Kapil Dev Birthday Special: आखिर क्यों कपिल देव को लेना पड़ा था सन्यास

Update: 2020-01-06 07:46 GMT

लखनऊ। कपिल देव भारत के पूर्व क्रिकेटर हैं। सिर्फ भारत के ही नहीं विश्व के इतिहास में कपिल सबसे महान ऑलराउंडर है। भारतीय क्रिकेटर कपिल देव को लोग जितना पहले जानते थे उतना ही आज भी जानते हैं। भारतीय इतिहास में पहला वर्ल्ड कप अगर किसी ने भारत की झोली में डाला तो वह एकमात्र कपिल देव थे। कपिल के नेतृत्व में भारत में 1983 में पहला वर्ल्ड कप जीता।

अपने क्रिकेट करियर कपिल देव ज्यादातर स्ट्राइक बॉलर के तौर पर शामिल हुए। कपिल देव बॉलिंग ही नहीं कराते थे बल्कि उनके अंदर बल्लेबाजी का भी टैलेंट था। सबसे खास बात यह थी कि जब टीम के सभी बल्लेबाज फेल हो जाते थे तो कपिल देव हिट साबित होते थे। यही कारण है कि उन्होंने कई बार ऐसे मौके पर जीत दिलाई जब जीत लगभग भारत के हाथ निकल चुका होता था।

कपिल देव का जीवन काल

कपिल देव का जन्म हरियाणा के मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम राम लाल तथा माता का नाम राजकुमारी है। कपिल देव के पिता रामलाल इमारती लकड़ी के कॉन्ट्रैक्टर का काम करते थे। कपिल देव का परिवार पहले रावलपिंडी में रहता था जो वर्तमान पाकिस्तान में है। आजादी के बाद कपिल देव के माता पिता भी रावलपिंडी छोड़ भारत आ गए। कपिल DAV स्कूल से पढ़ाई की और बाद में शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल से आगे की शिक्षा हासिल की। कपिल देव को बचपन से ही क्रिकेट का जुनून था यही कारण है कि उन्होंने अपने स्कूल के दिनों से ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था।

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क्रिकेट का करियर Kapil Dev Career

क्रिकेट की शुरुआत उन्होंने हरियाणा के साथ खेल कर किया। कपिल देव ने पहली बार नवंबर 1975 में पंजाब के खिलाफ हरियाणा से क्रिकेट खेला। उस समय इन्होंने 6 विकेट लिए और साथ ही 63 रन का स्कोर भी खड़ा किया। उनके इस परफॉर्मेंस के कारण हरियाणा पंजाब को हराने में कामयाब रहा। उसके बाद 1976-77 में भी उन्होंने जम्मू एंड कश्मीर के खिलाफ मैच खेला जिसमें 8 विकेट लिए और 36 रन बनाए। उसी साल बंगाल के खिलाफ मैच खेलते हुए कपिल देव ने 20 रन देकर 7 विकेट लिए। लगातार उनके बेस्ट परफॉर्मेंस के कारण उन्हें भारतीय टीम में जगह दिया गया। उन्होंने अपने कैरियर पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने अपने मैच के कारण लोगों पर अपनी छाप छोड़ दी।

कपिल देव ने पाकिस्तान से जीती थी सीरीज

कपिल देव ने अपना पहला टेस्ट शतक वेस्टइंडीज के खिलाफ लगाया है जिसमें उन्होंने 124 बोलों में 126 रन बनाए। वेस्टइंडीज के खिलाफ हुए इस सीरीज में उन्होंने कुल 17 विकेट लिए थे इसके बाद धीरे-धीरे आगे बढ़ता रहे और तरक्की करते रहें। सबसे ज्यादा कपिलदेव को सुर्खियां तब मिली जब उन्हें पाकिस्तान के खिलाह हुए 6 टेस्ट मैचों के सीरीज में दो बार जीत दिलाई।

तीन वर्ल्ड कप खेल चुके हैं कपिल देव

कपिल देव ने कुल 3 वर्ल्ड कप खेले जिसमें से उन्होंने एक की कप्तानी की। 1983 के वर्ल्ड कप में उन्होंने टीम को जीत दिलाया। यह कपिल देव की कप्तानी में टीम इंडिया का पहला वर्ल्ड कप जीत था। इससे पहले कोई भी कप्तान वर्ल्ड कप भारत लाने में कामयाब नहीं हो पाया था।

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1987 में किया क्रिकेट को अलविदा

साल 1987 में जब बाद के वर्ल्ड कप में कपिल देव के खराब परफॉर्मेंस के कारण भारत वर्ल्ड कप नहीं जीत पाए तो इसके बाद कपिल देव ने अपना इस्तीफा दे दिया। अपने क्रिकेट कैरियर को विराम देने के बाद देव ने खेल की कोचगीरि 1999 में करनी शुरु की। वे 1 साल तक टीम इंडिया के कोच के तौर पर भारतीय टीम से जुड़े रहे लेकिन वह कोच के तौर पर सफल नहीं हो पाए और उन्होंने एक साल बाद ही अपने कोच पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कपिल देव क्रिकेट के एक एक्स्पर्ट के तौर पर विभिन्न चैनलों पर नजर आने लगे। बाद में स्पोर्ट्स चैनल के साथ बतौर कमेंट्रेटर भी जुड़ गए। आज भी आज भी कपिल देव कई चैनलों पर कमेंट करते दिखाई दे जाते हैं।

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ट्रॉफी और सम्मान

अपने बेहतरीन परफॉर्मेंस की वजह से कपिल देव को कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है। देश को पहला वर्ल्ड कप दिलाने का अचीवमेंट कपिल देव के पास ही है। कपिल देव अपने समय के सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले पहले गेंदबाज है। उन्होंने अपने समय में 434 विकेट लिए जो उस समय तक कभी किसी ने नहीं लिया था। 1991 में उन्हें पद्मभूषण सम्मान से नवाजा गया इसके बाद तो कपिल देव के पास अवार्ड की लाइन लग गई। उन्हें बहुत सारे अवार्ड से सम्मानित सम्मानित किया जा चुका है।

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