Water Saving: AI के इस्तेमाल के साथ कंपनियों की बढ़ी पानी की खपत, जानिए डिटेल..
Water Saving: एआई तकनीक के इस्तेमाल के बाद इन दिग्गज कंपनियों की पानी की खपत में भी उतनी ही तेजी से उछाल आता देखा जा रहा है।
Water Saving: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के इस्तेमाल पर आज कल वैश्विक स्तर तेजी से काम हो रहा है। ये तकनीक हर क्षेत्र में कार्यप्रक्रिया को पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा आसान और सुविधाजनक बनाने में मददगार साबित हो रही है। वहीं एक समस्या भी इसके साथ ही गंभीर रूप लेती जा रही है। असल में इस तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल के साथ टेक कंपनियों की पानी और बिजली की जरूरत में भी कई गुना वृद्धि होती जा रही है। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से....
पानी की इतनी खपत कर रहीं टेक कंपनियां
सुनकर थोड़ा आश्चर्य होगा लेकिन ये सच है कि टेक कंपनियों को डाटा सेंटर के तापमान को मानक स्तर पर बनाए रखने के लिए काफी ज्यादा मात्रा में पानी की आवश्यकता पड़ती है। जिनमें सबसे ज्यादा तो AI जैसी टेक्नोलॉजी को संसाधनों की अधिकता से इस्तेमाल के लिए उतनी ही ज्यादा पानी की भी जरूरत होती है। एआई तकनीक के इस्तेमाल के बाद इन दिग्गज कंपनियों की पानी की खपत में भी उतनी ही तेजी से उछाल आता देखा जा रहा है। जिनमें AI फीचर को शामिल करने के बाद दिग्गज टेक कम्पनी माइक्रोसॉफ्ट की पानी की जरूरत में कुल 34 प्रतिशत का इजाफा आया है।
वहीं, गूगल की 22 प्रतिशत और मेटा की पानी की जरूरत में 3 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। वहीं इस आंकड़े को अगर लीटर के पैमाने पर आंके तो फेसबुक के स्वामित्व वाली कंपनी मेटा ने करीब 200 करोड़ लीटर पानी का इस्तेमाल एक वर्ष के भीतर किया। जबकि समय बीतने के साथ ही इस खपत में और भी ज्यादा इजाफा हुआ है। 2022 में माइक्रोसॉफ्ट ने 2,200 करोड़ लीटर पानी की खपत की, वहीं गूगल की एक साल के भीतर खपत 600-700 करोड़ लीटर रही। जिसके और भी ज्यादा बढ़ने की पूरी उम्मीद की जा रही है। मेटा की बात करें तो फेसबुक के स्वामित्व वाली इस कंपनी ने करीब 200 करोड़ लीटर पानी का इस्तेमाल किया है। पिछले साल इस खपत में और भी ज्यादा इजाफा हुआ है।
इन सारी कंपनियों के पानी के इस्तेमाल में आई तेजी ग्लोबल लेवल पर अब चिंता का विषय बनती जा रही है। ये कंपनियां पहले से कहीं अधिक पानी की खपत कर रही हैं और इसमें आगे वृद्धि होने की पूरी संभावना है।
सूखा और पानी की कमी को लेकर वैज्ञानिकों ने जताई चिंता
वैश्विक स्तर पर लगातार बढ़ रहे जलदोहन के चलते अब लंबे सूखे और पेयजल की किल्लत जैसी समस्याओं में तेजी से विस्तार होता जा रहा है। ऐसे में टेक कंपनियों द्वारा खतरनाक स्तर तक पानी के इस्तेमाल का बढ़ता जाना पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम कर रहे पर्यावरण विदो द्वारा इस विषय पर गंभीर चिंता व्यक्ति की गई है। यही वजह है कि इन टेक कंपनियों को अपने AI मॉडल के लिए पानी की जरूरत का खुलासा करना नियमगत जरूरी होना चाहिए। जानकारों का कहना है कि AI की बढ़ती मात्रा के कारण पानी की खपत बढ़ती जाएगी। क्योंकि कंपनियों को अपने डाटा सेंटर के तापमान को तय स्तर पर बनाए रखने के लिए भारी मात्रा में पानी की जरूरत होती है। इन कंपनियों ने 2030 तक अपनी खपत से ज्यादा पानी इकोसिस्टम में वापस लौटाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। फिर भी इस मामले में पारदर्शिता की मांग लगातार बढ़ रही है।