12 Jyotirlinga Temples: 12 ज्योतिर्लिंगों की क्रम से करें यात्रा, जानें कहा विराजे हैं भोलेनाथ

12 Jyotirlinga Temples: भारत में कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं, जिनका अपना अलग महत्व है।चलिए आज हम आपको क्रमानुसार इनके बारे में बताते हैं।

Update:2024-02-27 11:48 IST

12 Jyotirlinga Temples : इस साल 8 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन महाशिवरात्रि काफी शुभ मानी जा रही है क्योंकि इस दिन शुक्र प्रदोष व्रत का सहयोग बना रहा है। इसके अलावा कई और दुर्लभ योग भी बन रहे हैं। जिससे भक्तों को दोगुना लाभ मिलेगा। ऐसा माना जा रहा है कि इस बार महाशिवरात्रि पर व्रत रखने वाले लोगों पर भोलेनाथ विशेष कृपा बरसाएंगे। उनकी पूजा से सभी की मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होगी।तो चलिए आज के आर्टिकल में हम आपको भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में विस्तार से बताएंगे, जिन सभी के अपने अलग-अलग महत्व है।

सोमनाथ

देश के सबसे पहले ज्योतिर्लिंग में सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का जिक्र किया जाता है, जो गुजरात के सौराष्ट्र में अरब सागर के तट पर स्थित है। शिव पुराण के अनुसार चंद्रमा को प्रजापति दक्ष ने क्षय रोग का श्राप दिया था। तभी यहां पर शिव जी की पूजा और तपस्या कर चंद्रमा ने उस श्राप से मुक्ति पाई थी। तब से ही इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गई। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की महत्ता कई पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है। इसे महाभारत के शांति पर्व में भी उल्लेख किया गया है। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की महिमा और महत्ता का वर्णन शिव पुराण, स्कंद पुराण, और द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र में भी मिलता है।

सोमनाथ


मल्लिकार्जुन

दूसरे नंबर पर मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का जिक्र किया जाता है। जो आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के किनारे श्री शैल पर्वत पर स्थित है। इसे दक्षिण का कैलाश पर्वत भी कहते हैं।

मल्लिकार्जुन


महाकाल

उज्जैन के शिप्रा नदी तट पर स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यहां पर होने वाली भस्म आरती को देखने दुनिया भर से लोग पहुंचते हैं। यह एकमात्र दक्षिण मुखी ज्योतिर्लिंग है।

महाकाल


ओंकारेश्वर

इसके अलावा मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के किनारे स्थित है। यहां जल लाकर भगवान शिव पर अर्पित करने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

ओंकारेश्वर


केदारनाथ

सभी महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंगों में केदारनाथ का ज्योतिर्लिंग भी अपने एक अलग महत्व से जाना जाता है। जो अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के तट पर केदार नाम की चोटी पर स्थित है। यहां से पूर्वी दिशा में बद्री विशाल का बद्रीनाथ धाम मंदिर भी है। यहां पर जो भी भक्त जाते हैं। वह केदारनाथ और बद्रीनाथ के दर्शन के बिना वापस नहीं लौटते।

केदारनाथ


भीमाशंकर

वहीं, महाराष्ट्र में पुणे से करीब 100 किलोमीटर दूर डाकिनी में भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग स्थापित है। ये शिवलिंग काफी मोटा है इसलिए से मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर साल भर भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है।

भीमाशंकर


काशी विश्वनाथ

उत्तर प्रदेश के काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को कौन नहीं जानता, जो गंगा नदी के तट पर स्थित है। इसे विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है। यहां भगवान ने अपना स्थाई निवास बनाया था।

काशी विश्वनाथ


त्र्यंबकेश्वर

महाराष्ट्र के नासिक से 30 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के किनारे स्थित है। जो काले पत्थरों से बना है। यहां पर गौतम ऋषि और गोदावरी की प्रार्थना पर भगवान शिव ने अपना निवास स्थान बनाया था।

त्र्यंबकेश्वर


बैजनाथ

झारखंड के देवघर में स्थित बैजनाथ धाम ज्योतिर्लिंग पूरे देश में विख्यात है। यहां सावन के महीने में काफी ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है। ऐसी मान्यता है कि एक बार रावण ने तप के बल पर शिव को लंका ले जाने की कोशिश की थी। लेकिन रास्ते में रुकावट आने के कारण शर्त के मुताबिक शिवजी यहीं पर स्थापित हो गए और तब से यहां पर उनकी पूजा की जाती है।

बैजनाथ


रामेश्वर

भारत में 11वां ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के राम नाथम नामक स्थान पर स्थित है, जिसे रामेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है, जो विश्व प्रख्यात मंदिर है। यहां रावण की लंका पर चढ़ाई करने से पहले भगवान राम ने इस मंदिर की स्थापना की थी।

रामेश्वर


घृष्णेश्वर

शिव पुराण के अनुसार 12 और आखिरी ज्योतिर्लिंग घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग है। जो महाराष्ट्र के संभाजी नगर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है। इसे घूमेश्वर के नाम से भी जाना जाता है।

घृष्णेश्वर


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