इस केस में रंगास्वामी, गायकवाड़ बरी, कपिलदेव पर फैसला नहीं, जानिए क्या है मामला

बीसीसीआई के आचरण अधिकारी(Conduct officer) डीके जैन ने सीएसी के पूर्व सदस्य शांता रंगास्वामी और अंशुमान गायकवाड़ को हितों के टकराव के मामले में दोषमुक्त कर दिया है। उन्होंने रंगास्वामी और गायकवाड़ के खिलाफ दायर हितों के टकराव की शिकायत को अप्रासंगिक करार दिया,

Update: 2019-12-29 15:19 GMT

नई दिल्ली: बीसीसीआई के आचरण अधिकारी(Conduct officer) डीके जैन ने सीएसी के पूर्व सदस्य शांता रंगास्वामी और अंशुमान गायकवाड़ को हितों के टकराव के मामले में दोषमुक्त कर दिया है। उन्होंने रंगास्वामी और गायकवाड़ के खिलाफ दायर हितों के टकराव की शिकायत को अप्रासंगिक करार दिया, जबकि कपिल देव के मामले में कोई फैसला नहीं हुआ।

 

यह पढ़ें....ऑस्ट्रेलिया के सिडल का अब नहीं बरपेगा कहर, ले लिया अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास

डीके जैन ने रंगास्वामी, गायकवाड़ और कपिल को 27 और 28 दिसंबर को उनके समक्ष पेश होने का नोटिस दिया था। तीनों पहले ही सीएसी से इस्तीफा दे चुके है। डीके जैन ने यह नोटिस मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ (एमपीसीए) के आजीवन सदस्य संजीव गुप्ता की शिकायत पर किया गया थ। संजीव गुप्ता ने अपनी शिकायत में कहा था कि सीएसी सदस्य एक साथ कई भूमिकाएं निभा रहे हैं, जबकि बीसीसीआई संविधान के मुताबिक कोई भी व्यक्ति एक बार में एक से अधिक पद पर नहीं रह सकता।

डीके जैन ने रविवार को कहा कि गायकवाड़ और रंगास्वामी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है इसलिए शिकायत को निरस्त कर दिया गया है। कपिल के मामले में शिकायतकर्ता को आवेदन देने के लिए और अधिक समय चाहिए, मैंने उसे समय दे दिया है।

रंगास्वामी और गायकवाड़ अब भारतीय क्रिकेटर्स संघ के प्रतिनिधि के रूप में शीर्ष परिषद का हिस्सा हैं। रंगास्वामी ने भारतीय क्रिकेटर संघ (आईसीए) में निदेशक का पद छोड़ दिया है। कपिल और रंगास्वामी डीके जैन के समक्ष पेश नहीं हुए, जबकि गायकवाड़ यहां पहुंचे। हितों के टकराव के मामले का सामना कर रहे बीसीसीआई अधिकारी मयंक पारिख पर भी कोई फैसला नहीं हुआ।

यह पढ़ें....जस्टिस दीपक वर्मा बने DDCA के नए लोकपाल, बैठक में हुआ हंगामा, देखिए वीडियो

कपिल की अगुवाई वाली सीएसी ने पुरुष और महिला टीमों के राष्ट्रीय कोच का चयन किया था। इस विश्व कप विजेता कप्तान ने पहले भी कहा था कि सीएसी का हिस्सा होना मानद काम है और हितों का टकराव वैसे लोगों पर नहीं लागू होना चाहिए जिन्हें उनकी सेवा के लिए कोई भुगतान नहीं किया जाता। हितों का टकराव बीसीसीआई में गंभीर मुद्दा बन गया है जिसके लिए बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय से निर्देश मांगा है।

Tags:    

Similar News