही बदल दी। वह फास्ट बालर के साथ ही तेज बल्लेबाज और बेहतरीन फील्डर होने के कारण सफल आलराउन्डर के तौर पर भारतीय टीम में आए।
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19 वर्ष की उम्र में कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत
उन्होंने अपने क्रिकेट कैरियर की शुरुआत 1974 में हरियाणा की तरफ से खेलते हुए की। उनके अन्र्तराष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत पाकिस्तान के दौरे के साथ हुई तब वह मात्र 19 वर्ष के थें। फैसलाबाद में 16 अक्टूबर 1978 को उन्होंने अपना पहला मैच खेला। इसके बाद कुछ और मैच खेले जिसको देखते हुए उन्हें श्रीलंका के खिलाफ 1982-83 में पहली बार कप्तानी का अवसर मिला। जब उन्हे विश्व कप की कप्तानी का अवसर मिला तो वे एक औसत खिलाडी ही थे, परन्तु विश्वकप जिताकर उन्होंने अपने खेल से देष ही नहीं विश्व को भी भौचक्का कर दिया।
उन्होंने अपने पूरे कैरियर में एक दिवसीय क्रिकेट में 224 और टेस्ट क्रिकेट में 131 मैच खेले। एक दिवसीय क्रिकेट में उन्होंने 23.79 की औसत से 3783 रन बनाये तथा टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 31.05 की औसत से 5248 रन बनाये। गेंदबाजी करते हुए उन्होंने एक दिवसीय तथा टेस्ट क्रिकेट में 253 तथा 434विकेट लिये। 1983 के विश्व कप में जिम्बावे के विरुध उनकी 175 रन की पारी यादगार रही। वरना भारतीय टीम विश्वकप से ही बाहर हो जाती।
अपनी दौड से पहचाने जाते थे कपिल देव
कपिल देव की अपनी दौड से पहचाने जाते थे। वह अपनी 184 टेस्ट इनिंग्स में एक भी बार रन आउट नहीं हुए। 27 बरस 2 दिन की उम्र में उनने 300 विकेट लिए थे. ऐसा कारनामा करने वाले वो सबसे कम उम्र के बॉलर थे। भारत की ओर से वन डे में सेंचुरी मारने वाले वो पहले बैट्समैन हैं। 1983 के वल्र्डकप में उन्होंने 175 रन बनाए जब भारत के 17 रन पर 5 विकेट गिर चुके थे। अपने संन्यास के समय कपिल देव भारत के सबसे अधिक विकेट लेने वाले क्रिकेटर थे। क्रिकेट के इतिहास में कपिल देव अकेले ऐसे क्रिकेटर हैं जिन्होंने 400 (434) से अधिक विकेट लिए हैं और 5,000 से अधिक रन भी बनाए हैं।
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कपिल देव को 1979-80 में अर्जुन अवॉर्ड 1982 में पद्मश्री अवॉर्ड 1983 में कपिल देव को विस्डन क्रिकेटर ऑफ द ईयर का अवार्ड से सम्मानित किया गया। इसके अलावा 1991 में पद्मभूषण दिया गया। 2002 में विस्डन ने कपिल देव को क्रिकेट जगत से सबसे बेहतरीन ऑलराउंडरों में से एक माना। कपिल देव अक्टूबर 1999 से अगस्त 2000 तक भारत के कोच भी रहे। कपिल देव को अपने समकालीन जबरदस्त क्रिकेटरों इमरान खान, सर रिचर्ड हेडली और सर इयान बॉथम से भी बेहतर माना गया था।
श्रीधर अग्निहोत्री