Bandhavgarh Tiger Reserve: पर्यटकों ने किया एक महीने बाघों का दीदार, बांधवगढ़ में लगा ताला, यहां जानें कब खुलेगा

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का गेट बुधवार को आखिरी सफारी के बाद पर्यटकों के लिए बंद कर दिए गए हैं। अब तीन महीने बाद एक अक्टूबर को पार्क फिर पर्यटकों के लिए खोला जायेगा।

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Published By :  Shashi kant gautam
Update: 2021-07-01 07:14 GMT

 बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व: फोटो- सोशल मीडिया

Bandhavgarh Tiger Reserve: बांधवगढ़ अभयारण्य मध्य प्रदेश का सबसे प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। बाघों को सामने से देखने का रोमांच बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में लिया जा सकता है। जहां पर्यटकों की लाईन लगी रहती है। लेकिन कोरोना महामारी के कारण 27 अप्रैल को प्रदेश भर के नेशनल पार्क के साथ बांधवगढ़ के गेट भी बंद कर दिए गए थे। हालांकि कोरोना का कहर धीमे पड़ते ही इसे दोबारा जून में खोल दिया गया था। बीते एक महीने में 5740 से ज्यादा पर्यटकों ने बांधवगढ़ में बाघों का दीदार किया है। जून के महीने में 1435 जिप्सियों में यह पर्यटक पार्क के अंदर पहुंचे। फिल्म अभिनेत्री रवीना टंडन ने भी पार्क का भ्रमण किया और बाघों का दीदार किया।

बता दें कि एक फिर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का गेट बुधवार को आखिरी सफारी के बाद पर्यटकों के लिए बंद कर दिए गए हैं। अब तीन महीने बाद एक अक्टूबर को पार्क फिर पर्यटकों के लिए खोला जायेगा। तीन महीने तक पार्क में सन्नाटा रहेगा और बाघों को आराम मिल सकेगा। इस दौरान पार्क मे ग्रास लैंड को दुरूस्त करने, खरपतवार और घास आदि को उखाड़ने आदि के कार्य जारी रहेंगे।

पर्यटकों की संख्या पर कोरोना का असर

कोरोना के कहर के कारण पर्यटकों की संख्या इस बार कम ही रही। सप्ताह के अन्य दिनो में औसतन 50 जिप्सियां पार्क मे प्रवेश कर रही थी। बता दें कि बांधवगढ़ नेशनल पार्क के कोर क्षेत्र में ताला, मगधी और खितौली सहित कुल 3 जोन हैं। इन तीनों में दोनों पालियां मिला कर कुल 147 वाहनों को प्रवेश की अनुमति है।


 बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघ की तस्वीर लेता एक पर्यटक : फोटो- सोशल मीडिया   


 विदेशी सैलानियों की संख्या कम, तीसरी लहर का डर

वैश्विक महामारी कोरोना के कारण बीते करीब डेढ़ सालों में दुनिया भर का पर्यटन बर्बाद हो गया है। बांधवगढ़ पर भी इसका असर खूब देखने को मिला है। इस उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि कोरोना का सबसे ज्यादा असर जनवरी से जून के बीच रहा, जिस समय पर्यटन चरम पर होता है। वहीं दूसरी ओर कोविड की वजह से विदेशी सैलानियों की संख्या नगण्य हो गई। जिसका खामियाजा यहां के होटल, रिसोर्ट व्यवसाय, स्थानीय रेस्टारेंट, जिप्सी संचालकों, गाईड, ड्राईवरों के अलावा विभिन्ना संस्थानो मे कार्यरत कर्मचारियों को भुगतना पड़ा।

बफर जोन से हैं उम्मीदें

बफर के सफर से ही अब जिप्सी चालक और गाईडों की उम्मीदें हैं। क्योंकि नेशनल पार्क बंद हो गए हैं लेकिन टाइगर रिजर्व के बफर जोन में पर्यटन जारी रहेगा। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के धमोखर, खितौली और मानपुर बफर में पर्यटकों को रेनी सीजन में रोमांचक सफारी करने का अवसर मिलेगा। हालांकि पार्क के बफर जोन में पर्यटक नाईट सफारी का आनन्द भी उठाते हैं जो बारिश के दिनों में और भी रोमांचक हो जाएगी। पिछले दिनों हुई कमिश्नर शहडोल संभाग राजीव शर्मा की अध्यक्षता में बाधवगढ टाइगर रिजर्व स्थानीय सलाहकार समिति की बैठक में भी बाधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र के बफर जोन क्षेत्र में मानसून सीजन में पर्यटन चालू रखने के बारे में चर्चा हो चुकी है।

बफर में अन्य वन्य जीवों की भी ब्रांडिंग करने की सलाह

बारिश के मौसम में बफर में सफर के जारी रहने से सीधे तौर पर जिप्सी चालकों और गाईड को तो रोजगार मिलेगा ही साथ ही ग्रामीणों को भी इसका लाभ होगा। इससे जंगल के बाघों के अलावा दूसरे जानवरों की भी ब्रांडिग हो सकेगी जो कि बफर में ही रहते हैं। पिछले दिनों हुई बैठक में कमिश्नर ने भी यह सुझाव दिया था कि पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए टाइगर के अलावा अन्य वन्य जीवों की भी ब्रांडिंग करे, इसके लिए किस वन्य जीव की ब्रांडिंग किस माह में की जाएगी इसकी कार्ययोजना निर्धारित करें। कमिश्नर ने यह भी सुझाव दिया कि बाधवगढ टाइगर रिजर्व क्षेत्र में होने वाले विभिन्ना गतिविधियों का प्रचार-प्रसार कराएं।

 बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व: फोटो- सोशल मीडिया   

बारिश के दौरान बफर में पर्यटन जारी रखने का निर्णय

पिछले दिनों हुई बैठक में बारिश के दौरान बफर में पर्यटन जारी रखने का निर्णय लिया गया है। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार तो मिलेगा ही साथ ही ग्रामीणों को भी रोजगार मिल सकेगा। इस बारे में कमिश्नर के साथ हुई मीटिंग में भी कई निर्णय लिए गए थे।

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