Haunted Place in Leh Ladakh: लेह लद्दाख की खूबसूरती के बीच मौजूद है यह भूतिया जगह, यहां दिन में भी जाने से कतराते हैं लोग
Haunted Place in Leh Ladakh: लेह लद्दाख भारत के बहुत ही खूबसूरत केंद्र शासित प्रदेश है। चलिए आज हम आपके यहां के कुछ भूतिया स्थान के बारे में बताते हैं।
Haunted Place in Leh Ladakh: लेह लद्दाख एक ऐसी जगह है जो अपनी खूबसूरती के लिए पहचानी जाती है। जब भी भारत के सुंदर केंद्र शासित प्रदेश की बात सामने आती है तो ले और लद्दाख का नाम टॉपर होता है। इस जगह की खूबसूरती इतनी ज्यादा प्रचलित है कि देश के साथ-साथ विदेशी पर्यटक भी यहां पर घूमने के लिए जरूर पहुंचते हैं। लेह लद्दाख में सियाचिन ग्लेशियर से लेकर दक्षिण का महान हिमालय मौजूद है। जब आप यहां जाएंगे तो आपको खूबसूरत और मनमोहक नजारे देखने को मिलेंगे जरूर देखने के बाद आपका वापस आने का मन ही नहीं करेगा। यहां पर कई सारी झील भी है। इसके अलावा मठ और पैलेस बने हुए हैं, जिनका दीदार आपको जरूर करना चाहिए। हालांकि यहां पर कुछ ऐसी जगह भी है जहां पर जाने की हिम्मत कोई नहीं कर पाता क्योंकि यह भूतिया मानी जाती है।
बारालाचा दर्रा (Baralacha Pass)
यह लेह लद्दाख की सबसे डरावनी जगह में से एक है। इसकी खूबसूरती कमाल की है लेकिन इसकी डरावनी कहानियां भी आसपास के इलाके में बहुत ज्यादा प्रचलित है। इस जगह के बारे में कहा जाता है कि सूरज ढलने के बाद यहां एक आदमी चाकू लेकर घूमता रहता है और जब कोई पास में जाता है तो वह गायब हो जाता है। यह भी बोला जाता है कि यहां से रोने और चिल्लाने की आवाज सुनाई देती है। ऐसा कहा जाता है कि यह आवाज दर्रे में मौत हुए सैनिकों की है।
गोस्ट ऑफ गाता लूप्स (Ghost of Gata Loops)
यह भी सबसे डरावनी जगह में से एक है जो मनाली लेह हाईवे पर मौजूद है। दरअसल यह एक छोटा सा मंदिर है जिसमें खोपड़ी रखी हुई है। यहां पर लोग फूल नहीं बल्कि मिनरल वाटर शराब और सिगरेट चढ़ाते हैं। अजीबो गरीब घटना को देखकर कई लोग अकेले इससे हाइवे से जाने की हिम्मत भी नहीं करते। ऐसा कहा जाता है कि जो इस खोपड़ी के पास चढ़ावा नहीं चढ़ता उसके साथ अनहोनी होती है।
लेह पैलेस (Leh Palace)
लेह में मौजूद इस पैलेस की खूबसूरती और खासियत के बारे में हर किसी ने सुना होगा। लेकिन इसके पीछे जो डरावनी कहानी प्रचलित हैं उनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जब इस पैलेस का निर्माण हो रहा था तब मंगोल आक्रमणकारियों के शव को पहले की नई में दफना दिया गया था। इसका निर्माण 1600 के आसपास किया गया था।