iPhone में आखिर क्या है खास? क्यों ये हैं Android से अलग
iPhone vs Android: स्वयं के प्रोसेसर बनाकर, एप्पल अपने प्रोडक्ट्स के डिज़ाइन और परफॉर्मेंस पर पूरा कंट्रोल रखता है।
iPhone vs Android: यह कोई रहस्य नहीं है कि एप्पल आईफोन एक असाधारण स्मार्टफोन है, जो क्रिएटिविटी और इनोवेशन का एक बेहतरीन उदाहरण है। पिछले दस बरसों में भले ही एंड्रॉयड स्मार्टफ़ोन में काफ़ी सुधार हुआ है, लेकिन वे अभी भी एप्पल के आईफोन से मेल खा सकते हैं,टक्कर तो दूर की बात है।
इस बात पर बहुत बहसें हुईं हैं कि कौन सा स्मार्टफ़ोन बेहतर है। तो आइए जानते हैं कि आईफोन के बेहतर होने की क्या वजहें गिनाई जा सकती हैं।
एप्पल खुद बनाता है प्रोसेसर
- आईफोन अपने बेहतर प्रोसेसर के कारण एंड्रॉयड स्मार्टफ़ोन की तुलना में बहुत बेहतर परफॉर्मेंस देता है। दरअसल, एप्पल अपने हार्डवेयर के लिए प्रोसेसर चिप निर्माताओं पर निर्भर नहीं करता है। इसके बजाय, यह ऐसे प्रोसेसर डिज़ाइन करता है जो नवीनतम आईफोन के अनुरूप हों। अपने स्वयं के प्रोसेसर बनाकर, एप्पल अपने प्रोडक्ट्स के डिज़ाइन और परफॉर्मेंस पर पूरा कंट्रोल रखता है।
- एप्पल प्रोसेसर आकार में भी तुलनात्मक रूप से बड़े होते हैं, और इससे ज्यादा हार्डवेयर इंफ्रास्ट्रक्चर को शामिल किया जा सकता है जो आईफोन के प्रदर्शन को काफी बेहतर बनाते हैं। एक्स्ट्रा सीपीयू कोर और बड़े कैश के कारण आईफो अपने प्रतिस्पर्धियों से बेहतर प्रदर्शन कर सकता है और अधिक समय तक चल सकता है।
- आईफोन में भी बहुत बेहतर 64-बिट प्रोसेसर का इस्तेमाल किया गया है, जिसकी बराबरी क्वालकॉम द्वारा निर्मित 64-बिट प्रोसेसर नहीं कर सकते। एप्पल ने 2013 में पहला 64-बिट स्मार्टफोन प्रोसेसर जारी किया, और इसने इसे बेहतर बनाने के लिए अपने "सिस्टम ऑन ए चिप" डिज़ाइन में लगातार सुधार किया है।
हार्डवेयर सॉफ्टवेयर इंटीग्रेशनआ
- आईफोन का परफॉर्मेंस किसी भी एंड्रॉयड फोन बहुत बेहतर इसलिए भी है कि आईफोन का हार्डवेयर इसके सॉफ्टवेयर के लिए डिज़ाइन किया गया है। ये इंटीग्रेशन बेहतरीन है।
- आईफो को एंड्रॉयड फ़ोन से बेहतर प्रदर्शन करने के लिए 16 जीबी रैम की ज़रूरत नहीं होती क्योंकि एप्पल के हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर अधिक कुशलता से उपयोग करने के लिए बनाये हैं। यह सब इसलिए संभव है क्योंकि एप्पल के पास आईफोन की उत्पादन प्रक्रिया पर पूरा नियंत्रण है जबकि किसी एंड्रॉइड निर्माता के साथ ऐसा नहीं है।
- बड़ी कैश मेमोरी
आजकल स्मार्टफ़ोन के परफॉर्मेंस में कैश एक महत्वपूर्ण चीज है। कैश मेमोरी, रैम की तुलना में बहुत तेज़ काम करती है, और बड़ी कैश मेमोरी स्मार्टफ़ोन को काफ़ी बेहतर प्रदर्शन करने में सक्षम बनाती है।
- एंड्रॉयड स्मार्टफ़ोन में लैग और सिस्टम गड़बड़ियाँ बहुत आम हैं जबकि बड़े हाई-परफ़ॉर्मेंस कैश की वजह से आईफोन में ऐसा नहीं होता। एआरएम आर्किटेक्चर प्रोसेसर में आम तौर पर एक या दो एमबी कैश मेमोरी होती है, लेकिन आईफोन में 4 एमबी या 8 एमबी कैश मेमोरी होती है। बड़ी कैश मेमोरी सीपीयू के साथ तेज़ी से डेटा एक्सचेंज की अनुमति देती है, जिससे कुल प्रोसेसिंग स्पीड बढ़ जाती है। एंड्रॉयड स्मार्टफ़ोन में बहुत ज़्यादा रैम होने के बावजूद, आईफोन हाई-परफ़ॉर्मेंस कैश मेमोरी की वजह से काफ़ी बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
- कोई फालतू ऐप नहीं
- जब आप किसी एंड्रॉयड डिवाइस को चालू करते हैं, तो आपके सामने ढेरों अनचाहे ऐप्स आ जाते हैं जो न आपके फ़ोन को अव्यवस्थित करते हैं बल्कि इसके परफॉर्मेंस को भी प्रभावित करते हैं। ढेर सारे गूगल ऐप अपने आप जुड़ जाते हैं, और अनचाहे ऐप का तो कहना ही क्या। अपने फ़ोन को रूट किए बिना इन ऐप्स से हमेशा के लिए छुटकारा पाना लगभग असंभव है।
इसकी तुलना में आई फोन में सिर्फ कुछ ही पहले से इंस्टॉल किए गए एप्पल ऐप होतेहैं, और आप उन्हें भी आसानी से अनइंस्टॉल कर सकते हैं।
समय पर ऑपरेटिंग सिस्टम अपडेट
एप्पल अपडेट के ज़रिए ज़्यादा सपोर्ट देने में एंड्रॉयड को आसानी से मात देता है। आप एप्पल डिवाइस लॉन्च होते ही नवीनतम आईओएस अपडेट प्राप्त कर सकते हैं। आईओएस 15 को 2021 में रिलीज़ किया गया था, और यह नए पुराने सभी डिवाइस के साथ काम करता है।
वहीं एंड्रॉयड डिवाइस पर सिस्टम अपडेट बहुत ज़्यादा जटिल होते हैं। गूगल सिर्फ अपने पिक्सेल डिवाइस को सीधे अपडेट करता है, और बाकी एंड्रॉयड डिवाइस अपने ओईएम यानी निर्माता के ज़रिए अपडेट पाते हैं। सैमसंग, रेडमी जैसे अन्य निर्माता गूगल से अपडेट प्राप्त करते हैं, इसे चुनिंदा मॉडल के लिए ऑप्टिमाइज़ करते हैं, और इसे महीनों बाद रिलीज़ करते हैं।
परफेक्ट कैमरा
आईफोन का कैमरा इसकी बहुत बड़ी यूएसपी है। एप्पल ने आईफोन के कैमरे को बेहतरीन तरीके से डिज़ाइन किया है, और शायद ही कोई ऐसा स्मार्टफोन हो जिसमें लेटेस्ट आईफोन से बेहतर कैमरा हो।
ज्यादा लाइफ
- आईफोन की लाइफ़ किसी भी एंड्रॉयड स्मार्टफ़ोन की तुलना में ज़्यादा होती है। इसका श्रेय हाई क्वालिटी वाली सामग्री, बेहतर इंजीनियरिंग और बेहतर सॉफ़्टवेयर सपोर्ट को जाता है। हालाँकि, 2-3 साल तक भारी इस्तेमाल के बाद बैटरी लाइफ़ तेज़ी से कम हो जाती है, चाहे आप कोई भी स्मार्टफ़ोन खरीदें।
प्राइवेसी
गोपनीयता
- गूगल प्रत्येक यूजर के स्थान, ब्राउज़िंग, खरीदारी और देखने की प्राथमिकताओं के आधार पर टारगेटेड विज्ञापन प्रदान करके पैसा कमाता है। वहीं एप्पल आईफोन बेचने और अपने यूजर्स को सेवाएँ प्रदान करने से अपना पैसा कमाता है। सो यूजर्स की गोपनीयता के मामले में एप्पल कहीं आगे है।