Personal Data Protection: जानिए क्या है ड्राप बॉक्स, वीपीएन और ड्राइव जिसके बारे में चेताया गया है

Personal Data Protection: गूगल ड्राइव क्लाउड सेवा है। क्लाउड यानी ऐसी सेवा जो आपके निजी कंप्यूटर पर चीजों को सेव या एकत्र नहीं करती है बल्कि कहीं दूर स्थित सर्वर में जमा करती है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2022-06-18 17:27 IST

गूगल ड्राइव, वीपीएन, ड्राप बॉक्स: Photo - Social Media

Personal Data Protection: केंद्र सरकार (Central government) ने संवेदनशील सूचनाओं की सुरक्षा (protection of sensitive information) के लिए नए नियम लागू किए हैं जिसके तहत सरकारी कर्मचारियों के लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) (VPN), गूगल ड्राइव (google drive) और ड्राप बॉक्स (drop box) जैसी सुविधाओं के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गयी है। ऐसा लगता है कि प्रतिबंध इसलिए लगाया गया है क्योंकि ऐसी क्लाउड स्टोरेज सेवाओं में किसी भी घुसपैठ या त्रुटि का पता लगाना और उसका पीछा करना बेहद मुश्किल है। नए नियमों का उद्देश्य सरकार की सुरक्षा स्थिति में सुधार करना है।

लेकिन ये ड्राप बॉक्स, गूगल ड्राइव और वीपीएन आखिर हैं क्या? जानते हैं इनके बारे में।

गूगल ड्राइव (google drive)

गूगल ड्राइव दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्लाउड सेवा है। क्लाउड यानी ऐसी सेवा जो आपके निजी कंप्यूटर पर चीजों को सेव या एकत्र नहीं करती है बल्कि कहीं दूर स्थित सर्वर में जमा करती है। वास्तव में, जो भी व्यक्ति गूगल अकाउंट बनाता है तो उसे स्वचालित रूप से एक ड्राइव अकाउंट भी मिल जाता है। इसका मतलब है कि यदि आप एक गूगल यूजर हैं तो आपको अपने ऑनलाइन स्टोरेज के लिए एक अलग खाता बनाने के झंझट से नहीं गुजरना पड़ेगा। यह ड्राइव उन सभी लोगों के लिए एक सुविधाजनक समाधान बनाता है, जिन्हें ऑनलाइन फ़ाइलें अपलोड और साझा करने की आवश्यकता होती है।

सभी क्लाउड सेवाओं की तरह गूगल ड्राइव का प्राथमिक कार्य आपकी हार्ड ड्राइव से कुछ लोड लेना है। क्लाउड स्टोरेज आपकी फाइलों को अपने रिमोट सर्वर या क्लाउड पर अपलोड करके काम करता है और आपके कंप्यूटर पर जगह खाली कर देता है। जब आपकी फ़ाइलें क्लाउड में होती हैं, तो आप इंटरनेट कनेक्शन वाले किसी भी उपकरण के साथ कहीं से भी उन तक पहुंच सकते हैं। साथ ही, आप उन्हें अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

गूगल ड्राइव की सेवा एक निश्चित स्टोरेज लिमिट तक फ्री होती है और अगर आप ज्यादा स्टोरेज जगह चाहते हैं तो उसके लिए भुगतना करना होता है। दुर्भाग्य से, गूगल अपनी संदिग्ध गोपनीयता नीतियों के लिए आलोचनाओं के घेरे में है और ड्राइव का विवाद भी इसमें शामिल है। गूगल अपनी इच्छानुसार किसी भी डिस्क फ़ाइल को स्कैन करने की अनुमति देता है। साथ ही, कोई एन्क्रिप्शन नहीं है, जिसका अर्थ है कि गूगल फ़ाइलों के लिए सभी एन्क्रिप्शन कुंजियाँ रखता है और जब चाहे उन्हें देख सकता है।

ड्राप बॉक्स (drop box)

ड्रॉपबॉक्स भी एक क्लाउड स्टोरेज सिस्टम है। ड्रॉपबॉक्स अपने यूजर्स को अपने कंप्यूटर से और क्लाउड में डेटाबेस पर इमेज और वीडियो जैसी फ़ाइलों को ट्रान्सफर करने की अनुमति देता है। इसके अलावा, यह यूजर्स को स्थान बचाने और फ़ाइलों को तेज़ी से साझा करने देता है। ड्रॉपबॉक्स में फ़ाइलें अपलोड करना उन्हें आपकी हार्ड ड्राइव से स्वचालित रूप से नहीं हटाता है। यानी फाइलें दोनों जगह रहती हैं। ड्रॉपबॉक्स में कई स्वचालित विशेषताएं हैं। मिसाल के तौर पर जब भी किसी फाइल में कोई चेंज किया जाता है तो डेस्कटॉप ऐप के माध्यम से अपलोड की गई कोई भी फाइल अपने आप अपडेट हो जाती है।

ड्रॉपबॉक्स पर अपलोड की गई सभी फाइलें मोबाइल और डेस्कटॉप सहित किसी भिन्न या नए डिवाइस पर डाउनलोड की जा सकती हैं। फाइल साझा करने पर जिसे अनुमति दी जाती है वह दस्तावेज़ों, फ़ोटो और वीडियो सहित फ़ाइलों पर टिप्पणी और सुझाव भी दे सकते हैं। ड्रॉपबॉक्स का उपयोग शुद्ध क्लाउड स्टोरेज के रूप में भी किया जा सकता है। जब तक आप वेब क्लाइंट का उपयोग करते हैं, आप अपने ड्रॉपबॉक्स खाते में फ़ाइलें जोड़ सकते हैं और उन्हें केवल क्लाउड में संग्रहीत कर सकते हैं।

वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (virtual Private Network)

वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क यानी वीपीएन इन्टरनेट पर पहुँच बनाने का एक विशिष्ट जरिया है। वीपीएन की बदौलत आप एक वर्चुअल सुरंग के जरिए इंटरनेट तक पहुंच सकते हैं। वीपीएन इसलिए बनाये गए थे ताकि विभिन्न ठिकानों में मौजूद कंपनियों के अपने अंदरूनी नेटवर्कों (इंट्रानेट) को इंटरनेट के माध्यम से इन्क्रिप्टेड चैनलों में जोड़ा जा सके। यानी कम्पनी का निजी कामकाज सार्वजनिक रूट से बाहर रहे।

इसी सिद्धांत का इस्तेमाल करते हुए वीपीएन नियंत्रित नेटवर्कों की दुनिया में एक निजी कंप्यूटर को मुक्त इंटरनेट के सर्वर से जोड़ने में भी काम आता है। वीपीएन सेवा प्रदाताओं का दावा होता है कि अपने सेलफोन में आप उनके सॉफ्टवेयर डाउनलोड करें, तो आप सुरक्षित रूप से ऑनलाइन हो सकते हैं। और वे ये वादा भी करते हैं कि आपका निजी डेटा किसी भी सूरत में कोई शक्ति हासिल नहीं कर सकती है। एक बात साफ है कि अगर वीपीएन कारगर रहता है, तो आप दूसरे देशों की स्ट्रीमिंग सेवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं, सरकारी सेंसरशिप को बाइपास कर सकते हैं और ब्लॉक की गई वेबसाइटों को एक्सेस कर सकते हैं।

वीपीएन आपके स्मार्टफोन या कंप्यूटर से दूर स्थित वीपीएन सर्वर के बीच एक इन्क्रिप्टेड यानी अभेद्य टनल बना देता है। इस छोर से आप पब्लिक इंटरनेट में दाखिल होते हैं। जब आप वेब सर्फिंग कर रहे होते हैं, तो ये आपकी विजिट की हुई वेबसाइट ऑपरेटरों को ऐसे देखता है, जैसे आपका कंप्यूटर ही वीपीएन सर्वर हो। मिसाल के लिए अगर आप रूस में स्मार्टफोन या कंप्यूटर इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन आपका वीपीएन सर्वर जापान में स्थित है, तब जिन वेबसाइटों का दौरा आप करते हैं, उनके ऑपरेटर यही समझेंगे कि आप जापान में हैं। यह खेल इस तथ्य पर आधारित है कि आप अपने खुद के आईपी एड्रेस के साथ प्रकट नहीं होते हैं, बल्कि वीपीएन सर्वर के जरिए मौजूद होते हैं। बुनियादी रूप से देखें तो इंटरनेट ट्रैफिक पर नियंत्रण करने वाली ताकतें किसी को वीपीएन इस्तेमाल करते हुए पहचान सकती हैं लेकिन वे ये नहीं जान सकती कि कोई वहां क्या कर रहा है।

निजी डेटा की सुरक्षा (protection of personal data)

वीपीएन के जरिए सारा डेटा भी एक एंड से दूसरे एंड तक चक्कर लगाता है। अपने डेटा की प्राइवेसी के लिए इंटरनेट सेवा प्रदाता पर भरोसा करना पड़ेगा। क्योंकि यही प्रदाता टनल को भी ऑपरेट करता है। कंपनी यह भी देख सकती है कि आपने कौनसी वेबसाइट खोली, कब और कितनी बार। यह इंटरनेटट सर्विस प्रदाता कंपनी यूजर के संचार का गैर इन्क्रिप्टेड कंटेंट भी देख सकती है, जैसे कि सामान्य ईमेल। डेटा न बेचने के इंटरनेट प्रोवाइडर के वादे के बावजूद डेटा का स्टोर होना ही अपने आप में जोखिम भरा है। वीपीएन नेटवर्क भी हैकरों के शिकार होने लगे हैं।

एक मामला साइबर सिक्यूरिटी फर्म फोर्टीनेट (cyber security firm fortinet) का है जिसके 5 लाख वीपीन यूजरों के लॉग इन चुरा कर डार्क वेब में डाल दिए गए हैं। जहाँ हैकर लोगों के डेटा चुरा कर डार्क वेब में बेचते हैं वहीं फोर्टीनेट का डेटा हैक करने वाले ने यूजर्स के डेटा डार्क वेब में मुफ्त में पोस्ट कर दिए हैं। वीपीएन का सबसे बड़ा बाजार भारत और इंडोनेशिया में रहा है। भारत में 45 फीसदी तथा इंडोनेशिया में 61 फीसदी यूजर वीपीएन का इस्तेमाल करते हैं। अब सख्त दिशा निर्देशों के चलते वीपीएन सेवा देने वाली कंपनियों ने भारत से सर्वर हटा दिए हैं।

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