Ratan Tata career : पढ़ाई में हमेशा आगे थे रतन टाटा, अमेरिका से हासिल की थीं उच्च शिक्षा, भारत को दिलाई वैश्विक पहचान

Ratan Tata Education & Career: उद्योग जगत के नायक और प्रेरणास्त्रोत रतन टाटा ने अपनी शिक्षा मुंबई से शुरू की और हायर एजुकेशन अमेरिका में हासिल की उसके बाद उन्होंने अपने करियर की शरुवात की और टाटा ग्रुप को विश्व स्तरीय पहचान दिलाई

Written By :  Garima Shukla
Update:2024-10-10 11:12 IST

Ratan Tata Education & Career: देश के जाने मनाए उद्योग क्षेत्र के महानायक रत्न टाटा का बीते 9 अक्टूबर को देहांत हो गया. बेहद सादगी भरे व्यक्तित्व से परिपूर्ण रहने वाले स्वर्गीय श्री रतन टाटा ना सिर्फ उद्योग जगत में एक लीडर के तौर पर जाने जाते हैं बल्कि लाखो लोगों के बिजनेस आइकॉन भी रहे हैं.  अपने जीवनकाल में वे ना जाने कितने युवाओं के प्रेरणा श्रोत रहे हैं. बचपन से शिक्षा के क्षेत्र में भी उनकी विशेष रूचि रही है. सदैव पढ़ाई में अव्वल रहे. नई किताबें और उपन्यास पढ़ने के भी शौक़ीन वे अपने बाल्य काल से ही थे उनकी शिक्षा कई बदलाव से होकर गुजरी थी. भारत से प्राइमरी शिक्षा की शुरवात की और अमेरिका तक का सफर उन्होंने हायर एजुकेशन ग्रहण करने के लिए किया था.

प्रारम्भिक शिक्षा से इंटरमीडिएट तक का सफर

रतन टाटा जी की प्रारंभिक शिक्षा की शुरुवात मुंबई के कैंपियन स्कूल से की थीं. यहाँ उन्होंने 8वीं कक्षा तक पढ़ाई की और उसके बाद उन्होंने कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल में एडमिशन लिया. कुछ समय बाद वे बिशप कॉटन स्कूल में पढ़ाई करने के लिए शिमला रवाना हो गए. यहाँ से उन्होंने अपनी इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की इसके बाद आगे की शिक्षा के लिए विदेश का रुख करने का मन बनाया.

अमेरिका से पूरी की हायर एजुकेशन की डिग्री

अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद रतन टाटा ने विदेश से अपनी हायर एजुकेशन पूरी करने का सपना संजोया . जिसके चलते वे इंडिया से अमेरिका चले गए ऑनर्स की पढ़ाई के लिए उन्होंने अमेरिका के कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया, यहाँ उन्होंने बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर (B.Arch) की डिग्री प्राप्त की. अमेरिका से पढ़ाई करने के बाद प्रोफेशनल लाइफ को लेकर उनका दृष्टिकोण व्यापक हो गया. वे अपने जीवन में विस्तृत करना चाहते थे इसके बाद 1975 में, उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट कोर्स पूरा किया. प्रबंधन की डिग्री लेने के दौरान उन्होंने. प्रबंधन और नेतृत्व की गहरी समझ प्राप्त की .यही से उनके करियर में बड़ा बदलाव आया.

बेहद सादगी से की करियर की शुरुवात

मैनेजमेंट की शिक्षा पूरी करने के बाद रतन टाटा जी ने अपने करियर को आगे ले जाना का निर्णय लिया. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1960 के दशक में टाटा ग्रुप के साथ की थीं. उस दौरान उन्होंने टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर बेहद सादगी के साथ अपने काम की शुरुवात की. वहां उन्होंने जमीनी स्तर से जुड़कर चूना और पत्थर निकालने और ब्लास्ट फर्नेस की जिम्मेदारी संभाली. इस दौरान उन्होंने टाटा ग्रुप से विभिन्न क्षेत्रों में बारीक कार्य अनुभव प्राप्त किया, जो बाद में उनके बिजनेस क्षेत्र में नेतृत्व करने में योगदान देने में महत्वपूर्ण साबित हुआ.

टाटा ग्रुप का किया वैश्विक विस्तार

रतन टाटा का करियर आगे बढ़ा तो उन्होंने 1991 में टाटा संस के अध्यक्ष का कार्य भर ग्रहण किया . ये जिम्मेदारी हासिल. करने के बाद उन्होंने टाटा ग्रुप के लिए की तोड़ मेहनत की. उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने न केवल अपनी आय में वृद्धि की, बल्कि विश्व पटल पर टाटा ग्रुप को एक नई पहचान दिलाने में सफलता हासिल की. इस दौरान टाटा ग्रुप निरंतर आगे बढ़ता गया. रतन टाटा ने कई क्षेत्रों में टाटा ग्रुप का विस्तार किया, जैसे कि स्टील, ऑटोमोबाइल, सूचना प्रौद्योगिकी, टेलीकम्युनिकेशन और हॉस्पिटलिटी आदि सेक्टर तक बिजनेस को आगे बढ़ाया.

रतन टाटा की वे उपलब्धियां जो साबित हुई बेंचमार्क

रतन टाटा ने कई ऐसी उपलब्धियां हासिल की जो ना सिर्फ उनके लिए बल्कि पूरे टाटा ग्रुप के लिए बेंचमार्क साबित हुई. उनके इन उपलब्धियों में कुछ महत्वपूर्ण अधिग्रहण शामिल हैं, जैसे कि टाटा स्टील द्वारा ब्रिटिश स्टील निर्माता कोरस की खरीद और टाटा मोटर्स द्वारा जगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण किया गया. ये सभी अचीवमेंट्स उन्हें बिजनेस लीडर बनाने में सफल रहीं.

एक उद्योग नायक के रूप में जाने जाएंगे रतन टाटा

रतन टाटा को सदैव ही उद्योग जगत में एक नायक के तौर पर जाना जाता रहेगा. उन्होंने भारत में ऑटो क्षेत्र से लेकर टेलीकम्युनिकेशन और आईटी सेक्टर तक में क्रांति लाने का कार्य किया. उनकी शिक्षा और करियर यात्रा न केवल व्यक्तिगत सफलता की कहानी है, बल्कि यह भारतीय उद्योग में नवाचार और नेतृत्व की प्रेरणा भी है. उनके कभी ना रुकने वाले प्रयासों ने उन्हें एक प्रतिष्ठित उद्योगपति के रूप में स्थापित किया है, जो आने वाली ना जाने कितनी पीढ़ियों के बीच सदैव याद किए जाते रहेंगे. उन्होंने अपने जीवन काल में सदैव लोगों ना सिर्फ प्रेरित किया बल्कि कई युवा और जरूरत मंद के लिए हमेशा सहारा बने.

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